पाकिस्तान के युनिवरसिटी मैं अब पढाया जायेगा जिहाद का पाठ
पाकिस्तान के खैबरपख्तूनवा में सरकार जिहादियों की यूनिवर्सिटी बनाने जा रही है। इसके लिए बाकायदा 30 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है। इस यूनिवर्सिटी में आतंकियों के आका मुल्ला उमर समेत कई बड़े आतंकी बतौर एलुमनाई पढ़ाने भी आएंगे।
इसी हफ्ते खैबरपख्तूनवा के मंत्री शाह फरमान ने असेंबली में बताया कि सरकार ने दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा के लिए बजट पास कर दिया है। दारुल उलूम हक्कानिया को ही जिहादियों की यूनिवर्सिटी बताया जाता है।
शाह फरमान ने बताया कि खैबरपख्तूनवा में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की सत्ता है। यहां पार्टी किसी धार्मिक संस्थान के खिलाफ नहीं है, बल्कि ऐसी संस्थाओं को आर्थिक सहयोग दिया जाएगा। बता दें कि इमरान खान पाकिस्तान क्रिकेट टीम के बड़े खिलाड़ी रहे हैं। हालांकि एक अरसे से वह राजनीति में सक्रिय हैं।
दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा नौशेरा जिले में है। इस मदरसे से तालिबान चीफ मुल्ला उमर को डॉक्टरेट की डिग्री भी मिल चुकी है। यह इलाका अफगान-तालिबान आतंकियों का गढ़ भी माना जाता है।
इतना ही नहीं, हक्कानी नेटवर्क का संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी, अलकायदा आतंकी सरगना असीम उमर और तालिबान का प्रमुख आतंकी मुल्ला अख्तर मंसूर भी यहां के एलुमनाई हैं। मुल्ला अख्तर मंसूर ने ही सबसे पहले दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे को जिहादी यूनिवर्सिटी नाम दिया था।
इससे पहले पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री हबीबुर रहमान ने बताया था कि खैबर पख्तूनवा के सीएम परवेज खट्टक मदरसा प्रशासन की मदद का ऐलान पहले ही कर चुके हैं। खट्टक ने मदरसे के लिए 15 करोड़ रुपए की मदद का वादा किया है।
वहीं, शाह फरमान का कहना है कि दारुल उलूम हक्कानिया देश के सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थानों में एक है। लिहाजा आर्थिक मदद के जरिए इसकी साख बनाए रखना जरूरी है। फरमान कहते हैं, ‘मदरसे के लिए अगले साल के बजट में और 15 करोड़ रुपए तय किए गए हैं।’
दारुल उलूम हक्कानिया की स्थापना 1947 में हुई थी। मौलाना समी उल हक इसके प्रमुख हैं। समी उल हक 40 संस्थाओं से जुड़ी काउंसिल दिफा-ए-पाकिस्तान के चेयरमैन और आतंकी हाफिद सईद की पार्टी जमात उद दावा के बड़े नेता भी हैं।