बिहार की बेटी पर फिदा हुई इंवाका ट्रंप, तारीफ में कह डाली इतनी बड़ी बात
एक बिहारी सब पर भारी। ये कहावत बिहार के दरभंगा जिले की बेटी ज्योति पर फिट बैठती है। उनके हौसले और हिम्मत की कहानी अब सात समंदर पार अमेरिका तक पहुँच गई है। ज्योति के हिम्मत की तारीफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इंवाका ट्रंप ने की। इंवाका ट्रंप ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ज्योति के हौसले की कहानी को साझा किया है। अब आपके दिमाग में ये आ रहा होगा कि, आखिर ये ज्योति है कौन, जिसकी कहानी इंवाका ट्रंप जैसी शख्सियत ने शेयर की है। आइये जानते हैं कि आखिर कौन है ज्योति और क्या है उसकी पूरी कहानी…
ज्योति गुड़गांव से दरभंगा साइकिल से पहुँची
दरअसल, ज्योति बिहार के दरभंगा जिले के सिरहुल्ली गांव की रहने वाली हैं और उसने अपने बीमार पिता को लेकर साइकिल से गुड़गांव से दरभंगा पहुँच गई। आपको जानकर हैरानी होगी कि गुड़गांव से दरभंगा की दूरी 1200 किलोमीटर है। इस पूरे सफर को ज्योति ने बड़े ही हौसले और हिम्मत से पूरा किया है। ज्योति की कहानी इस समय सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही है और ये कहानी अब अमेरिका तक पहुँच गई। और इंवाका ट्रंप को इस कहानी ने इतना प्रभावित किया कि उन्होंने इस कहानी को ट्विटर पर साझा कर दिया।
ज्योति की खबर सामने आते ही कई संगठन और संस्थाएं उसके परिवार की सहायता के लिए आगे आ चुके हैं। गौरतलब हो कि ज्योति कक्षा आठवीं की छात्रा हैं। लिहाजा ज्योति के आगे की पढ़ाई को लेकर भी कई संस्थाओं ने मदद का आश्वासन दिया है।
15 yr old Jyoti Kumari, carried her wounded father to their home village on the back of her bicycle covering +1,200 km over 7 days.
This beautiful feat of endurance & love has captured the imagination of the Indian people and the cycling federation!?? https://t.co/uOgXkHzBPz
— Ivanka Trump (@IvankaTrump) May 22, 2020
साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने दिया न्योता
दरभंगा की हिम्मती बेटी ज्योति ने बताया कि उसे शुक्रवार को साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया से एक कॉल आया था। बता दें कि फेडरेशन के चेयरमैन ओंकार सिंह ने ज्योति को अगले महीने साइकिलिंग के ट्रायल के लिए बुलाया है और उसे इस हौसले भरे काम के लिए शाबाशी दी है। इसके अलावा शुक्रवार को ही राढ़ी पश्चिमी पंचायत के पकटोला स्थित डॉ. गोविंद चंद्र मिश्रा एजुकेशनल फाउंडेशन ने भी ज्योति और उसके पिता की हरसंभव मदद करने का भरोसा दिया है। फाउंडेशन ने ज्योति को निशुल्क शिक्षा देने का वादा किया, तो वहीं उसके पिता मोहन पासवान को नौकरी की पेशकश की है।
दरभंगा पहुँचने में लगे आठ दिन
गुड़गांव से दरभंगा की दूरी 1200 किलोमीटर है। इस दूरी को ज्योति ने आठ दिन में पूरा किया है। बता दें कि ज्योति के पिता बीमार थे और ज्योति अपने पिता की सहायता के लिए गुड़गांव गई हुई थी। इसी बीच मार्च के महीने में सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन घोषित कर दिया, इस वजह से ज्योति गुड़गांव में ही फंस कर रह गई। लॉकडाउन की वजह से काम भी बंद हो गया, ऐसे में ज्योति और उसके पिता के पास खाने को भी कुछ नहीं रह गया था। इसी बीच पीएम राहत कोष से एक हजार रूपए ज्योति के पिता के बैंक खाते में जमा हुए और ज्योति ने कुछ और पैसे मिलाकर एक पुरानी साइकिल खरीदी। इसके बाद ज्योति ने ये निर्णय लिया कि साइकिल पर पिता को बिठाकर गांव ले जाना है, जब ये बात बेटी ने अपने पिता को बताई, तो उन्होंने सुनते ही ना कर दिया, लेकिन बेटी के हौसले को देखते हुए पिता ने अपने फैसले को बदला और हां किया। पिता से अनुमति मिलने के बाद ज्योति ने आठ दिनों तक साइकिल चलाया और आखिरकार पिता को लेकर गुड़गांव से अपने गांव यानी दरभंगा के सिरहुल्ली पहुँच गई।