कल्पवृक्ष से मांगी गई हर मनोकामना हो जाती है पूरी, जानिये कैसा है और कहां पर है कल्पबृक्ष
इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा मांगता है, वो पूर्ण हो जाती, समुद्र मंथन के दौरान हुई थी इसकी उत्पत्ति
कल्पवृक्ष को हिंदू धर्म में एक विशेष वृक्ष माना गया है और इस वृक्ष का उल्लेख वेद और पुराणों में किया गया है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा मांगता है, वो पूर्ण हो जाती है। ये वृक्ष भारत के कई सारे हिस्से में पाया जाता है और कल्पवृक्ष की पूजा भी की जाती है।
आखिर क्यों है इतना खास ये वृक्ष
कल्पवृक्ष से जुड़ी कथा के अनुसार ये वृक्ष समुद्र मंथन के 14 रत्नों में से एक है। इस वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। कहा जाता है कि जब ये वृक्ष समुद्र मंथन से निकला था तो इसे देवराज इन्द्र को दे दिया गया था। जिसके बाद देवराज इन्द्र ने इस पेड़ की स्थापना ‘सुरकानन वन’ में कर दी थी, जो कि हिमालय के उत्तर में है। पद्मपुराण के अनुसार पारिजात ही कल्पतरु है और ये वृक्ष अपार सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है।
दिखने में कैसा होता है कल्पवृक्ष
ये वृक्ष लगभग 70 फुट ऊंचा होता है और इसके तने का व्यास 35 फुट तक हो सकता है। इस वृक्ष की औसत जीवन अवधि 2500-3000 साल की होती है। कल्पवृक्ष दिखने में आम पेड़ों की तरह ही होता है। ये पेड़ पीपल के वृक्ष की तरह दिखता है और काफी बड़ा होता है। इस पेड़ में लगने वाले फल नारियल की तरह होते हैं। जो वृक्ष की पतली टहनी के सहारे नीचे लटकते हैं। इस पेड़ पर फूल भी लगते हैं। इस पेड़ का तना मोटा होता है और टहनी लंबी होती है। पत्ते का आकर भी लंबा होता है। इस पेड़ के पत्ते आम के पत्तों की तरह होते हैं। पीपल की तरह ही कम पानी में ये वृक्ष फलता-फूलता हैं। ये एक सदाबहार वृक्ष है।
इन जगहों पर पाया जाता है ये वृक्ष
ये पेड़ भारत में रांची, अल्मोड़ा, काशी, नर्मदा किनारे, कर्नाटक जैसी जगहों पर पाया जाता है। पद्मपुराण के अनुसार परिजात ही कल्पवृक्ष है और ये वृक्ष उत्तरप्रदेश के बाराबंकी के बोरोलिया में आज भी विद्यमान है। बोरोलिया में लगे इस पेड़ की आयु कार्बन डेटिंग से वैज्ञानिकों ने 5,000 वर्ष से भी अधिक की बताई है।
आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होता है ये वृक्ष
ये एक परोपकारी मेडिस्नल-प्लांट है और इसमें संतरे के मुकाबले अधिक विटामिन सी होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस पेड़ में संतरे से 6 गुना ज्यादा विटामिन ‘सी’ पाया जाता है। इस पेड़ में कैल्शियम भी मौजूद होता है जो कि गाय के दूध से दोगुना मात्रा का होता है। इसके अलावा सभी तरह के विटामिन भी इस पेड़ में पाए जाते हैं।
सेहत को मिलते हैं ये लाभ
- आयुर्वेद के अनुसार इस वृक्ष की 3 से 5 पत्तियों का सेवन करने से हमारे दैनिक पोषण की जरूरत पूरी हो जाती है।
- इस पेड़ के पत्तों को खाने से कब्ज और एसिडिटी से आराम मिल जाता है।
- जो लोग गुर्दे के रोग से परेशान हैं वो लोग इसकी पत्तियों व फूलों का रस निकालकर पीया करें। इस रोग से आराम मिल जाएगा।
इस तरह से करें पत्तों का प्रयोग
- इस वृक्ष के पत्तों का सेवन कई तरह से किया जा सकता है और इन पत्तों को पानी में उबालकर इसका काढ़ा बनाकर पीया जा सकता है।
- इनकी सब्जी भी बनाकर खाई जा सकती है। पालक या मैथी की सब्जी बनाते समय उसमें 20 प्रतिशत कल्पवृक्ष के पत्ते मला दें।
- इसके अलावा आप इसके पत्तों को धनिए या सलाद की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं। कई लोग तो परांठे बनाते समय भी इनका प्रयोग करते हैं।