संजय गांधी ने पार्टी में अपनी मां इंदिरा को जड़े थे 6 तमाचे, ऐसे आई थी मां-बेटे के बीच दरार
23 जून 1980 की सुबह एक प्लेन क्रैश में दो लोगों के मरने की खबर आई, जिसमें से एक सफदरजंग फ्लाइंग क्लब के मुख्य प्रशिक्षक सुभाष सक्सेना थे, तो वहीं दूसरे शख्स तत्कालीन प्रधानमंत्री के लाडले बेटे संजय गांधी थे। जी हां, संजय गांधी नए नवेले निर्वाचित सांसद थे और वे तीन महीने के बच्चे के पिता थे। इस खबर ने भारत समेत पूरी दुनिया को झकझोंर कर रख दिया था, जिसके बाद भारतीय राजनीति में उथल पुथल मच गई थी।
जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री हुआ करती थी, तब संजय के साथ उनके रिश्ते की दुहाई दी जाती थी, लेकिन एक दिन ऐसा आया, जब इस रिश्ते पर सवाल खड़े हो गए। जी हां, अमेरिका के वरिष्ठ पत्रकार लुइस एम सिंमस ने दावा किया था कि संजय गांधी ने अपनी मां और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को एक डिनर पार्टी में एक के बाद एक 6 थप्पड़ जड़े थे, जिसने मां-बेटे के रिश्ते पर सवाल खड़े कर दिये थे। इस घटना के बाद इंदिरा गांधी पूरी तरह से टूट गई थी, तो वहीं गांधी परिवार में भी उन दिनों हलचल तेज़ हो गई थी।
संजय गांधी को सौंपना चाहती थी इंदिरा अपनी विरासत
इतिहास के पन्नों पर गौर करें, तो एक समय था जब इंदिरा गांधी अपने बेटे संजय गांधी पर जान छिड़कती थी। माना जाता है कि उस समय इंदिरा गांधी के हर फैसले में संजय गांधी की अहम भूमिका रहती थी। दावा किया गया था कि इंदिरा गांधी सिर्फ संजय गांधी को ही अपनी राजनीतिक विरासत देना चाहती थी, लेकिन फिर दोनों के बीच मनमुटाव शुरु हो गया और इस कहानी का अंत थप्पड़कांड पर जाकर खत्म हुआ। कहा जाता है कि इमरजेंसी को लेकर दोनों के बीच विवाद होना शुरु हुआ था, जिसकी वजह से यह सब कुछ हुआ।
सिंमस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि इमरजेंसी से पहले संजय गांधी और इंदिरा गांधी के बीच मनमुटाव शुरु हो गया था। मामला इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उन्होंने सरेआम अपनी मां इंदिरा गांधी को तमाचा जड़ दिया था। इतना ही नहीं, उनका यह भी दावा था कि इंदिरा गांधी को उन्होंने 6 थप्पड़ मारे थे। हालांकि, उन्होंने इसके पीछे के सोर्स के बारे में नहीं बताया। बता दें कि उस समय सिंमस दिल्ली में ही रिपोर्टिंग करते थे।
इमरजेंसी के दौरान सिंमस को भेज दिया गया था देश से बाहर
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इमरजेंसी से पहले उन्हें अमेरिका जाने के लिए कहा गया था, जिसके बाद उन्हें तुरंत ही प्लेन से रवाना कर दिया। हालांकि, उन्होंने कहा कि इमरजेंसी खत्म होने के बाद मेरी इंदिरा गांधी से मुलाकात हुई थी, जिसमें राजीव गांधी भी थे। तो किसी पत्रकार ने कहा कि ये वही पत्रकार है, जिसने थप्पड़ स्टोरी लिखी थी। इस पर राजीव गांधी ने हामी भर कर मुस्कुरा दिया था। बता दें कि सिमंस में इतनी हिम्मत नहीं हुई कि वे थप्पड़ कांड को लेकर इंदिरा गांधी से कुछ पूछ सकें।
इंदिरा गांधी की छोटी बहू और वर्तमान बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी परिवार में सिर्फ दो ही लोगों पर भरोसा करती थी, जिसमें से एक संजय गांधी, तो दूसरी सोनिया गांधी। उन्होंने यहां तक भी दावा किया कि जब भी डिनर टेबल पर राजनीति पर चर्चा होती थी, तो राजीव गांधी को वहां से जाने के लिए कह दिया जाता था। मतलब साफ है कि इंदिरा गांधी अपने छोटे बेटे को ज्यादा जिम्मेदार मानती थी।
बेहद खास था इंदिरा और संजय का रिश्ता
कहा जाता है कि इंदिरा गांधी राजीव से ज्यादा संजय पर भरोसा करती थी और उन्हें ही अपनी विरासत सौंपना चाहती थी, लेकिन वक्त के साथ दोनों के रिश्ते में दरार आई और फिर रिश्तों की हकीकत सबके सामने उस समय आ गई, जब उन्होंने अपनी मां को तमाचे जड़े थे। हालांकि, इन सबके बीच बड़ी सच्चाई यह है कि वे संजय गांधी से हर तरह की सलाह लेती थी। कहा जाता है कि संजय की मौत के बाद राजीव उनकी जगह लेने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने गद्दी संभालने का फैसला लिया।