सेना ने लिया बड़ा फैसला, घरवालों को नहीं सौंपा जाएगा आतंकी का शव और ना ही निकाला जाएगा उसका जनाजा
भारतीय सेना ने एक अहम फैसला लेते हुए ये तय किया है कि हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी रियाज नायकू का शव उसके परिवार वालों को नहीं सौंपा जाएगा और सेना की और से ही उसे दफनाया जाएगा। भारतीय सेना के मुताबिक आतंकवादियों को हीरो बनाने का सिलसिला बंद करने के मकसद से ही ये फैसला लिया गया है। क्योंकि अक्सर ये देखा गया है कि जब भी आतंकवादियों का शव उनके परिवार वालों को सौंपा जाता था तो लोग आतंकवादियों को हीरो बना देते थे और इनका शान से जनाजे निकालते थे। आतंकवादियों को हीरो बनाने के लिए ये सब किया जाता था। साथ में ही जनाजे निकलते समय घाटी में अशांति को भी फैलाया जाता था। ये सब सिलसिला बंद करने के लिए सेना ने ये फैसला लिया है और अब से किसी भी आतंकवादी का शव उसके परिवार को नहीं दिया जाएगा।
नहीं बताया जाएगा आतंकवादी का नाम
किसी भी आतंकवादी को मारने के बाद सेना उसके बारे में जानकारी देती थी और आतंकवादी का नाम भी बताती थी। लेकिन इस बार सेना ने ऐसा नहीं किया। सेना ने आंतकी रियाज नायकू के मारे जाने के बाद जारी किए गए बयान में कहा कि सेना ने दो आतंकवादियों को मार गिराया है।
सेना के अधिकारियों के अनुसार उनकी नजर में कोई बड़ा आतंकवादी या टॉप कमांडर नहीं हैं। केवल एक आतंकवादी है। दरअसल सेना का ये कहना है कि असली हीरो तो वे हैं जिन्होंने बेगपोरा में 2 आतंकी मार गिराए है। हालांकि सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की और से बाद में नायकू का नाम उजागर हो गया था।
नहीं निकलेगा आतंकवादियों का जनाजा
सेना के अनुसार आतंकवादी के मरने के बाद उसके जनाजे में बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा होते हैं और जनाजे की मदद से इन लोगों को गुमराह किया जाता है और आतंकी बनाया जाता है। इसलिए अब से आतंकवादियों का जनाज नहीं निकाला जाए और उसे दफनाने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। साथ ही आतंकवादी के घरवालों को उसके डीएनए सैंपल देकर उसके मरने की पुष्टि की जाएगी।
गौरतलब है कि कई ऐसे देश हैं जो कि आतंकवादियों के मरने के बाद उनका शव परिवार वालों को नहीं ,सौंपते हैं। और अब सेना ने भी यहीं करने का फैसला किया है।
कल हुई मुठभेड़ के दौरान मारा गया था
कल कश्मीर के पुलवामा जिले के बेगपोरा में हुई मुठभेड़ में नायकू और उसके एक अन्य साथी आतंकी आदिल को मारा गया था। नायकू अपनी मां से मिलने के लिए अपने गांव आया था और जब सेना को इस बात की जानकारी मिली तो सेना की और ये ऑपरेशन किया गया। जिसमें नायकू को मार गिराया।
12 लाख का था इनाम
आपको बता दें कि नायकू घाटी के बच्चों को आतंकी बनाने का काम करता था और इसने कम से कम एक दर्जन युवकों को हिज्बुल में शामिल किया था। सेना लंबे समय से इसे पकड़ने का काम कर रही थी। इस आतंकी पर सरकार की और से 12 लाख रुपए का इनाम भी रखा गया था।
मैथ का था टीचर
हिज्बुल में शामिल होने से पहले नायकू बच्चों को मैथ पढ़ाया करता था। लेकिन बाद में इसने आतंकवादी बनने का रास्त चुना और हिज्बुल संगठन से जा मिला।