नेपाल के पीएम ने भारत को दिखाए तेवर, कहा-वापस लेंगे अपने इलाके, कोई नाराज हो हमें फर्क नहीं पड़ता
नेपाल के पीएम ने भारत का नाम लिए बिना एक बयान देते हुए कहा है कि अगर उनसे कोई नाराज होता है तो उन्हें इस चीज से फर्क नहीं पड़ता है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली की और से ये बयान मंगलवार को आया है। भारत को तेवर दिखाते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने कहा है कि तिब्बत, चीन और भारत से सटे कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा को किसी भी कीमत पर वापस लीया जाएगा। भारत का नाम लिए बिना ओली ने कहा, अब हम लगातार इन इलाकों को कूटनीतिक जरिए से वापस लाने में लगे हुए हैं और अगर इससे कोई नाराज होता है तो हमें इस चीज से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
नेपाल की संसद में दिया ये बयान
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने मंगलवार को ये बयान नेपाल की संसद में दिया है। भाषण देते हुए इन्होंने नेपाल की कैबिनेट द्वारा बनाए गए नए राजनीतिक नक्शे का भी जिक्र किया और भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद पर ये खूब बोले।
हम जो करते हैं, खुद करते हैं- ओली
लिपुलेख में भारत की और से किए गए सड़क निर्माण पर इंडियन आर्मी चीफ एमएम नरवणे ने एक बयान देते हुए कहा था कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा पर नेपाल के विरोध के पीछे किसी और का हाथ है। दरअसल आर्मी चीफ एमएम नरवणे ने बिना नाम लिए चीन देश की और इशारा किया था। वहीं एमएम नरवणे के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जो भी करते हैं, खुद ही करते हैं। भारत के साथ दोस्ताना संबंध रखना चाहते हैं। मैं ये भी पूछना चाहता हूं कि भारत की नीति क्या है? सीमामेव जयते या सत्यमेव जयते?
वहीं चीनी राजदूत होउ यान्की द्वारा ओली की मदद करने के आरोप पर भी इन्होंने बयान देते हुए कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि एक विदेशी राजदूत ने उनकी कुर्सी बचाई है। ये सरकार नेपाल के लोगों ने चुनी है और कोई भी मुझे नहीं हटा सकता। दरअसल हाल ही में ओली के विरोध में उनके पार्टी के लोग उतर आए थे। जिसके बाद चीनी राजदूत होउ यान्की ने उनकी कुर्सी बचाने में मदद की थी। इस मुद्दे पर अपनी सफाई पेश करते हुए ओली ने ये बयान दिया है।
भारत ने साल 2019 में जारी किया था नक्शा
भारत सरकार की और से जम्मू-कश्मीर राज्य के दो हिस्से करने के बाद नया राजनीतिक नक्शा जारी किया गया था। 2 नवंबर, 2019 में जारी किए गए इस नक्शे में भारत ने कालापानी, लिंपियधुरा और लिपुलेख को भारत का हिस्सा बताया था। इतना ही नहीं भारत सरकार की और से लिपुलेख इलाके में सड़क का भी निर्माण किया गया है। वहीं जब इस सड़क का उद्घाटन किया गया, तो नेपाल की और से आपत्ति जताई गई। आपत्ति जताने के साथ ही नेपाल ने भी अपना नया राजनीतिक नक्शा जारी कर दिया, जिसमें इन इलाकों पर अपना हक बताया ।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने सीमा से किसी प्रकार की छेड़छाड़ करने से इनकार किया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार नए नक्शे में नेपाल से सटी सीमा में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। नक्शा भारत के संप्रभु क्षेत्र को ही दर्शाता है।
चीन की वजह से हो रहा ये सब
नेपाल देश की और से जो कुछ भी किया जा रहा है उसके पीछे चीन देश का हाथ माना जा रहा है। चीन नेपाल को भारत के विरुद्ध करने में लगा हुआ है। ताकि वो भारत पर नेपाल की मदद से दवाब पैदा कर सके।