90 साल के बुजुर्ग पिता की इच्छा पूरी करने के लिए बेटे ने की पुतले से शादी, ऐसे हुई विदाई
21वीं सदी में बच्चे अपने बुजुर्ग माता पिता को अपने घर रखना तो दूर उनका ख्याल रखने से भी कतराते हैं। मगर, सच तो ये है कि सभी बच्चे ऐसा नहीं करते हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) से एक पुत्र का अपने पिता के आज्ञा पालन करने का एक अनोखा मामला सामने आया है। आइये जानते हैं, आखिर क्या है पूरा मामला…
दरअसल एक युवक ने अपने वृद्ध पिता का मन रखने के लिए अजीबो गरीब शादी रचा ली। जी हां, प्रयागराज के घूररपुर थाना क्षेत्र के एक युवक ने एक लकड़ी के पुतले के साथ शादी कर ली। चौंक गए न आप, मगर ये सच है। आपको बता दें कि इस शादी में सभी रस्में निभाईं गईं और लोगों के लिए दावत का भी इंतजाम किया गया था।
पिता की इच्छा से हुई ये अनोखी शादी…
प्रयागराज के घूरपुर थाना क्षेत्र के मनकवार गांव में रहने वाले 90 वर्षीय बुजुर्ग शिव मोहन के 9 बेटे हैं। 9 में से 8 बेटों की शादी हो चुकी है। मगर, सबसे छोटे बेटे पंचराज के लिए दुल्हन नहीं मिली और उसकी शादी नहीं हो पाई थी। जबकि 90 वर्ष की उम्र पार चुके बुजुर्ग शिव मोहन की इच्छा थी कि वे अपने सभी 9 बेटों की शादी अपनी आंखों से देख लें। बुजुर्ग पिता का मन रखने के लिए उनके बेटों सहित अन्य परिजनों ने भी बहुत प्रयास किए। मगर दुल्हन नहीं मिली।
दुल्हन न मिलने की स्थिति में परिवार वालों ने पुरोहितों से संपर्क किया और उनसे राय ली। परिवार के सदस्य जब पुरोहित से मिले, तो उन्होंने सभी समस्याओं को सुना और एक तरकीब बताई। जिसे सुन घरवाले भी भौंचक्के रह गए। दरअसल पुरोहित ने लकड़ी के पुतले से पंजराज की शादी का तरीका निकाला। पुरोहित का कहना था कि लकड़ी के पुतले से शादी हो जाने से भले ही पंचराज को वैवाहिक सुखों की प्राप्ति नहीं होगी, मगर वह विवाहित जरूर हो जाएगा।
पिता का मान रखने के लिए शादी को राजी हुआ
पुरोहित की ये तरकीब सुन पहले तो पंचराज ने सीधा मना कर दिया। पंचराज ने कहा कि ऐसी शादी का क्या फायदा, जिससे वैवाहिक सुख ना मिले। परिवार वाले भी पंचराज से सहमत थे। परंतु उन्हें बूढ़े पिता की बात याद आ गई कि वे जीते जी अपने सभी बेटों की शादी देखना चाहते हैं। पिता की बात रखने के लिए, उनका मान रखने के लिए पंचराज ने लकड़ी के पुतले से शादी के लिए हामी भर दी। इसके बाद उनके 90 वर्षीय पिता शिव मोहन ने पुरोहित से मुहूर्त निकलवाया। और अपने बेटे की धूमधाम से, पूरे रस्मों रिवाज से शादी करवाई।
शादी के दिन सुबह से ही सारी रस्मों अदायगी शुरू हो गई। और शाम तक सभी रीति रिवाज के साथ पंचराज की शादी लकड़ी के पुतले के साथ हो गई। आपको जानकर हैरानी होगी कि शादी में बाराती भी पहुँचे, बारातियों के लिए दावत का इंतजाम भी किया गया। साथ ही कन्या विदाई की रस्म भी पूरी की गई।