सूर्य की पहली किरण पड़ती है इस मंदिर के गर्भ गृह पर, फिर भी नहीं की जाती इस मंदिर में पूजा
मोढ़ेरा सूर्य मंदिर जहां भगवान राम ने लंका विजय के बाद ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होने के लिए यहां आकर पूजा की थी
मोढ़ेरा सूर्य मंदिर अहमदाबाद : हमारे देश में अनगिनत मंदिर है, जिनमें से कई सारे मंदिर प्राचीन काल से जुड़े हुए हैं। ये प्राचीन मंदिर बेहद ही सुंदर हैं और इन मंदिरों से कोई ना कोई विशेष बात जुड़ी हुई है। आज हम आपको एक ऐसे ही प्राचीन मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम द्वारा बनाया गया है।
अहमदाबाद से लगभग सौ किलोमीटर की दूरी पर पुष्पावती नदी के किनार पर स्थित मोढ़ेरा मंदिर विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। ये एक प्राचीन मंदिर है और इस मंदिर का निर्माण 11 वीं सदी में किया गया था। इस मंदिर को बेहद ही सुंदर तरीके से बनाया गया है और इस मंदिर की शिल्पकला देखकर हर कोई हैरान रहे जाता है। क्योंकि इस मंदिर को बनाने में इस्तेमाल किए गए पत्थरों को जोड़ने के लिए चूने का उपयोग नहीं किया गया है।
सूर्य की पड़ती है पहली किरण
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इसे इस तरह से बनाया गया है कि सूर्य की पहली किरण सीधा इस मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचती है। वहीं हर साल संक्रांति के अवसर पर हजारों की संख्या में लोग इस मंदिर में आते हैं और सूर्य देव के दर्शन करते हैं। साथ में ही मंदिर के पास बनें विशाल सूर्यकुंड के पानी से स्नान भी करते हैं।
ईरानी शैली में बना है ये मंदिर
सूर्य देव का ये मंदिर ईरानी शैली में बनाया गया है और इस मंदिर को दो हिस्सों में बांटा गया है। पहले हिस्से को गर्भगृह कहा जाता है और दूसरा हिस्सा सभामंडप के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के सभामंडप हिस्से में 52 स्तंभ लगाए गए हैं और इन स्तंभों पर बेहतरीन कारीगरी की गई है। हर स्तंभ पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र बनें हुए हैं और साथ में ही रामायण तथा महाभारत के प्रसंग को उकेरा गया है।
इन स्तंभों को अगर नीचे से देखा जाए तो ये अष्टकोणाकार की तरह दिखते हैं। जबकि ऊपर की ओर इन्हें देखने पर ये गोल दिखाई देते हैं। सभामंडप में ही विशाल कुंड है जिसे सूर्यकुंड या रामकुंड कहा जाता है।
राम जी ने यहां आकर किया था आत्मशुद्धि
मोढ़ेरा मंदिर से जुड़ी एक कथा के अनुसार इस मंदिर में राम जी खुद आए थे। स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है और इन पुराणों के अनुसार प्राचीन काल में मोढ़ेरा के आसपास का पूरा क्षेत्र धर्मरण्य के नाम से जाना जाता था और भगवान श्रीराम रावण को मारने के बाद इस स्थान पर गए थे। यहां जाकर राम जी ने आत्मशुद्धि कर ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति पाई थी। राम जी के साथ इस स्थान पर गुरु वशिष्ट भी आए थे और उन्होंने ही राम जी को यहां आने की सलाह दी थी।
नहीं होती है पूजा
इस मंदिर को खंडित माना जाता है और इसकी वजह से यहां पर पूजा नहीं की जाती है। दरअसल इस मंदिर पर विदेशी हमलावरों ने हमला किया था जिसकी वजह से ये मंदिर खंडित हो गया था। हालांकि खंडित होने के बाद भी बड़ी संख्या में लोग ये मंदिर देखने के लिए आया करते हैं।