गलवान में झड़प के बाद चीनियों के दिमाग में क्या चल रहा था, चीनी की कस्टडी से लौटे जवान ने बताई पूरी बात
चीन की पीपल लिबरेशन आर्मी (PLA) की कस्टडी से लौटे भारतीय जवानों का हाल ही में मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन और अन्य टेस्ट हुए. ये जवान चीनी आर्मी के पास करीब 60 घंटे रहे थे. इनसे पूछताछ के दौरान यह भी पता चला कि 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद इन चीनियों के दिमाग में क्या चल रहा था. चीन से लौटे 10 जवानों (जिनमें दो मेजर और दो कैप्टन भी शामिल थे) के अंदर 60 घंटे हिरासत में रहने के बाद भी जोश और उत्साह था.
भारतीय जवानों ने मारे थे 20 चीनी सैनिक
‘द संडे गार्डियन’ को मिले इनपुट्स के अनुसार इन 10 जवानों से मिली जानकारी से पता चला कि भारतीय जवान चीनी सैनिकों के मुकाबले संख्या में कम और निहत्थे थे. इन भारतीय जवानों ने चीन के द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाली छड़ों से ही कम से कम 20 चीनी सैनिकों और अधिकारीयों को पट्रोल पॉइंट 14 पर मार डाला था.
इंडियन आर्मी को देख भागने लगे थे चीनी
‘यह भी एक वजह थी कि गुरुवार को लौटे हमारे सिनिकों का मनोबल हाई था. हमारे जवान तब पकड़ाए थे जब वे चीन के एरिया में उनका पीछा करते हुए गए थे. कर्नल संतोष बाबू की शहादत की खबर सुन वे चीनी सैनिकों को मारने के इरादे से उनके इलाके में घुसे थे. चीनी सैनिकों को हमारी तरफ से इस हमले की उम्मीद नहीं थी, ऐसे में वे अपने इलाके की तरफ दौड़ने भागने लगे थे. हमारे जवान उनका पीछा करते रहे और तभी उन्हें हिरासत में लिया गया.’ एक अधिकारी ने अपने बयान में बाताया.
जवानों के जवाबी हमले से डरे हुए थे चीनी
वापस लौटे 10 जवानों से मिली जानकारी के अनुसार चीन ने जब धोखे से हमला किया था तो भारतीय सेना के छोटे से दल ने भी उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया था. इस बात से चीनी हैरान और डरे हुए थे. अगले 60 घंटों तक चीनी सैनिक को इस बात की चिंता सता रही थी कि भारत की ओर से जल्द एक और जवाबी हमला हो सकता है. इस सोच से वे पैनिक-मोड में थे.
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि “जब हमारे जवान उनकी हिरासत में थे तो वे (चीनी सैनिक) बहुत डरे हुए थे. उन्होंने कुछ घंटे पहले ही हमारी तरफ से ताबड़तोड़ मुकाबले का अनुभव किया था. ऐसे में चीनी सैनिकों को लग रहा था कि अगले कुछ घंटों में भारत की तरफ से बड़ी संख्या में हमला हो सकता है.”
चीन में वायरल हुआ भारतीय जवानों का अंतिम संस्कार
ख़ुफ़िया एजेंसियों के अनुसार 15 जून की लड़ाई में मारे गए चीनी सैनकों को लेकर चाइनीज सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी काफी नाराज़गी देखी गई. भारतीय जवानों का जिस तरह से पूरे मान सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था, उसकी तस्वीरें चीन के सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही थी. इसके साथ ही चीनी जनता सवाल कर रही थी कि 15-16 जून को उनके देश के मारे गए सैनिकों के नाम या रैंक को लेकर कोई भी जानकारी क्यों नहीं दी गई. इस मामले पर चीनी सोशल मीडिया पर बहुत बहसबाजी हो रही थी.
चीन को नहीं ‘रियल वार’ का अनुभव
इस घटना के बाद ये भी खुलासा हुआ कि चीन को ‘एक असली युद्ध’ और ‘असली दुशमन से लड़ाई’ का कोई ख़ास अनुभव नहीं है. चीन बस नकली युद्ध का खेल कर दुनिया के सामने दिखावा करता है. लेकिन जब रियल युद्ध में शामिल होने की बात आती है तो वो लड़खड़ा जाता है. इसकी वजह ये है कि उसे अभी तक एक असली युद्ध का ज्यादा अनुभव नहीं है.
एक अधिकारी के अनुसार “उन्होंने 15 जून की रात पहली बार इंडियन आर्मी का रियल फेस देखा. भारतीय सेना चीन के मुकाबले नंबर में कम थी लेकिन फिर भी उनका लड़ाई का अंदाज और जोश देख चीनी हक्का बक्का रह गए थे.” बता दें कि भारत और अमेरिका जैसे देश पिछले कई दशकों से असली युद्ध का हिस्सा रहे हैं. इसलिए हमें चीन के मुकाबले इसका ज्यादा अनुभव है.