नेपाल ने भारत को फिर दिखाई आंख, अब बिहार की 500 मीटर भूमि पर किया अपना दावा, रोका बांध कार्य
नेपाल ने एक बार फिर से भारत के साथ सीमा विवाद शुरू कर दिया है और इस बार चीन ने बिहार के एक क्षेत्र को अपना बताया है। खबरों के मुताबिक नेपाल ने बिहार के चंपारण क्षेत्र स्थित एक बांध की मरम्मत पर रोक लगाते हुए वहां के 500 मीटर इलाके को अपना बताया है। जिससे की एक बार फिर से दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई है।
मरम्मत पर लगाई रोक
ये बांध नेपाल से आने वाली लाल बकेया नदी (Red Bakaya River) पर पहले से ही बना हुआ था और अब इसकी मरम्मत की जा रही थी। नेपाल का कहना है कि बिहार के पूर्वी चंपारण के ढाका अनुमंडल स्थित बलुआ गुआबारी पंचायत के निकट लाल बकेया नदी जिसपर बांध की मरम्मत की जा रही है वो उसकी जमीन पर है।
बाढ़ से टूट गया था बांध
इस बांध को बिहार के सिंचाई विभाग की और से बनाया जा रहा था। बिहार के सिंचाई विभाग के अनुसार जब बांध बनाने का कार्य किया जा रहा था तो नेपाल ने इसका विरोध जताया। जिसके बाद बिहार के सिंचाई विभाग ने काम रोक दिया। पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन ने घटना की जानकारी नेपाल में भारतीय महावाणिज्य दूतावास सहित केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार को दे दी है। सिंचाई विभाग के इंजीनियर बबन सिंह ने बताया कि इस नदी का पश्चिमी बांध साल 2017 में आई बाढ़ से टूट गया था। इसकी मरम्मत पर नेपाल ने आपत्ति जताई है। जिसके बाद काम रोका गया है। इस बांध से पूर्वी चंपारण जिले के ढाका और पताही में बाढ़ की रोकथाम करना संभव है।
500 मीटर भूखंड पर जताया विवाद
ये विवाद भारत-नेपाल सीमा पर पीलर संख्या 345/5 और 345/7 के बीच के पांच सौ मीटर के भूखंड को लेकर किया गया है। भारत के सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) व पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन ने इस बात की जानकारी दी है और कहा है कि नेपाल बांध को लेकर जब भी आपत्ति करता था। तो भारत व नेपाल के अधिकारी बातचीत से मामला सुलझा लेते थे। लेकिन इस बार बढ़े तनाव के बीच ऐसा संभव नहीं हो सका।
नेपाल भारत के सशस्त्र सीमा बल के साथ दुर्व्यवहार भी कर रहा है। इन इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि बांध के विवाद को नेपाली सशस्त्र सीमा प्रहरी व सीमा पार के नेपाली नागरिक उलझा रहे हैं और नेपाल के ग्रामीण भारत के सशस्त्र सीमा बल के साथ सही से व्यवहार भी नहीं कर रहे हैं।
पहले इन तीन क्षेत्र पर किया है दावा
नेपाल ने हाल ही में लिपुलेख, कालापानी व लिंपियाधुरा को अपना बताया है। दरअसल ब्रिटिश शासन के दौरान बिहार के पूर्वी चंपारण के सुगौली में भारत और नेपाल के बीच एक संधि हुई थी। जिसे सुगौधी की संधि के नाम से जाना जाता है। इस संधि में दोनों देशों की सीमाएं तय हुई थी। संधि के अनुसार ब्रिटिश शासकों ने काली नदी के उत्पत्ति स्थल को भारत और नेपाल की सीमा तय की थी। लेकिन अब नेपाल इस संधि के विरुद्ध जा रहा है। नेपाल नदी के उद्गम स्थल लिपुलेख, कालापानी व लिंपियाधुरा पर अपना दावा कर रहा है। जो कि भारतीय क्षेत्र में आते हैं।