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बाबा राम देव ने बनाई कोरोना की दवा, जल्द होगी बाजार में उपलब्ध, इस तरह से करेगी कोरोना को नष्ट

पतंजलि ने कोरोना वायरस की दवा बनाने का दावा किया है और जल्दी ही ये दवा बाजार में आ जाएगी। पंतजलि योगपीठ के आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण के अनुसार ये एक आयुर्वेदिक दवाई है, जिसे कई सारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से तैयार किया गया है और इस दवा की मदद से कोरोना संक्रमण का इलाज पूरी तरह से संभव है। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने में दवाओं का ये मिश्रण वैक्सीन से भी पुख्ता काम करता है। एक वेबसाइट से बात करते हुए शनिवार को आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पांच महीने से कोरोना की दवाई बनाने पर काम किया जा रहा था। इस दवा को बनाने के बाद इसका टेस्ट चूहों पर किया गया जो कि सफल रहा। इतना ही नहीं इस दाव को लेकर क्लीनिकल केस स्टडी भी पूरी हो चुकी है। जबकि क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल पर है और अपने अंतिम दौर में है। जल्द ही इसका डाटा मिलने वाला है और जिसके के दो हफ्तों के अंदर ये दवा बाजार में उतार दी जाएगी।

कोरोना संक्रमण से होगी रक्षा

आचार्य बालकृष्ण के अनुसार कोरोना की दवा बनाने को लेकर शोध किया गया और इस शोध में पाया गया कि अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल से कोरोना संक्रमण सही हो जाता है। इतना ही नहीं इन चीजों का सेवन करने से संक्रमित से रक्षा भी होती है।

पौधों के 1550 से ज्यादा कंपाउंड पर किया शोध

बालकृष्ण के मुताबिक 12 से अधिक शोधकर्ताओं ने करीब पांच माह तक ये शोध किया है। शोधकर्ताओं ने आयुर्वेदिक गुणों वाले 150 से अधिक पौधों के 1550 से ज्यादा कंपाउंड पर दिन-रात शोध किया है। जो कि सफल रहा।

बेहद ही खतरनाक है वायरस

आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि कोरोना वायरस, कोरोना फैमिली का सबसे खतरनाक वायरस है। कोरोना वायरस की प्रकृति और संक्रमण ‘सार्स वायरस’ से काफी मिलती-जुलती है। कोरोना की दवा को बनाते समय इन सभी चीजों का ध्यान रखा गया है।

जनवरी महीने में शुरु किया था शोध

पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने योग गुरु बाबा रामदेव की सलाह और निर्देश के बाद इस साल जनवरी में ये शोध शुरू किया था। शोध के लिए कुल 14 वैज्ञानिकों की टीम बनाई गई थी। जिसमें पांच महिलाएं भी शामिल थी। टीम ने पांच महीनों तक कड़ी मेहनत की और कोरोना की दवा को खोज निकाला।

इन चीजों से बनी है दवा

कोरोना की दवा बनाने में केवल जड़ी बूटियों का ही प्रयोग किया गया है। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार दवा के मुख्य घटक अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल हैं। दवा बनाने में इन सभी चीजों का मिश्रण और अनुपात, शोध के अनुसार तय किया गया है।

इस तरह से करती है दवा काम

अश्वगंधा कोरोना वायरस के आरबीडी को मानव शरीर के एसीई से मिलने नहीं देता है। जिससे कोरोना वायरस कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता है। गिलोय भी अश्वगंधा के जैसे ही काम करता है। वहीं तुलसी का कंपाउंड कोरोना के आरएनए-पॉलीमरीज के गुणांक में वृद्धि करने की दर को खत्म कर देता है। श्वसारि रस गाढ़े बलगम बनने से रोकता है और बने हुए बलगम को खत्म कर फेफड़ों की सूजन कम कर देता है। अणु तेल का इस्तेमाल नेजल ड्रॉप के तौर पर कर सकते हैं।

अमरीका के जनरल में प्रकाशित होगा शोध

पतंजलि द्वारा किया गया ये शोध अमरीका के वायरोलॉजी रिसर्च मेडिकल जनरल में प्रकाशित होगा। पंतजलि की और से शोध पत्र को  वायरोलॉजी रिसर्च मेडिकल जनरल के पास भेजा जा चुका है और ये प्री-क्वालिफेशन दौर में चल रहा है। वहीं अमेरिका के ही ‘बायोमेडिसिन फार्मोकोथेरेपी’ इंटरनेशनल जर्नल में इसका प्रकाशन हो चुका है।

गौरतलब है कि दुनिया के कई सारे देश कोरोना की दवा बनाने में लगे हुए हैं। लेकिन अभी तक किसी को भी कामयाबी नहीं मिली है। वहीं आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण का कोरोना दवा बनाने का दावा अगर सच होता है, तो ये दुनिया के लिए बड़ी राहत होगी और कोरोना से लड़ने मेें मदद मिलेगी।

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