स्कूटी से बंगाल जा रही मां-बेटी ने सुनाई आपबीती, कहा- रास्ते में लोगों ने दी गाली पर बनारस..
देश में चल रही महामारी ने इन दिनों सभी के काम-धंधों को ठप कर दिया है. लोगों की नौकरियां जा रही हैं और लोग घर जाने को मजबूर हैं. दिल्ली और मुंबई में हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं. कुछ इंतजार कर रहे हैं कि वे किसी तरह घर पहुंच जाएं तो कुछ अपना बोरिया बिस्तर लेकर अकेले ही अपने घर की तरफ निकल पड़े हैं. इसी बीच कुछ मजदूरों के मरने की भी खबरें सामने आईं. ये लोग निकले तो थे अपने घर जाने लेकिन इतना लंबा रास्ता तय नहीं कर पाए और बीच में ही जान निकल गयी. हालांकि, ये कहानी सिर्फ मजदूरों की नहीं है. मजदूरों के अलावा आम लोग भी अलग-अलग जगहों पर फंसे हुए हैं और अपने-अपने घर जाने को बेताब हैं.
इसी कड़ी में एक मां बेटी की जोड़ी गुरुग्राम से पश्चिम बंगाल का रास्ता तय करते हुए बनारस पहुंच गयी. जब वहां के स्थानीय लोगों को दोनों के बारे में पता चला तो उन्होंने उन्हें खाने के लिए भोजन दिया. अपने लिए बनारस वालों का प्यार और आदर-सत्कार देखकर मां-बेटी की आंखें भर आई. मां-बेटी ने स्थानीय लोगों से बताया कि यात्रा के दौरान उन्हें किन मुश्किलों से गुजरना पड़ा है. रास्ते में आई परेशानियों के बारे में बात करते हुए मां-बेटी की आंखें नम हो गईं.
16 साल की श्रीलेखा अपनी मां संग बनारस के रोहनिया में अखरी बाईपास के पास गुरुवार को पहुंची. तीन दिन पहले दोनों गुरुग्राम से निकली थीं. मां-बेटी मूल रूप से पश्चिम बंगाल की रहने वाली हैं. उनकी मंजिल पश्चिम बंगाल है. श्रीलेखा ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उनका पूरा परिवार गुरुग्राम में फंसा हुआ है. श्रीलेखा गुरुग्राम में रहकर बच्चों के केयर टेकर का काम करती हैं. वहीं, उनकी मां काजल लोगों के घर में साफ़-सफाई करती हैं. इसी तरह से दोनों अपने परिवार का गुजर बसर कर रही हैं.
25 तारीख को श्रीलेखा और उनकी मां काजल घर के कुछ समान के साथ पश्चिम बंगाल के लिए निकली थीं. 3 दिन के सफ़र के बाद दोनों बनारस पहुंची. बनारस पहुंचकर दोनों ने वहां के लोगों से अपनी आपबीती सुनाई. उन्होंने बताया कि उन्होंने बनारस तक का सफ़र कितनी मुश्किलों से तय किया है. दोनों को खाने और सोने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि जब भी वह सोने के लिए कोई जगह ढूंढते तो स्थानीय लोग गाली गलौज करने लगते और पुलिस बुलाने की धमकी देते.
श्रीलेखा ने बताया कि 3 दिन के सफ़र के बाद वह पहली बार बनारस रुकीं और यहां के लोगों का प्यार देख उन्हें अपने घरवालों की याद आ गयी. बनारस के लोगों ने भूखी मां-बेटी को पेटभर भोजन कराया और रास्ते में ले जाने के लिए पर्याप्त खाना भी पैक किया. बनारस वासियों के इस प्रेम भाव को देखकर मां-बेटी की आंखें भर आईं. दोनों ने कहा कि ये उनके जीवन का सबसे यादगार दिन है. वे इस दिन को कभी नहीं भूलेंगी. बाबा की नगरी में अनजान लोगों से इतना प्रेम और स्नेह पाकर दोनों बहुत खुश हैं. दोनों का मानना है कि यहां तक पहुंचने के बाद अगर बाबा की कृपा हुई तो वे जल्द घर भी पहुंच जाएंगी.
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