21 June Father’s Day: जिनकी सख्ती में भी छिपा है प्यार का भंडार, जानें क्यों खास है फादर्स डे
एक विशेष दिन इसलिए ही बनाया गया है कि आप अपनी बिजी जिंदगी का एक दिन निकालकर अपने पिता को याद करें
किसी भी इंसान के जीवन को सफल बनाने में जितना योगदान मां का होता है उतना ही योगदान उसके पिता का भी होता है। एक पिता अपने बच्चों के लिए इतना कुछ करते हैं कि उन्हें धन्यवाद देने के लिए एक दिन काफी नहीं लगता। हालांकि एक विशेष दिन इसलिए ही बनाया गया है कि आप अपनी बिजी जिंदगी में से कुछ समय निकालकर अपने पिता को याद करें और अपनी उपलब्धियों के लिए उन्हें धन्यवाद दें। इस बार फादर्स डे 21 जून को है। हालांकि इसे आधिकारिक रुप से पहली बार 19 जून को मनाया गया था। हालांकि इसे मनाए जाने को लेकर लोगों के बीच मतभेद हैं। आपको बताते हैं क्या है इस खास दिन को मनाने के पीछे का इतिहास और महत्व।
इसलिए शुरु हुआ था फादर्स डे मनाना
बता दें कि फाडर्स डे को मनाने को लेकर इतिहासकारों के बीच मतभेद हो जाता है। कुछ लोग का कहना है कि 1907 में पहली बार फादर्स डे वर्जिनिया में मनाया गया था। वहीं कुछ इतिहासकारों का कहना है कि इसे पहली बार 19 जून 1910 को आधिकारिक रुप से मनाया गया था। इसकी शुरुआत सोनेरा डोड ने की थी। जब सोनेरा छोटी थीं तो उनकी मां का निधन हो गया था।
उस समय सोनेरा के पिता विलियम स्मार्ट ने उनकी परवरिश की। उन्होंने अपनी बेटी का बहुत ख्याल रखा जिससे सोनेरा डोड को कभी मां की कमी नहीं खेली। जब सोनेरा बड़ी हुईं तो उस वक्त उन्हें लगा कि मदर्स डे की तरह फादर्स डे भी मनाना चाहिए। उन्हीं दिनों में सोनेरा ने पिता के सम्मान में फादर्स डे पहली बार मनाया था। इसके बाद 1924 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कोली ने इसे आधिकारिक मंजूरी दे दी।
क्यों खास होता है पिता को आभार जताना
हालांकि इसके बाद 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने इसे जून महीने के तीसरे रविवार को मनाने की सहमति जताई। उस समय के बाद से हर साल जून के महीने में तीसरे रविवार को मनाया जाता है। इस दिन कई जगहों पर समाजिक संगोष्ठी और समारोह आयोजित किए जाते हैं। हालांकि कोरोना के चलते इस बार सार्वजनिक रुप से किसी भी तरह के कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे। ऐसे में लोग घरों में रहकर ही पिता को गिफ्ट देकर उनके साथ समय बिता कर उन्हें सम्मान दे सकते हैं।
माता-पिता दोनों ही व्यक्ति के जीवन में सबसे अहम लोग होते हैं। जहां मां अपने दिल में ममता का सागर रखती है तो वहीं पिता अक्सर सख्त होते हैं। वो सख्त इसलिए होते हैं ताकी वो अपनी औलाद को इस जीवन में चुनौतियों से लड़ने के लिए मजबूत बना सकें। उनकी डांट भी एक सीख होती है। वो मां की तरह कई बार गले नहीं लगाते, लेकिन मन ही मन अपने बच्चों से बेहद प्यार करते हैं।
पिता घर की छत की तरह होता है जिसका हाथ जब तक बच्चों के सिर पर रहता हैं उन्हें किसी तरह की तकलीफ नहीं होती। ऐसे में अपने पिता के साथ वक्त बिताएं, उन्हें समय दें और उन्हें प्यार दें जैसा वो आपके लिए करते हैं। इस संसार में सिर्फ पिता ही एक ऐसा व्यक्ति है जो चाहता है कि मेरी संतान मुझसे भी आगे निकलें। ऐसे में अपने पिता को चाहे वो सख्त हों या नरम दिल, आपके गुरु हों या फिर मित्र उन्हें भरपूर सम्मान दें और अपनी जिंदगी में हासिल की हुई उपलब्धियों के लिए आभार जताएं।