लॉकडाउन में बेबस प्रवासी मजदूर बोला- ‘दिल्ली नहीं, अपने गाँव जाकर मरना हैं’
कोरोना वायरस (Corona Virus) और लॉकडाउन (Lockdown) का सबसे बड़ा कहर उन लोगो पर बरस रहा हैं जो अपने घर से दूर गैर-राज्य में हैं. खासकर गरीब और मजदूर वर्ग के पास काम ना होने की वजह से पैसा और राशन दोनों ही नहीं हैं. ऐसे में ये भूखे प्यासे मजदूर पैदल ही अपने घर का रास्ता नाप रहे हैं. सरकार ने इन प्रवासी मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन की वयवस्था कर दी हैं लेकिन फिर भी यह सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं.
गाँव में मरना हैं, दिल्ली में नहीं
शुक्रवार के दिन कई मजदूर दिल्ली से उत्तर प्रदेश में स्थित अपने गाँव जा रहे थे. ऐसे में उनसे पूछा गया कि सरकार ने जब स्पेशल ट्रेन चलाई हैं तो आप पैदल क्यों जा रहे हैं? इस पर एक मजदूर ने कहा “मुझे स्पेशल ट्रेन के बारे में कोई जानकारी नहीं हैं. मैंने पैदल ही चलने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि मैं दिल्ली में नहीं मरना चाहता हूँ, मैं अपने गाँव में मरना चाहता हूँ.
Delhi: A group of migrant workers was seen walking towards their homes in different districts of Uttar Pradesh, earlier today. A worker said,”I’ve no information about the special trains. I decided to walk on foot because I don’t want to die in Delhi.I want to die in my village”. pic.twitter.com/dJ2nySX35w
— ANI (@ANI) May 8, 2020
बहू को बच्चा हुआ लेकिन खाने को कुछ नहीं
दिल्ली के तालकटोरा रोड के आसपास रहने वाले 90 मजदूर लॉकडाउन में फंसे हैं. इन सभी की मांग हैं कि उन्हें घर वापस भेजा जाए. इनमे से एक मजदूर ने बाताया “मेरे पास पैसे नहीं हैं. मेरी बहू ने 7 दिन पहले बच्चे को जन्म दिया हैं लेकिन खाना ना होने की वजह से उसने कुछ नहीं खाया हैं.”
Delhi: Around 90 migrant workers staying around Talkatora Road,after being stranded amid #CoronaLockdown,demand to be sent back to their homes. One of them says “I don’t have any money. My daughter-in-law gave birth to a child 7 days back but she hasn’t been able to eat anything” pic.twitter.com/m044VUuVjS
— ANI (@ANI) May 8, 2020
रजिस्ट्रेशन के लिए स्मार्टफोन – कंप्यूटर कहाँ से लाए?
एक प्रवासी मजदूर विनोद ने बाताया “पहले हम पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन गए थे, वहां से हमे डीएम के ऑफिस भेजा गया. जब हम वहां गए तो हमें एक चिट थमा दी जिसमे एक वेबसाइट का लिंक था. अब हमारे पास ना तो स्मार्टफोन हैं और ना ही कंप्यूटर हैं. ऐसे में हम कहाँ जाए?”
A migrant worker Vinod says “We first went to Parliament Street Police station from where we were sent to DM office. When we went there, we were just given a chit with link to some website. We neither have a smartphone nor access to any computer. Where should we go?” (08.05.2020) https://t.co/LuMoB7LsUr pic.twitter.com/6JIgKK2P9w
— ANI (@ANI) May 8, 2020
लॉकडाउन में इसी तरह के और भी नज़ारे देखने को मिल रहे हैं. अभी कल शुक्रवार को ही महाराष्ट्र के औरंगाबाद से घर लौट रहे 16 मजदूर ट्रेन से कट मर गए थे. ये सभी थक गए थे इसलिए रेल की पटरियों पर सो रहे थे.