काशी विश्वनाथ मंदिर में पृथ्वीराज चव्हाण और उनके परिवार के प्रवेश पर लगी रोक, मंदिर ने लिया फैसला
कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण के मंदिर वाले बयान ने अब तूल पकड़ लिया है और धर्म गुरुओं ने पृथ्वीराज चव्हाण के इस बयान पर नाराजगी जारी की है और साथ में ही पृथ्वीराज चव्हाण के मंदिरों में प्रवेश करने पर रोक लगाने की अपील की है।
क्या कहा था बयान में
पृथ्वीराज चव्हाण ने कोरोना संकट को लेकर एक बयान दिया था और इस बयान में कहा था कि कोरोना संकट में सरकार को धार्मिक ट्रस्टों में रखा सोना ले लेना चाहिए। पृथ्वीराज चव्हाण ने पीएम मोदी को सुझाव देते हुए ये बात कही थी। अपने बयान में महाराष्ट्र के पूर्व सीएम ने कहा था कि पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पुनरुद्धार पैकेज की घोषणा कर दी है, लेकिन सवाल ये उठता है कि सरकार इन संसाधनों को कैसे जुटाएगी? मैंने सुझाव दिया है कि सरकार विभिन्न व्यक्तियों और धार्मिक ट्रस्ट से उनके पास पड़े बेकार सोने को जमा करने के लिए कहे।
हुई बयान की निंदा
पृथ्वीराज चव्हाण के इस बयान की हर किसी ने निंदा की है। वहीं बयान की निंदा होने के बाद पृथ्वीराज चव्हाण ने अपनी सफाई भी पेश की है और कहा है कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश लेने पर लगी रोक
हालांकि पृथ्वीराज चव्हाण की ये सफाई काम नहीं आई और अब काशी विश्वनाथ मंदिर में पृथ्वीराज चव्हाण और उनके परिवार के प्रेवश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। द्वादश ज्योतिर्लिंग में सर्वोपरि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार ने ये फैसला लिया है और कहा है कि पृथ्वीराज चव्हाण और उनके परिवार का प्रवेश काशी विश्वनाथ मंदिर में वर्जित होगा। इसके अलावा अन्य ज्योतिर्लिंग के पुजारियों से भी ये आग्रह किया है कि वो भी पृथ्वीराज चव्हाण के मंदिरों में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दें।
मानसिक रूप से विक्षिप्त है
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने पृथ्वीराज चव्हाण के इस बयान पर कहा है कि, ‘पृथ्वीराज का बयान सुनकर मैं हतप्रभ हूं। ये कांग्रेस की सरकार थी जब काशी विश्वनाथ मंदिर में चोरी कराकर इन लोगों ने अधिग्रहण करा लिया।’ 1983 में काशी विश्वनाथ मंदिर में हुई चोरी में कांग्रेस की मुख्य भूमिका थी। पृथ्वीराज चव्हाण अवसाद ग्रस्त हैं। वे मानसिक संतुलन खो चुके हैं या पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। मंदिर में भक्तों के चढ़ाए हुए दान, पुण्य और फल सरकार नहीं ले सकती है।
कुलपति तिवारी ने पृथ्वीराज चव्हाण पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वो केवल मंदिरों पर ही क्यों बोल रहे हैं। वो क्यों चर्च, गुरुद्वारा और मस्जिदों पर नहीं बोलते हैं? ये वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं और बीजेपी सरकार को बदनाम कर रहे हैं। इसकी मैं घोर निंदा करता हूं। ऐसे व्यक्ति सत्ता खो चुके हैं और अब सत्ता पाने के लिए मंदिरों, देवताओं और भगवान को रुष्ट कर रहे हैं। विवाद खड़ा करना कांग्रेस की नीति है। इनके बयान के बाद ये निर्णय लिया गया है कि पृथ्वीराज चव्हाण और उनके परिवार को विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश करने का अधिकार नहीं है। इनका बहिष्कार आवश्यक है।