तो 33 साल पहले इस तरह होती थी रामायण की रिकॉर्डिंग, ‘लक्ष्मण’ ने बताई पर्दे के पीछे की चटपटी कहानी
33 साल बाद रामायण के फिर से टीवी पर प्रसारित होने से लोगों में इस शो को लेकर दिलचस्पी और भी ज्यादा जाग गई है। वहीं इस शो में सीता और लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले दीपिका चिखलिया और सुनील लहरी भी लगातार दर्शकों से जुड़े हुए हैं। शो में लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले सुनील लहरी रोज ही सीरियल से जुड़े मजेदार किस्से फैंस के साथ शेयर करते रहते हैं। हाल ही में सुनील ने सेट से लेकर कैमरे के पीछे के कई किस्से इंस्टाग्राम पर बताएं हैं। साथ ही बिहाइंड द सीन यानी पर्दे के पीछे की तस्वीरें भी पोस्ट की हैं।
ऐसे फिल्माए जाते थे मुश्किल सीन
90 के दशक में जिस तरह से रामायण को शूट किया गया था उसकी तारीफ जितनी की जाए कम है। उस समय तकनीक इतनी विकसित भी नहीं थी उसके बाद भी लड़ाई और चमत्कार से जुड़े सभी सीन बहुत ही बेहतरीन तरीके से फिल्माए गए थे। सुनील लहरी ने बताया कि एपिसोड की ज्यादातर शूटिंग स्पेशल इफेक्ट्स के जरिए फिल्माए जाते थे। सारे के सारे इफेक्ट्स क्रोमा में किए गए।
आगे सुनील लहरी ने बताया कि हनुमान जी के बहुत सारे सीन इफेक्ट्स से थे। जैसे कि हनुमान जी का हवा में उड़ना, राक्षस के मुंह से बाहर निकलना, पहाड़ उठा कर लाना, छोटे हो जाना ये सब स्पेशल इफेक्ट्स से किया जाता था। इन सारे सीन को करने में बहुत समय लगता था। इसके साथ ही सुनील लहरी ने अपने से जुड़ा एक बेहद ही मजेदार किस्सा बताया।
जब फैंस ने फाड़ दिया लक्ष्मण का कुर्ता
सुनील ने कहा कि जब इन सारी चीजों की शूटिंग होती थी तो मेरे पास काफी समय बचता था। एक दिन मैंने सोचा कि रामलीला देखकर आते हैं। जब मैं दिल्ली के रामलीला मैदान में रामलीला देखेने पहुंचा तो वहां काफी भीड़ थे। बहुत से लोगों ने मुझे पहचान लिया। मुझसे मिलने के चक्कर में ऐसी भीड़ आ गई कि मेरे कुर्ते की आस्तीन ही फाड़ दी गई।
सुनील ने आगे कहा कि मे लिए स्टेज पर जाना इसके बाद से ज्यादा मुश्किल भरा हो गया था। ऑर्गेनाइजर ने मेरे लिए नए कुर्ते की व्यवस्था की थी तब मैं स्टेज पर पहुंचा। इस घटना के बाद मुझे ये महसूस हुआ कि कई बार फैंस के भी नजदीक जाना तकलीफ भरा हो सकता है। रामायण के कई किस्से सीता यानि कि दीपिका चिखलिया ने भी फैंस के साथ शेयर किए थे।
इस तरह किरदार में ढले थे एक्टर्स
दीपिका ने फैंस को बताया कि रामायण की अधिकांश शूटिंग मुंबई से चार घंटे की दूरी पर स्थित उमरगांव में हुई थी। एक बहुत ही छोटा सा गांव था यहां ब्रेड जैसी चीज भी नहीं मिलती थी। हम सब कलाकार स्टूडियो में ही रहते थे, मानों एक लंबी पिकनिक पर आए हों। दीपिका बताती हैं कि हम जितने कलाकार थे उस वक्त एक दूसरे को ‘स्क्रीन नेम’ से बुलाते थे।
रामायण के सेट पर रामानंद जी हमें ‘स्क्रीन नेम’ से ही बुलाते थे। जैसे मुझे सीता, अरुण गोविल को राम और सुनील लहरी को लक्ष्मण कहकर ही पुकारते थे। उनका कहना था कि ऐसा करने से कलाकारों को अपनी भूमिका की गहराई में उतरने में सुविधा होती है। दीपिका आगे बताती हैं कि शूटिंग जब गर्मी के दिनों में होती थी तो बहुत सी समस्याएं झेलनी पड़ती थीं।
33 साल बाद भी पर्दे पर कायम है रामायण
उस वक्त ऐसी पंखा की बहुत सुविधा ना होने के कारण सबको अपने कॉस्ट्यूम में दिकक्तों का सामना करना पड़ता था। सेट पर हमेशा 200 से 300 लोग रहते थे और भीड़ से और ज्यादा गर्मी महसूस होती थी। दीपिका एक किस्सा शेयर करते हुए कहती हैं कि लखनऊ के एक अस्पताल में मरीजों ने इस बात की शिकायत की थी कि डॉक्टर और नर्स रामायण शुरु होते हुए उन्हें छोड़कर सीरियल देखने चले जाते थे। बहुत से लोगों ने शादी की तारीख और समय भी इसलिए बदले थे ताकी उनसे एपिसोड ना छूटे।
90 के दशक में इस सीरियल को लेकर लोगों में ऐसा ही क्रेज देखने को मिला था। अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया को लोग इस कदर श्रीराम और सीता मान बैठे थे कि बड़े बुजुर्ग भी आकर उनके हाथ पैर छू लिया करते थे। आज 33 साल बाद लोगों के अंदर टीवी पर चल रहे कार्यक्रम और असल जिंदगी का फर्क तो समझ आ गया है, लेकिन इस शो का क्रेज अभी भी खत्म नहीं हुआ है। इस शो को दोबारा दर्शकों का प्यार मिला और अब नई जेनरेशन भी इस लीग में जुड़ गई।