डायमंड नमकीन: 5 रुपये का पैकेट बेच अमित कुमात ने ऐसे खड़ा कर दिया 850 करोड़ का कारोबार
5 रुपये का पैकेट बेच ऐसे खड़ा कर दिया 850 करोड़ का कारोबार, छुड़ाए विदेशी ब्रांड्स के छक्के
कोरोना महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर मंडराते संकट को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लोगों से Vocal for Local बनने की अपील की गई थी। हालांकि, प्रधानमंत्री की इस अपील से पहले ही देश में ऐसे कई लोग हैं, जो वोकल फॉर लोकल बनते आ रहे हैं। इंदौर के अमित कुमात (Amit Kumat), अपूर्व कुमात (Apurva Kumat) और अरविंद मेहता (Arvind Mehta) ऐसे ही हीरो हैं, जिन्होंने नमकीन का कारोबार करके आज अपने व्यापार को इतना बड़ा बना लिया है कि घरेलू बाजार में इन्होंने विदेशी ब्रांड्स के तो छक्के ही छुड़ा दिए हैं।
शुरु किया नमकीन का कारोबार
नमकीन का व्यवसाय भारत में अच्छा चल रहा है और इस साल 35 हजार करोड़ के पार भी यह चला गया है। ऐसे में इस क्षेत्र में संभावनाओं को भांपते हुए इन युवाओं ने वर्ष 2003 में ही ठान लिया था कि वे नमकीन का एक बड़ा कारोबार खड़ा करेंगे। इस तरह से उन्होंने उसी साल प्रताप नमकीन के नाम से स्नैक फूड कंपनी की शुरुआत कर दी थी और आज यह नमकीन के क्षेत्र की सबसे अग्रणी कंपनियों में से एक बन गई है।
करोड़ों का टर्नओवर
इसमें कोई शक नहीं कि बड़े विदेशी ब्रांड्स ने भी भारत में नमकीन के क्षेत्र में अपने पैर काफी गहरे पसारे हुए हैं, लेकिन कई क्षेत्रीय ब्रांड्स जो कि उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं, उनमें से अमित, अपूर्व और अरविंद की प्रताप नमकीन भी एक है। अपने स्वाद से इनकी नमकीन ने ग्राहकों का दिल तो जीत ही लिया है, मगर साथ में करोड़ों रुपए का टर्नओवर भी इनकी कंपनी कर रही है और विदेशी ब्रांड्स को घरेलू बाजार में कांटे की टक्कर दे रही है।
बन चुका है विशाल नेटवर्क
वर्ष 2003 में जो यह कंपनी शुरू हुई थी, आज 850 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर इसका हो चुका है। आज देशभर में इसके 4 कारखाने हैं। 24 राज्यों में इसके 168 स्टोरहाउस हैं। साथ ही 2900 वितरक भी हैं। इस तरीके से इन तीनों युवाओं की इस कंपनी का एक विशाल नेटवर्क तैयार हो चुका है। अमित इस बारे में बताते हैं कि 10 वर्षों तक एक स्नैक्स कंपनी में काम करने के बाद वर्ष 2001 में कारोबार में दाखिल होने का निर्णय उन्होंने ले लिया था। रसायन विनिर्माण से शुरुआत की थी, लेकिन एक साल के अंदर ही 6 करोड़ का कर्ज उनकी कंपनी पर होने के बाद इस कारोबार को बंद करने पर उन्हें मजबूर होना पड़ा था।
इस तरह रख दी नींव
शुरुआती नाकामयाबी से पैसों और सम्मान का नुकसान तो जरूर हुआ, पर अमित ने अपने भाई अपूर्व और दोस्त अरविंद के साथ मिलकर नमकीन की कंपनी शुरू करने का निर्णय ले ही लिया और 15 लाख रुपए यहां-वहां से इकट्ठा करके अपने सपनों की नींव इन्होंने रख दी। आज इसी नमकीन के 5 रुपये के पैकेट को बेचते हुए अमित, अपूर्व और अरविंद की कंपनी घरेलू बाजार में कई विदेशी कंपनियों को जोरदार टक्कर देते हुए करोड़ों का कारोबार कर रही है।
येलो डायमंड के नाम से पेश किया नया ब्रांड
कंपनी का टर्नओवर तीन साल में 7 करोड़ के पार पहुंच गया। ऐसे में इसकी कामयाबी को देखते हुए मुंबई में 2006 में अपने व्यापार का विस्तार करने की योजना अमित ने बना ली। राष्ट्रीय स्तर 2006 से 2010 के बीच बालाजी वेफर्स और हल्दीराम जैसे कई घरेलू ब्रांच से प्रतिस्पर्धा करते हुए पूरे देश को लक्ष्य बनाने की बजाय एक क्षेत्र पर विस्तार करने पर अमित ने बल दिया। खुद का विनिर्माण संयंत्र 2011 में स्थापित करने में वे कामयाब हुए और नए ब्रांड को येलो डायमंड के नाम से पेश किया। साथ ही 150 करोड़ के पार टर्नओवर को पहुंचा दिया। बाजार में हिस्सेदारी का उनकी कंपनी का प्रतिशत भी 2010 के 1 प्रतिशत से बढ़कर 2015 में 4 प्रतिशत हो गया। अमित का लक्ष्य अब देश के स्नेक्स मार्केट में कम-से-कम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने का है, जिसके लिए कंपनी की ओर से अपना आईपीओ भी निकाल दिया गया है।
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