केदार रुद्रनाथ मंदिर :भगवान शिव के मुख की पूजा यहां, बाकी हिस्से की पूजा होती है नेपाल में
भारत देश के हर कोने में भगवान शिव जी के मंदिर मौजूद हैं, जहां पर श्रद्धालु दर्शन करने के लिए रोजाना ही भारी संख्या में आते हैं, सनातन धर्म में भगवान शिव जी को प्रमुख देवों में से एक माना जाता है, भगवान शिव जी देवों के देव हैं और यह संहार के देवता कहे जाते हैं, देशभर के कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं जहां पर भगवान शिव जी के साक्षात दर्शन होने का प्रतीत होता है, आज हम आपको भगवान शिव जी के एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिस मंदिर के अंदर भगवान शिव जी के सिर्फ मुख की पूजा की जाती है और इनके शरीर का बाकी हिस्सा नेपाल में है, जहां पर इनके शरीर के बाकी हिस्सों की पूजा होती है।
हम आपको भगवान शिव जी के जिस मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं, यह मंदिर उत्तराखंड की पहाड़ियों में स्थित है, जो कि श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है, जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं, उत्तराखंड राज्य अध्यात्म का केंद्र है और इसको देवभूमि के नाम से भी दुनिया भर में लोग जानते हैं, यहां पर भगवान भोलेनाथ का एक प्राचीन मंदिर है, जिसको “केदार रुद्रनाथ मंदिर” के नाम से जाना जाता है, यह मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है, रुद्रनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3600 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है, इस मंदिर के अंदर भगवान शिव जी के पूरे शरीर की नहीं बल्कि केवल इनके मुख की पूजा की जाती है और सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि भगवान भोलेनाथ के मुख को छोड़कर शरीर के बाकी भाग नेपाल के काठमांडू में है, जहां पर इसकी लोग पूजा करते हैं।
भगवान शिव जी का रूद्रनाथ मंदिर अन्य शिव मंदिरों से बिल्कुल भिन्न बताया जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि शिवजी के बाकी मंदिरों के अंदर शिवलिंग की पूजा होती है परंतु इस मंदिर के अंदर केवल इनके मुख की पूजा लोग करते हैं, भगवान शिव जी के मुख को “नीलकंठ महादेव” के नाम से भी लोग जानते हैं, इस मंदिर के पास विशाल प्राकृतिक गुफा के अंदर बने मंदिर में भगवान शिव जी की दुर्लभ पाषाण मूर्ति के दर्शन किए जा सकते हैं, यहां पर भगवान शिव जी के मुख की जो मूर्ति स्थित है उसकी गर्दन टेढ़ी है, ऐसा बताया जाता है कि भोलेनाथ की यह मूर्ति स्वयंभू है, आज तक इसकी गहराई का किसी को भी पता नहीं लग पाया है, इसके पास में ही वैतरणी कुंड में विष्णु जी के दर्शन किए जा सकते हैं।
भगवान शिव जी के इस प्राचीन मंदिर की यात्रा ऐतिहासिक स्थल गोपेश्वर से आरंभ होती है, आप यहां पर प्राचीन गोपीनाथ मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं, जो श्रद्धालु यहां पर आता है वह यहां पर पावन लोह त्रिशूल के दर्शन अवश्य करता है, इसके पश्चात भक्त पैदल यात्रा करते हैं, सगर गांव से करीब 4 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने के बाद मुख्य यात्रा आरंभ हो जाती है, इसके बाद पुंग बुग्याल और चढ़ाईया पार करनी होती है, तब पित्रधार नामक स्थान आता है, जहां पर भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती जी के साथ नारायण मंदिर स्थित है, पित्रधार जब श्रद्धालु पहुंच जाता है तब उसकी चढ़ाई समाप्त हो जाती है, तब 10 से 11 किलोमीटर चलने के बाद रुद्रनाथ मंदिर के दर्शन भक्त करते हैं।
अगर आप भगवान शिव जी के रुद्रनाथ मंदिर में जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश जाना होगा, ऋषिकेश से करीब 212 किलोमीटर की दूरी पर ही रुद्रनाथ मंदिर स्थित है, आप यहां पहुंचने के लिए रेल, बस और हवाई सेवा का प्रयोग कर सकते हैं।