निजी अस्पतालों पर सरकार ने लगाई लगाम, अब नहीं कर सकेंगे कोरोना मरीज को सरकारी अस्पताल में रेफर
कोरोना वायरस से ग्रस्त लोगों का इलाज करने में जो लापरवाही अस्पतालों द्वारा की जा रही है। उसपर लगाम लगाने के लिए झारखंड सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए गाइडलाइन तैयार की है और निजी अस्पतालों को सही से मरीजों का इलाज करने को कहा है। हाल ही में मीडिया में ऐसी कई सारी रिपोर्ट आ रही थी। जिसमें दिखाया गया था कि कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज करने से निजी अस्पताल वाले मना कर रहे हैं। वहीं उनके यहां भर्ती हुए किसी मरीज को कोरोना वायरस निकल रहा है, तो उसे सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया जा रहा है।
निजी अस्पतालों की इस मनमानी को रोकने के लिए राज्य सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। जिसके तहत अब निजी अस्पताल कोरोना के मरीज को सरकारी अस्पताल में रेफर नहीं कर सकेंगे। नई गाइडलाइन के तहत निजी अस्पताल वालों को अपने अस्पताल में ही कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज करना होगा।
झारखंड के स्वास्थ्य सचिव डा. नितिन मदन कुलकर्णी ने सभी निजी अस्पतालों को सख्ती से नए नियमों का पालन करने का आदेश दिया है। नए नियमों के तहत निजी अस्पतालों को अनिवार्य रूप से कोरोना मरीजों का इलाज करना होगा। साथ में ही अपने अस्पतालों में बेड की संख्या को भी बढ़ाना होगा।
बनाने होंगे आइसोलेशन वॉर्ड
प्रोटोकॉल के तहत निजी अस्पतालों को अपने यहां पर आइसोलेशन वार्ड भी बनाने होंगे। सरकार की और से जारी गाइडलाइन के अनुसार 30 से 50 बेड वाले सभी निजी अस्पतालों को न्यूनतम 5, जबकि जिन अस्पतालों में 50 से अधिक बेड हैं, उन्हें 10 आइसोलेशन बेड बनाने होंगे। इसके अलावा सभी बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था होनी चाहिए और कम से कम दो वेंटिलेटर की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी होगी।
तुरंत कर दे रहे हैं सरकारी अस्पताल में रेफर
स्वास्थ्य सचिव के अनुसार कई सारे निजी अस्पताल कोरोना मरीजों का इलाज नहीं कर रहे हैं। निजी अस्पताल वाले संभावित या पॉजीटिव मरीजों को तुरंत सरकारी अस्पताल में रेफर कर रहे हैं। अस्पताल मरीजों की इच्छा के बिना उन्हें अन्य अस्पताल में रेफर कर रहे हैं। जो कि उनके अधिकारों का हनन है। यहां तक कि कुछ मामलों में कोरोना संभावित मरीजों को बिना उनकी कोरोना जांच रिपोर्ट आए डिस्चार्ज भी किया जा रहा है।
निजी अस्पतालों को करना होगा इन नियमों का पालन
- निजी अस्पतालों को मरीजों की इच्छा और अधिकार का संरक्षण करना होगा।
- कोरोना मरीजों का इलाज उसी अस्पताल में होगा जहां वो प्रारंभिक बीमारी के लिए भर्ती हुए हैैं।
- किसी कोरोना मरीज को अगर सरकारी अस्पताल में रेफर करना जरूरी होगा, तो इसका कारण अनिवार्य रूप से बताना होगा। इस बारे में सूचना जिला प्रशासन और संबंधित अस्पतालों को देनी होगी।
- जिला प्रशासन को सूचना दिए बिना किसी संभावित कोरोना मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा।
- अस्पतालों को हर मंगलवार को कुल मरीजों, सैंपल की जांच और जांच की रिपोर्ट की जानकारी जिला प्रशासन को देनी होगी।
- किसी भर्ती मरीज को कोरोना होने पर इसकी जानकारी जिला प्रशासन को देनी होगा।
- इन्फ्लूएंजा या सांस से संबंधित लक्षण पाए जाने पर मरीज की कोरोना जांच करनी होगी।
- अगर मरीज में कोरोना के लक्षण हैं तो उसे तुरंत आइसोलेट करना होगा। वहीं लक्षण नहीं होने पर उसे घर में ही क्वारंटाइन किया जाएगा।