हांगकांग को लेकर दुनिया हुई 2 फाड़, रूस ने किया चीन का सपोर्ट तो अमेरिका ने किया विरोध
चीन देश द्वारा बनाए गए हांगकांग सुरक्षा कानून का विरोध कई सारे देशों ने किया है और ये मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तक पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका ने चीन सरकार की और से बनाए गए हांगकांग सुरक्षा कानून पर नाराजगी जताई है, जिसमें अमेरिका का साथ ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा समेत तमाम पश्चिमी देशों ने दिया है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य रूस ने इस मुद्दे पर चीन के साथ दोस्ती निभाई है और इस कानून को लेकर चीन का समर्थन किया है।
क्या है पूरा घटनाक्रम
चीन की संसद में गुरुवार को हांगकांग में एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने का प्रस्ताव पारित हुआ है और इस प्रस्ताव को लेकर ही चीन का विरोध किया जा रहा है। इस कानून को हांगकांग में मानवाधिकार का उल्लंघन बताया जा रहा है। ये मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया गया है और इस मसले में अमेरिका जहां चीन के खिलाफ नजर आया, वहीं रुस ने चीन के साथ अपनी दोस्ती का फर्ज निभाते हुए इस कानून का समर्थन किया।
हांगकांग हमारा आंतरिक मामला -चीन
हांगकांग के नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के मुद्दे को सुरक्षा परिषद में उठाने को लेकर चीन ने विरोध किया था। लेकिन इसके बाद भी ये मुद्दा सुरक्षा परिषद में उठाया गया। चीन का कहना है कि हांगकांग का ये मामला चीन का आंतरिक मामला है। इस पर किसी देश को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। लेकिन इसके बाद भी सुरक्षा परिषद के सदस्यों द्वारा वीडियो क्रांफ्रेंसिंंग के जरिए इस पर मसले पर अनौपचारिक चर्चा हुई। जहां पर अमेरिका सहित कई सारे देशों ने इस कानून को सही नहीं माना है। जिससे चीन पर हांगकांग सुरक्षा कानून को खत्म करने का जबरदस्त अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया गया है।
रूस ने दिया चीन का साथ
इस चर्चा के दौरान रूस और चीन के राजनयिकों ने मानवाधिकार मुद्दे पर अमेरिका को घेरते हुए अफ्रीकी-अमेरिकी व्यक्ति की हत्या पर अमेरिका की आलोचना की। इतना ही नहीं रूस के उप संयुक्त राष्ट्र के राजदूत दिमित्री पॉलानस्की ने परिषद की चर्चा के बाद ट्विटर पर एक पोस्ट भी किया, जिसमें कहा गया कि अमेरिका ने हांगकांग में शांति और व्यवस्था के लिए चीन के अधिकार को नकार दिया है।
अमेरिका पर बरसा चीन
चीन के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत झांग जून ने इस बैठके के बाद अमेरिका के खिलाफ बयान दिया और ये बयान देते हुए कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन को अपने स्वयं के व्यवसाय को ध्यान देना चाहिए। चीन के आंतरिक मामले के हस्तक्षेप की कोई रणनीति और योजना निष्फल होगी।
अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी जारी किया बयान
अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की और से भी गुरुवार को हांगकांग राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने को लेकर एक संयुक्त बयान जारी किया गया, जिसमें इन देशों ने इस कानून को लेकर गहरी चिंता जाहिर की और कहा की ये कदम ‘एक देश, दो प्रणालियों’ ढांचे को कमजोर करेगा। इस कानून से चीन के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के साथ संघर्ष तेज होगा। इस कानून से हांगकांग पर मानवाधिकार का खतरा है।