ये पत्थर अपने आप खिसकते हैं , इनकी गुत्थी नासा भी नहीं पाया सुलझा
पूर्वी कैलिफोर्निया में एक रेगिस्तान है जिसका नाम है डेथ वैली पू। इस स्थान को उत्तरी अमेरिका का सबसे गर्म, सूखा और विचित्र स्थान है। तापमान और संरचना ही डैथ वैलि की वो विशेषताएँ हैं जो तापमान भू-वैज्ञानिकों को हमेशा से चौंकाता रहा है। मगर इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली चीज अपने आप खिसकते पत्थर, जिन्हें सेलिंग स्टोंस के नाम से भी जाना जाता है। आप जानकार चौंक जाएंगे की रेसट्रैक क्षेत्र में यहा पे 320 किलोग्राम तक के पत्थरों को जगह बदलते देखा गया है।
खुद-ब-खुद खिसकने वाले पत्थर नासा के लिए एक बड़ी पहेली बनी हुई है। रेसट्रैक प्लाया 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम तक बिल्कुल सपाट है। लेकिन यहां बिखरे पत्थर खुद ब खुद खिसकते रहते हैं। यहां ऐसे 150 से भी अधिक पत्थर हैं। हालांकि, कभी भी इन पत्थरों को किसी ने उन्हें आंखों से खिसकते नहीं देखा।
कभी कभी तो ये पत्थर सर्दियों में करीब 250 मीटर से ज्यादा दूर तक खिसके मिलते हैं। वैज्ञानिकों के द्वारा बनी एक टीम ने 1972 में इस रहस्य को सुलझाने के लिए प्रयास किया । टीम ने पत्थरों के एक ग्रुप का नामकरण कर उस पर सात साल अध्ययन किया। केरीन नाम का लगभग 317 किलोग्राम का पत्थर अध्ययन के दौरान ज़रा भी नहीं हिला। लेकिन जब वैज्ञानिक कुछ साल बाद वहां वापस लौटे, तो उन्होंने केरीन को 1 किलोमीटर दूर पाया। अब वैज्ञानिकों का यह मानना है कि तेज रफ्तार से चलने वाली हवाओं के कारण ऐसा होता है।
अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि इन पत्थरों की इस अद्भुत गतिविधि का कारण मौसम की खास स्थिति हो सकती है। इस बारे में किए गए शोध बताते हैं कि रेगिस्तान में 90 मील प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवाएं भी एक बड़ा कारण हो सकती हैं , रात को जमने वाली बर्फ और सतह के ऊपर गीली मिट्टी की पतली परत, ये सब मिलकर पत्थरों को गतिमान करते होंगे।