बेटे के साथ घर लौट रहे पिता ने रास्ते में तोड़ा दम, विडियो कॉल पर मां को कराये अंतिम दर्शन
कोरोना महामारी की वजह से पैदा हुए विश्वव्यापी संकट की वजह से देशवासियों को ऐसे-ऐसे दिन देखने पड़ रहे हैं, जिनकी कल्पना उन्होंने कभी सपने में भी नहीं की थी। विशेष तौर पर वैसे मजदूर, वैसे श्रमिक, वैसे किसान, जिनकी रोजी-रोटी ही हर दिन की जाने वाली कमाई पर निर्भर रहती है, उन पर तो जैसे इस वक्त मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। लॉकडाउन की वजह से जो मजदूर बाहर फंसे हैं और अब किसी तरीके से अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं, उनमें से कई इतने अभागे हैं कि घर तक पहुंचने से पहले ही जिंदगी उनसे रूठ जा रही है। कुछ ऐसा ही ओडिशा लौट रहे एक मजदूर के साथ हुआ है, जिसकी ट्रेन में ही तबीयत बिगड़ने के कारण मौत हो गई।
कहां सोचा होगा कि ये अंतिम यात्रा होगी
ओडिशा का रहने वाला था प्रफुल स्वाईं। कई साल पहले कमाने के लिए गुजरात के सूरत चला गया था। एक मिल में काम करके जो पैसे जमा हो रहे थे, उससे न केवल अपना पेट भरता था, बल्कि ओडिशा के महासमुंद में रह रहे अपने परिवार को भी पैसे भेजता था, ताकि घर का गुजारा चल सके। कोरोना संकट की वजह से जब लॉकडाउन हुआ और मिल बंद हो गई तो ऐसे में जीवन-यापन पर मंडराते संकट को देख घर लौटने का फैसला तो इस मजदूर ने जरूर कर लिया, पर उसने यह नहीं सोचा था कि घर पहुंचने से पहले ही यह उसकी जिंदगी की अंतिम यात्रा साबित होगी।
जाना था घर, दुनिया से चले गये
बीते मंगलवार को जब एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन गुजरात के सूरत से ओडिशा के लिए चली तो प्रफुल भी इस ट्रेन में अपने घर जाने के लिए सवार हो गया। उसका बेटा अनिल और परिवार के कुछ अन्य लोग भी साथ में यात्रा कर रहे थे। प्रफुल यह सोच कर खुश था कि चलो अब कम-से-कम घर पहुंच जाएंगे तो कुछ भी करके पेट तो पाल ही लेंगे। शायद यही वजह थी कि अपने बेटे से उसने कहा था कि अब हम कभी भी बाहर नहीं जाएंगे। जैसे भी बन पड़ेगा अपने गांव में ही रहेंगे और मेहनत करके कमा लेंगे। पर नियति को कुछ और ही मंजूर था। इससे पहले कि यह मजदूर महासमुंद पहुंच पाता, उससे पहले ही जिंदगी ने उसका साथ छोड़ दिया। जिस घर को देखने की चाहत लिए वह सूरत से चला था, उसे देखने की तमन्ना दिल में दबाए ही वह हमेशा के लिए इस संसार से रुखसत हो गया।
वीडियो कॉल पर पत्नी ने देखा अंतिम संस्कार
अब जरा इस कोरोना काल की निष्ठुरता तो देखिए कि अपने पति का अंतिम संस्कार भी उसकी पत्नी को वीडियो कॉल पर देखना पड़ा। महासमुंद के मुक्तिधाम में बेटे ने नम आंखों से अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। बार-बार बेटा अनिल यही कह रहा था कि पापा ने कहा था कि अब दोबारा कभी बाहर नहीं जाएंगे, लेकिन वे तो बहुत दूर चले गये।
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