बूचड़खानों पर एक्शन : 1959 में बने कानून के तहत ही एक्शन ले रही है योगी सरकार!
लखनऊ – उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बूचड़खानों और मीट की दुकानों पर एक्शन ले रही है और अभी तक 300 से ज्यादा बूचड़खानों को बंद किया जा चुका है। सभी को ऐसा लग रहा है कि योगी सरकार किसी नये कानून के तहत ऐसा कर रही है। लेकिन, आपको बता दें कि सरकार का यह कदम जानवरों को काटने और उनके कारोबार से जुड़े बरसों पुराने कानूनों पर आधारित है। यह कानून सालों पहले बना था जिसे पिछली सरकारों ने फॉलो नहीं किया और सूबे में मनमाने ढंग से बूचड़खाने चलते रहे। UP Municipal Corporation Act.
यूपी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऐक्ट 1959 पर हो रहा ऐक्शन –
यूपी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऐक्ट 1959 में बना था। जिसके मुताबिक, यह स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों को ताजा और साफ सुथरा मांस उपलब्ध करायें। इसके लिए शहर की सीमा में बनने वाले बूचड़खानों के निर्माण से जुड़े नियमों का पालन होना चाहिए। इस ऐक्ट के सेक्शन 421 से 430 में बूचड़खानों को चलाने के तौर-तरीके, जानवरों की बिक्री और प्राइवेट बूचड़खानों पर लगाम कसने के नियमों का जिक्र है।
यह बात भी सामने आई है कि, यूपी में 140 बूचड़खाने और 50 हजार से ज्यादा मीट की दुकानें अवैध हैं। योगी सरकार से पहले से ही नियमों को ताक पर रखकर यह सारे अवैध बूचड़खाने चलाएं जा रहे थे। सिर्फ लखनऊ में अवैध ढंग से 1,000 से ज्यादा दुकानें चल रही थीं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी नहीं गंभीर हुए कसाई और अफसर –
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में लक्ष्मी नारायण मोदी बनाम भारत सरकार केस में सभी राज्य सरकारों को आदेश दिया था कि वे शहरों में बूचड़खानों की जगह तय करना और उनका आधुनिकीकरण सुनिश्चित करने के लिए कमिटी बनाएं। कमेटी इन बूचड़खानों की वजह से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए ठोस कदम उठाना सुनिश्चित करें।
इस आदेश के बावजूद बूचड़खाने चलते रहे। लेकिन, अब यूपी में सरकार बदल गई है और नए सीएम योगी आदित्यनाथ ने पशुओं को गैरकानूनी तरीके से काटने के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। योगी सरकार इस कानून के तहत काम कर रही है। इसलिए यह कहा जाना कि सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए, पूरी तरह से तर्क-संगत नहीं है। यूपी में इसी कानून के तहत 100 से ज्यादा गैरकानूनी बूचड़खाने और सैकड़ों मीट की दुकानें सरकार ने बंद करा दी हैं।