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संस्कारी सेंसर बोर्ड को अब ‘मन की बात’ पर ऐतराज; कहा – ‘डिलीट’ करो लाइन!

नई दिल्ली – जब से पहलाज निहालनी सेंसर बोर्ड के चेयरमैन बने हैं, तब से सेंसर बोर्ड बिल्कुल संस्कारी हो गया है। कोई भी ऐसी फिल्म नहीं हुई जिसपर निहालनी जी को एतराज न हुआ हो। उड़ता पंजाब का बवाल तो आपको याद ही होगा। उसमें निहालनी ने इतने कट मारे की फिल्म ही नहीं बची। ऐसा ही हुआ लिपस्टिक इन माई बुर्का के साथ, इस फिल्म पर भी उनको एतराज था और काफी विवाद के बाद फिल्म को रिलीज किया गया। अनुष्का शर्मा की फिल्म फिल्लौरी पर भी निहालनी ने एक कट मार ही दिया। अब ताजा मामला जुड़ा है पीएम मोदी के “मन की बात” से, जिसपर निहालनी को एतराज है। Mann ki baat copyrighted phrase.

‘मन की बात’ पर नाराज हुआ सेंसर, लाइन हटाने को कहा –

Mann ki baat copyrighted phrase

आप तो जानते ही हैं कि पीएम मोदी जनता तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए टीवी, सोशल मीडिया के साथ-साथ रेडियो का भी इस्तेमाल करते हैं। रेडियो पर वे हर रविवार जनता से “मन की बात” कार्यक्रम से जुड़ते हैं। अब सेंसर बोर्ड को इस प्रोग्राम के नाम (मन की बात) से ऐतराज है। अगर, आप कुछ और सोच रहे हैं तो आपको बता दें कि सेंसर बोर्ड को पीएम के कार्यक्रम से नहीं बल्कि एक फिल्म में “मन की बात” लाइन का इस्तेमाल करने पर एतराज है।

दरअसल, सेंसर बोर्ड का काम किसी फिल्म के उन हिस्सों को हटवाने का होता है जो दर्शकों के लिए “अश्लील” और गालियों वाले हो। डाक्‍सकिन छरा की नई फिल्म ‘समीर’ के एक सीन के डायलाग में ‘मन की बात’ लाइन का इस्तेमाल किया गया है। जिसके इस्तेमाल पर सेंसर बोर्ड को आपत्ति है।

फिल्म के डायलॉग में हुआ ‘मन की बात’ का इस्तेमाल –

Mann ki baat copyrighted phrase

डैक्सिन छाड़ा की फिल्म ‘समीर’ में प्रधानमंत्री के रेडियो शो के नाम ‘मन की बात’ को डायलॉग के तौर पर इस्तेमाल किया गया है, जिसे सेंसर बोर्ड ने फिल्म से हटाने को कहा है। हालांकि इस फिल्म में ना तो कोई आपत्तिजनक कंटेंट है और ना ही किसी तरह का एडल्ट या भड़काऊ कंटेंट है। फिर भी सेंसर बोर्ड की संस्कारी नजरों से यह फिल्म नहीं बच सकी।

फिल्म ‘समीर’ में एक विलेन का किरदार निभा रहे जीशान मोहम्मद एक हीरो से कहते हैं कि ‘एक मन की बात कहूं? तुम कैरेक्टर अच्छा बना लेते हो!’ इस पर हीरो का जवाब होता है कि, ‘वैसे सर, चाय से चू*****या बनाना आप ही से सीखा है।’ यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सेंसर बोर्ड को दूसरी लाइन में कहे गए शब्द से कोई दिक्कत नहीं है, जो वाकई में आपत्तिजनक है।

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