चीनी सैनिकों ने योजना बना धोखे से किया था हमला, 150 निहत्थे भारतीय जवानों पर बरसे थे 800 चीनी
सोमवार रात भारत चीन की भिड़त में गलवान घाटी पर हमारे 20 जवान शहीद हो गए. इन चीनियों ने भारतीय सैनिकों पर पूर्ण योजनाबद्ध तरीके से धोखा देकर हमला किया था. शहीद कर्नल बी संतोष बाबू अपने 10 जवान के साथ ट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 से चीनियों को भारतीय इलाके में स्थित शिविर हटाने का कहने गए थे. लेकिन 150 चीनी सैनिकों ने उन्हें अचानक घेर लिया और लोहे की छड़ों से ताबड़तोड़ वार करने लगे. इसके कुछ समय बाद करीब 800 चीनी सैनिक और आ गए. इन सभी ने मिलकर शिविर के बाहर स्थित करीब 150 निहत्थे भारतीय जवानों को घेर लिया.
चीन के इस अचानक हुए हमले ने भारतीय जवानों को चौंका दिया था, हालाँकि उन सभी ने चीनियों का डटकर सामना किया. इस दौरान कुछ जवान पहाड़ी के किनारें आ पहुंचे और नीचे जा गिरे. उनके साथ चीन के कुछ सैनिक भी नीचे गिरे. आर्मी के सीनियर अधिकार के अनुसार घायल जवानों का लेह हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है. 24 सैनिक गंभीर हैं जबकि बाकी 110 खतरे से बाहर हैं.
चीन ने किया सीमा संधि का उलंघन
चुशूल में दोनों देशों के जनरलों के बीच बैठक हुई थी. इसमें इलाके को खाली करने की बात हुई थी. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद से जुड़े पूर्व राजदूत पी स्टॉपडन के अनुसार चीन ने इस सीमा संधि का सीधे तौर पर उलंघन किया है, लेकिन वो अपनी नीतियों का राग अलाप रहा है. उधर रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा पी 14 के पास बने अपने अस्थायी शिविर हटाने से इंकार कर दिया था.
ये तय हुआ था
भारत एवं चीन के कोर कमांडरों के बीच 6 जून को यह सहमती हुई थी कि चीनी सैनिक 2-3 किलोमीटर पीछे हटेंगे. सीमा संधि के अनुसार चीनी सैनिकों को उनकी एलएसी पोस्ट-1 की तरफ वापस जाना था. ऐसे में कर्नल संतोष और उनके साथी जवानों को शिविर हटवाने के आदेश दिए गए. शिविर को लेकर ही रविवार को पथराव भी हुआ था. चीन इसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहा था. फिर अगले दिन सोमवार की रात दोनों देशों के सैनिकों में खुनी झड़प हो गई.
8 घंटे चली हिंसक भिड़त
गलवान घाटी के अभियान की जानकारी रखने वाले नई दिल्ली में सेना के एक अधिकारी ने बाताया कि भारत चीन सैनिकों की ये लड़ाई करीब आठ घंटे तक चली थी. इसकी शुरुआत सोमवार शाम 4 बजे ही हो गई थी. भारतीय सैनिक निहत्थे थे और धोखे से हुए इस हमले की उन्हें उम्मीद नहीं थी.
दोनों देशों के बीच हुई इस संधि की पुष्टि दोनों ओर की सेना के अधिकारी कर रहे थे. ये प्रक्रिया 7 दिनों से चल रही थी. इसी संबंध में सोमवार दोपहर सेना के कमांडिंग अफसर (कर्नल संतोष) अपने 10 साथी जवानों के साथ पीपी-14 के पास चीनी सैनिकों के लौटने की जांच पड़ताल कर रहे थे. इस दौरान 20 सैनिकों को वापस लौटना था. लेकिन जब उन्होंने ऐसा नहीं किया और भारतिय सैनिकों ने उन्हें हटने के लिए कहा तो लड़ाई शुरू हो गई.
इस लड़ाई में भारतीय सैनिकों की संख्या बेहद कम थी. एक अनुमान के तौर पर 5 चीनियों के मुकाबले 1 भारतीय था. सोमवार शाम 6 बजे तक दोनों पक्षों की लड़ाई घमासान रूप ले चुकी थी. इस दौरान एक दुसरे से लड़ते हुए कई सैनिक 15 हजार फीट ऊँची गलवान घाटी से नीचे गिर गए. इसमें चीन के 40 से 50 जवान गिरे. भारत के कुछ जवान अभी तक लापता है. इस मामले में अभी तक 17 जवानों के नदी में गिरने के कारण मौत की पुष्टि हो चुकी है.