कुष्मांडा मंदिर: पिंडी से लगातार रिसता है पानी, जिस के सेवन से असाध्य बीमारी भी हो जाती है ठीक
माता का अनोखा और रहस्य से भरा दरबार, यहां मत्था टेकने वाले भक्तों की मुरादें हो जाती है पूरी
ऐसा कहा जाता है कि माता रानी अपने सभी भक्तों का उद्धार करती है, जो भी माता की शरण में जाता है उसका बेड़ा पार होता है, देशभर में माता रानी से जुड़े हुए बहुत से मंदिर मौजूद हैं, जिनकी अपनी-अपनी विशेषता बताई गई है, इन मंदिरों में बहुत से रहस्य छुपे हुए हैं, जिनका अभी तक किसी को भी पता नहीं है, लेकिन आज हम आपको देवी मां के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जहां पर माता का स्वरूप पिंड लेटी हुई मुद्रा में है और यहां पिंडी से लगातार पानी रिसता रहता है ऐसा माना जाता है कि यह हर मर्ज की दवा है।
हम आपको माता के जिस दरबार के बारे में जानकारी दे रहे हैं, यह कानपुर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर घाटमपुर में है, जिसको मां कुष्मांडा देवी के मंदिर के नाम से जाना जाता है, अगर हम शिव पुराण के मुताबिक देखे तो माता सती के मायके में उनके पिता राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था, इस यज्ञ में राजा ने सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया था परंतु इन्होंने भोलेनाथ को निमंत्रण नहीं भेजा, लेकिन माता सती शिव जी की आज्ञा के बिना ही यज्ञ में शामिल हो गई थी, तब राजा दक्ष ने भगवान शंकर को भला बुरा कहने लगे, जिसकी वजह से माता सती को अत्यधिक क्रोध आया और वह यज्ञ में कूद गई, यज्ञ में कूदकर उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी, ऐसा बताया जाता है कि माता सती के अलग-अलग स्थानों पर अंग गिरे थे माता सती का चौथा अंग घाटमपुर में गिरा था, इसी स्थान पर मां कुष्मांडा विराजमान है।
इस मंदिर के बारे में एक पौराणिक कथा भी बताई जाती है, ऐसा कहा जाता है कि कुढाहा नाम का एक ग्वाला यहां पर गाय चराने के लिए आता था, लेकिन उसकी गाय झाड़ी के अंदर दूध गिरा दिया करती थी, रोजाना नियमित रूप से गाय अपना सारा दूध झाड़ियों में गिरा देती थी, एक दिन कुढाहा ने यह सारी घटना देखी, तब उसने उस स्थान पर खुदाई की, खुदाई के दौरान उसको वहां पर एक मूर्ति मिली उसने काफी खुदाई की परंतु इस मूर्ति का अंत उसको नहीं मिल पाया, ग्वालियर को यह सब देखने के बाद काफी आश्चर्य हुआ था तब उसने गांव वालों को इस घटना के बारे में सारी जानकारी दी थी।
माता के इस स्थान पर इनकी पिंडी का स्वरूप लेटी हुई मुद्रा में है, मां कुष्मांडा की इस पिंडी से लगातार पानी रिसता रहता है, जिसके बारे में वैज्ञानिकों ने खोज की, परंतु इसका रहस्य अभी तक नहीं पता लगा, पिंडी से निकलने वाले पानी को लोग माता का प्रसाद मानकर इसका सेवन करते हैं, यहां के पुजारी का ऐसा कहना है कि यदि सूर्य उदय से पहले स्नान करने के पश्चात 6 महीने तक इस पानी का सेवन किया जाए तो असाध्य बीमारी भी ठीक हो जाती है।
मां कुष्मांडा के इस मंदिर में जो तालाब बना हुआ है उसका पानी कभी भी नहीं सूखता है, ऐसा बताया जाता है कि बारिश हो या ना हो परंतु इस तालाब पर इसका कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है, यहां पर जो भक्त माता के दर्शन करता है उसकी माता सभी मनोकामनाएं पूरी करती है, दूर-दूर से माता के दरबार में लोग मत्था टेकने आते हैं।