कहाँ तक पढ़े हैं सोनू सूद, क्या करती थीं माँ ? जाने सोनू सूद के ज़िन्दगी के इस पहलू के बारे में
प्रवासी मजदूरों के मसीहा बने सोनू सूद इन दिनों इंटरनेट पर बहुत छाए हुए हैं. वे ट्वीटर पर मदद मांगने वाले हर शख्स की सहयता कर रहे हैं. लॉकडाउन शुरू होते ही कई मजदूर पैदल ही अपने घर का सफर तय कर रहे थे. सोनू ने उनके लिए बसें चलवाई. उन्हें सुरक्षित और आरामपूर्वक घर पहुंचवाया. ऐसे में आज हम आपको उनकी निजी जिंदगी से रूबरू कराने जा रहे हैं.
पंजाब का मुंडा
सोनू सूद का जन्म 30 जुलाई 1973 को मोगा, पंजाब में हुआ था. उनकी माँ कॉलेज में प्रोफ़ेसर थी. सोनू ने 1996 में सोनाली सूद से शादी रचाई थी. इससे उन्हें दो बच्चे इशांत और अयान हुए. वे पहले एक मॉडल थे लेकिन अब एक्टर और निर्माता भी है.
यहाँ से करी इंजीनियरिंग
सोनू एक इंजीनियर हैं. उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई नागपुर के यशवंतराव चव्हाण कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (YCCE) से की है. सोनू भले एक्टर बन गए लेकिन उन्हें आज भी अपने इंजिनियर होने पर नाज है. इसलिए उन्होंने अपने ट्वीटर के अबाउट मी सेक्शन में लिख रखा है – “Engineer/actor/producer from Moga”
माँ के करीब थे
सोनू अपनी माँ सरोज सूद के बेहद करीब थे. दुर्भाग्यपूर्ण उनकी माँ अब इस दुनिया में नहीं है. एक बार इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि मेरी माँ कॉलेज में प्रोफेसर थीं. मेरे स्कूल के कई टीचर्स को भी मेरी माँ ने ही पढ़ाया था. वे उन्हें अच्छे से जानते थे. इसलिए जब भी में शरारत करता था तो वे बोलते थे कि तुम्हारी मां प्रोफेसर हैं और तुम इतनी शरारतें करते हो.
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स्कूल में था माँ का डर
सोनू अपनी स्कूल लाइफ में जब भी मस्ती और शरारत करते थे तो उन्हें बस एक ही डर सताता था कि कहीं ये बात मेरी माँ को ना पता लग जाए. सोनू कहते हैं कि मेरी माँ बहुत सख्त नेचर की थीं. हालाँकि टीचर्स सोनू को पसंद करते थे इसलिए उनकी शिकायत माँ से नही करते थे.
कॉलेज में बन गए थे शरीफ
सोनू ने जिस डीएम कॉलेज में एडमिशन लिया था उनकी माँ वहीं अंग्रेजी की प्रोफ़ेसर थीं. इसलिए सोनू चाहकर भी कोई मस्ती नहीं कर पाते थे. वे कॉलेज में शरीफ बनकर ही रहते थे. यहाँ से पढ़ाई ख़त्म कर सोनू इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की डिग्री लेने नागपुर चले गए थे.
जब पहली बार गए घर से दूर
इंजीनियरिंग के दौरान सोनू पहली बार घर से दूर गए थे. उस दौरान माँ ने कहा था कि 4 साल का कोर्स है, हम इन्तजार करेंगे कि ये जल्दी बीत जाए. उस दौरान सोनू ने इंजीनियरिंग के साथ मॉडलिंग भी स्टार्ट कर दी थी. जब पहली बार उन्होंने घर वालो को बताया कि वे एक अभिनेता बनना चाहते हैं तो उन्हें घरवालो का पूरा सपोर्ट मिला. जब सोनू एक्टर बनने मुंबई गए तो माँ ने कहा कि जा रहा है तो एक्टर बनकर ही लौटना.
माँ की चिट्ठियों से मिलता था मोटिवेशन
सोनू जब मुंबई आए तो उन्हें तब कोई नहीं जानता था. काम भी आसानी से नहीं मिलता था. इससे सोनू का कॉन्फिडेंस कम हो जाता था. ऐसे में वे अपनी माँ की लिखी चिट्ठियों में कविता पढ़ मोटिवेट हुआ करते थे. सोनू ने एक बार माँ से कहा था कि अब तो चिट्ठी लिखने का फेशन नहीं है फिर क्यों लिखती हो? हम फोन पर रोज बात करते तो हैं. तब माँ ने जवाब देते हुए कहा था कि ये चिट्ठियां तुझे हमेशा मेरी याद दिलाएगी. जब भी तू डिमोटिवेट होगा तो ये तुझे मोटिवेट करेंगी. सोनू ने आज भी ये चिट्ठियां संभालकर रखी है.