सोनू सूद ने बताया वो क्यों कर रहे हैं प्रवासी मजदूरों की मदद, खोला सालों पुराना राज़
सोनू सूद, जिन्होंने हिंदी के साथ तेलुगु और तमिल फिल्मों में भी अपनी खास पहचान बना ली है, इस वक्त उन्हें पूरे देश से प्यार मिल रहा है. इसकी वजह यह है कि लॉकडाउन के दौरान वे गरीब मजदूरों के मसीहा के रूप में सामने आए हैं. सोनू सूद को गरीब मजदूरों की मदद करते हुए देखा जा रहा है. सोनू सूद कभी प्रवासी मजदूरों को खाना बांटते दिख रहे हैं, तो कभी उनके लिए बसों का इंतजाम कर रहे हैं. प्रवासी मजदूर सोनू से मदद पाकर उन्हें धन्यवाद कह रहे हैं.
कई प्रवासी मजदूर इन दिनों सोशल मीडिया पर सोनू सूद को टैग करके उन्हें थैंक्स भी कह रहे हैं. सिर्फ मजदूर ही नहीं, बल्कि उनकी तारीफ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी की है. इसके बाद सोनी सूद ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया, ताकि कोई भी व्यक्ति मदद के लिए डायरेक्ट उनकी टीम से संपर्क कर सके.
सोनू इस बारे में कहते हैं, “मुझे हर दिन हजारों फोन आ रहे थे. मेरे दोस्त और परिवार के लोग मदद मांगने वालों से उनका पूरा विवरण ले रहे थे, लेकिन फिर भी लग रहा था कि कहीं कुछ कमी है और ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें मदद की जरूरत है, लेकिन वह हम तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, लिहाजा हमने यह कॉल सेंटर खोलने का फैसला किया”.
बता दें, जब लॉकडाउन शुरू हुआ तभी उन्होंने मन बना लिया था कि वे जरूरतमंदों को खाना बांटेंगे. उन्होंने 500 लोगों से भोजन और किराने का सामान बांटने की शुरुआत की. धीरे-धीरे यह आंकड़ा 45 हजार तक पहुंच गया. इस लिस्ट में झुग्गी बस्तियों में रहने वाले, सड़कों पर फंसे और राजमार्गों पर पैदल चलने वाले लोग शामिल हैं.
सोनू ने यह भी बताया कि हर दिन उन्हें पूरे भारत से लगभग 56 हजार मैसेजेज आ रहे हैं. सोनू का जन्म 30 जुलाई, 1973 को लुधियाना के मोगा में हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा सेक्रेड हार्ट स्कूल में हुई और इसके बाद वे अपनी आगे की पढ़ाई के लिए नागपुर चले गए. यहां के यशवंतराव चव्हाण कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से उन्होंने डिग्री ली.
सोनू को फिल्मों में काम करने का शौक बचपन से ही था और उनका यही शौक एक दिन उन्हें मुंबई खींच ले आया. आज अपनी मेहनत के दम पर वह अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं. 2010 की सुपरहिट फिल्म दबंग में खलनायक का किरदार निभाकर उन्हें सबसे ज्यादा लोकप्रियता मिली. इस रोल के लिए उन्होंने कई प्रतिष्ठित अवार्ड भी जीते.
सोनू ने कहा कि एक दिन ऐसा था जब वह मायानगरी मुंबई आये थे तब उनके पास कुछ भी नहीं था. उनकी जेब में फूटी कौड़ी भी नहीं थी, इसलिए वे प्रवासी मजदूरों का दर्द समझ सकते हैं. यही वजह है कि उन्होंने ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को उनके घर पहुंचाने का प्रण लिया है. सोनू की वजह से हर दिन कई बसे प्रवासी मजदूरों को लेकर देश के दूर दराज राज्यों के लिए रवाना हो रही हैं. सोशल मीडिया पर भो लोग सोनू के इस सराहनीय कदम की तारीफ कर रहे हैं. वहीं, सोनू भी लोगों से इस बेशुमार प्यार को पाकर अभिभूत हैं.
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