अध्यात्म

मृत्युभोज पर खाना उचित है या अनुचित? इससे होने वाला नुकसान के बारे में भी जान लीजिये

हिंदू धर्म में जब भी किसी व्यक्ति का निधन होता है तो उसकी मौत के 13वें दिन ब्रह्मभोज(मृत्युभोज) का आयोजन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि मृत्यु उपरान्त भोज कराने से मरने वाले की आत्मा को शांति मिलती है. लेकिन क्या सच में मृत्युभोज कराना या फिर किसी की मृत्यु पर भोजन ग्रहण करने जाना उचित है? सोशल मीडिया पर भी ये टॉपिक पिछले काफी समय से चल रहा है. लोगो के अपने अपने तर्क है. कुछ विद्वानों का ये भी मानना है कि मृत्युभोज एक सामाजिक बुराई है. इसे जल्द से जल्द बंद किया जाना चाहिए. इन लोगो का तर्क है कि व्यक्ति की मौत के बाद परिवार वाले वैसे ही दुखी रहते हैं. ऐसे में तेहरवीं पर भारी खर्च कर वे कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं. इसके अलावा किसी दुखी व्यक्ति के घर जाकर भोजन कर तृप्त होना भी उचित नहीं लगता है. वहीं कुछ का ये भी मानना है कि इस व्यवस्था को समय के साथ हमने दिखावे के चक्कर में और भी विकृत बना दिया है.

क्या होता है मृत्युभोज

भारतीय वैदिक परम्परा में कुल 16 संस्कारों का जिक्र है. इसमें अंतिम संस्कार भी शामिल है. इसके अंतर्गत मनुष्य को अग्नि में जलाकर कपाल क्रिया और पिंडदान किया जाता है. वहीं स्थानीय मान्यताओं के अनुसार अंतिम संस्कार के 3-4 दिन बाद ही श्मशान से मृतक की अस्थियों का संचय किया जाना चाहिए. 7वीं या 8वें दिन अस्थियों का गंगा, नर्मदा या अन्य पवित्र नदी में विसर्जन होता है. फिर 10वें दिन घर की साफ सफाई और लिपाई पुताई का रिवाज है. इस क्रिया को दशगात्र कहा जाता है. 11वें दिन पीपल के वृक्ष के नीचे पूजन, पिंडदान व महापात्र को दान जैसी क्रियाएं होती है. यह एकादशगात्र कहलाता है. द्वादसगात्र यानी 12वें दिन गंगाजल पूजा होती है. इस दिन पूरे घर को गंगाजल छिड़क पवित्र किया जाता है. 13वें दिन तेरह ब्राम्हणों, पूज्य जनों, रिश्तेदारों और समाज के लोगों को भोजन कराने की मान्यता है. इसे ही मृत्युभोज कहा जाता है.

मृत्युभोज में खाना कितना उचित?

वर्तमान मान्यता यह कहती है कि मृतक के 13वें पर ब्राह्मण को भोजन कराने से उस व्यक्ति की आत्मा को शान्ति मिलती है. हालाँकि महाभारत के अनुशासन पर्व की माने तो किसी के मृत्युभोज में खाना ऊर्जा  नष्ट करता है. ये आपकी उर्जा के लिए हानिकारक होता है. इससे आपको हर हाल में बचना चाहिए. महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखे श्लोक ‘म्प्रीति भोज्यानि आपदा भोज्यानि वा पुनैः’ के अनुसार – जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो और खाने वाले का मन भी प्रसन्न हो, तभी भोजन ग्रहण करना चाहिए. यदि खिलाने वाला या खाने वाला दुखी हो, उसके दिल में दर्द – वेदना हो तो भोजन करना उचित नहीं है. यदि किसी परिवार में मृत्यु हुई है तो आप इस संकट की घड़ी में उनके साथ अवश्य खड़े रहें और तन, मन, धन से मदद भी करें. किन्तु उनकी बारहवीं या तेरहवीं पर मृत्युभोज का बहिष्कार करें.

वैसे इस बारे में आपकी निजी राय क्या है? क्या हमें किसी की 13वीं में मृत्युभोज करना चाहिए? या फिर इसका बहिष्कार करना उचित कदम होगा?

Back to top button
https://ndi.fda.moph.go.th/
https://bemfh.ulm.ac.id/id/ https://newstrend.news/swen/ https://rentohotels.com/ https://whlconsultants.com/ galaxy77bet
slot gacor slot demo
https://www.lifebeyondcertificate.com/wp-includes/200/ https://www.lifebeyondcertificate.com/wp-includes/scatter-hitam/
https://komunitas.bobotoh.id/wp-content/thailand/ https://komunitas.bobotoh.id/wp-content/dana/
https://heylink.me/marina77game/ https://heylink.me/oneplay77gala/ https://heylink.me/turbobet77login/ https://heylink.me/mustang77pro/ https://heylink.me/galaxy77betpro/ https://heylink.me/marvel77game/ https://heylink.me/taipan77login/ https://heylink.me/republik77alter/ https://heylink.me/binjaiplay77-login/ https://heylink.me/dutaslot77-loginn/ https://heylink.me/doremiplay77-login/ https://heylink.me/slotnesia77-loginn/ https://heylink.me/mandala77_login/ https://heylink.me/arenaslot77_login/ https://heylink.me/arenabet77-login/ https://heylink.me/Sultanbet77.daftar/ https://heylink.me/sultanplay77.login/ https://heylink.me/marina77game/ https://heylink.me/kotacuanplay/ https://heylink.me/play77betpro/ https://heylink.me/tokofun/ https://heylink.me/fun77betpro/ https://heylink.me/captain77warrior/ https://heylink.me/Jaguar77pro/ https://heylink.me/thebestmustang77/ https://heylink.me/tokoholyplay/ https://heylink.me/rukocuan/ https://heylink.me/indopedia77pro/ https://heylink.me/tokoindofun17/ https://heylink.me/sultanbet77gaming/ https://heylink.me/sultanplay77gaming/ https://heylink.me/oneplay77alternatif/ https://heylink.me/marina77maxwin/ https://heylink.me/play77alternatif/ https://heylink.me/cukongplay77gaming/ https://heylink.me/playwin77-/ https://lynk.id/play77new https://lynk.id/fun77new https://lynk.id/captain77 https://lynk.id/jaguar77new https://lynk.id/mustang77new https://lynk.id/indopedia77new misteritogel galaxy77bet galaxy77bet https://104.219.251.144/ https://www.incolur.cl/ galaxy77bet galaxy77bet https://galaxy77bet-jaya.com/ https://138.68.164.8/ https://137.184.36.152/ https://139.59.119.229/
https://www.nuovamazzucchelli.com/wp-content/thai/ https://www.nuovamazzucchelli.com/wp-content/xgacor/ https://www.mscba.org/hitam/ https://www.priboi.news/wp-includes/thailand/ https://www.tecnocontrol.cl/ https://www.quiporte.it/ https://www.mariscosgontelo.com/ https://presensi.upstegal.ac.id/ https://perpus.stik-sintcarolus.ac.id/ http://rengo921.lionfree.net/ https://www.desmaakvanitalie.nl/thailand/ https://b-happyrealisatie.com/ https://b-smartfundering.com/ http://context2.ai/ slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor https://www.mmsu.edu.ph/storage/uploads/xgacor/ https://alumni.mmsu.edu.ph/storage/uploads/hitam/ https://sas.mmsu.edu.ph/storage/uploads/thailand/ https://ieg.mmsu.edu.ph/storage/uploads/pulsa/