सुशांत सिंह की खुदखुशी के बाद इस एक्ट्रेस का खुलासा, बोली- मुझे भी आते थे आत्महत्या के ख्याल
14 जून रविवार को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) ने अपने मुंबई के बांद्र स्थित घर में खुदखुशी कर ली. इस खबर ने पूरे देश को हिला के रख दिया. खासकर बॉलीवुड के गलियारों में एक शौक की लहर सी दौड़ गई. हर कोई सुशांत के जाने का दुख मानाने लगा. आम जनता से लेकर बड़े बड़े सितारों तक के रिएक्शन आने लगे. हर किसी के मन में बस एक ही सवाल था. आखिर सुशांत ने आत्महत्या जैसा बड़ा कदम क्यों उठाया?
बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी बॉलीवुड सेलिब्रिटी ने आत्महत्या की हो. इसके पहले भी कुछ नामचीन सितारों का नाम इस लिस्ट में शामिल हो चूका है. इसके अलावा कई ऐसे भी हैं जिन्होंने आत्महत्या तो नहीं की, लेकिन इसका ख्याल उनके दिमाग में जरूर आया था. ऐसी ही एक बॉलीवुड एक्ट्रेस है दीप्ति नवल (Deepti Naval).
कविता से दी सुशांत को श्रद्धांजलि
दीप्ति 90 के दशक की जानी मानी एक्ट्रेस हैं. सुशांत की आत्महत्या के बाद उन्होंने एक कविता के माध्यम से एक्टर को श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि एक समय ऐसा भी था जब वे इसी अवसाद और आत्महत्या के खयालों से होकर गुजरी थी. हालाँकि तब दीप्ति ने खुद को संभाल लिया था. ‘ब्लैक विंड’ टाइटल वाली यह कविता दीप्ति ने तब लिखी थी जब वे अपने आत्महत्या के ख्यालों से लड़ रही थी.
ऐसे लड़ी डिप्रेशन की लड़ाई
कविता साझा करने के पहले दीप्ति अपनी फेसबुक पोस्ट में कहती है – इन अंधेरे वाले दिनों में.. बहुत कुछ हो रहा है. दिमाग एक पॉइंट पर जाकर रुक गया है.. या सुन्न हो गया है. आज मुझे एक कविता शेयर करने का मन कर रहा है.. इसे मैंने उन दिनों में लिखा था जब मैं डिप्रेशन, टेंशन और आत्महत्या के ख्यालों से अपनी लड़ाई लड़ रही थी… जी हाँ लड़ाई.. और कैसे मैंने ये लड़ाई लड़ी… इसके लिए मैं एक कविता उन यंग लोगों को समर्पित कर रही जो डिप्रेशन से जंग लड़ रहे हैं.
दीप्ति ने अपनी इस कविता में बाताया है कि कैसे उन्हें डिप्रेशन और टेंशन के कारण आत्महत्या जैसे ख्याल आते थे. कविता में इस बात का जिक्र भी है कि उन्होंने अपने इन खुदखुशी वाले ख्यालातों से लड़ाई कैसे लड़ी. दीप्ति ने यह कविता 28 जुलाई, 1991 में लिखी थी. उन्होंने 1978 में ‘जूनून’ फिल्म से बॉलीवुड डेब्यू किया था. इसके बाद वे ‘चश्मे बद्दूर’, ‘अनकही’, ‘मिर्च मसाला’, ‘साथ-साथ’ जैसी फिल्मों में नजर आई थी. पिछले साल पीटीआई-भाषा को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि 90 के आखिरी दशक में उन्हें ना के बराबर काम मिल रहा था.
सुशांत और दीप्ति की तरह और भी कई ऐसे लोग हैं जिनके मन में खुदखुशी के ख्याल आते हैं. इन लोगो को हार नहीं मानना चाहिए. अपनी समस्यां से भागने की बजाए उसका सामना करना चाहिए. यदि आप अकेलेपन या डिप्रेशन के शिकार हैं तो दोस्त और परिवार से बात करें. एक बात गाथ बांध लें कि आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं है. इससे आप अपने परिवार को भी गहरा दुख पहुंचाते हैं. साथ ही समाज में गलत संदेश जाता है.