बेटे की मौत की खबर सुनकर भी अस्पताल में ड्यूटी करता रहा कोरोना वॉरियर, गले तक भी नहीं लगा पाया
कोरोना वैश्विक महामारी के बीच एक पिता की मजबूरी सुनेंगे, तो आपके आखों से आंसू नहीं रूकेंगे। जी हां, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लोकबंधु हॉस्पिटल में तैनात बतौर वार्ड ब्वॉय मनीष कोरोना संक्रमण फैलने के डर के कारण अपने मृत पुत्र से अंतिम बार मिल भी नहीं सके।
यह दुखद किस्सा लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में तैनात 27 वर्षीय ‘कोरोना वॉरियर’ मनीष कुमार का है। बता दें कि लोकबंधु अस्पताल को कोरोना की जंग के खिलाफ में लेवल-2 कोरोना अस्पताल घोषित किया गया है। शनिवार की रात कोरोना वॉरियर मनीष पृथक वार्ड में मरीजों की देखरेख कर रहे थे, तभी उनके पास फोन आया कि बेटे हर्षित को पेट में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद भी ड्यूटी करता रहा
मनीष बताते हैं कि मैं अस्पताल में ड्यूटी दे रहा था उसी वक्त मुझे फोन आया कि मेरे बेटे की तबियत खराब हो गई है, लेकिन मैं उस वक्त अस्पताल से नहीं जा सकता था। इसलिए मेरे परिवार के अन्य सदस्य बेटे को केजीएमयू ले गए और वहां से मुझे हर्षित के फोटो भेजते रहे, ताकि मैं परेशान न होउं। मनीष ने कहा कि रात करीब 2 बजे मेरे बेटे हर्षित की मौत हो गई। मनीष अपने बेटे की बात बताते हुए भावुक हो गए। उन्होंने आगे कहा कि मैं अपने बेटे से मिलना चाहता था, लेकिन उस समय मैं ड्यूटी में था। अपने बेटे की बात मैंने अपने अन्य साथियों को नहीं बताया, क्योंकि मैं मरीजों को उस हाल पर छोड़ कर नहीं जा सकता था।
शव का इंतजार करते रहे मनीष
मनीष ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि मेरे घर से बार बार फोन आ रहा था और मैं काफी परेशान हो चुका था। मेरी हालत देखकर मेरे अन्य साथियों ने कहा कि तुम अपने घर जाकर बेटे से मिल लो। इसके बाद मनीष केजीएमयू पहुँचे, लेकिन मनीष के पहुँचते तक उनके बेटे की मौत हो चुकी थी और वो अस्पताल के अंदर नहीं गए और अपने बेटे के शव का बाहर ही इंतजार करते रहे।
बेटे को गले लगाना चाहता था
मनीष बताते हैं कि बेटे के पार्थिव शरीर को देखकर मेरा दिल चकनाचूर हो गया। जब मेरे परिवार के लोग हर्षित को घर ले जाने के लिए अस्पताल से बाहर लाए, तो मैंने अपने बेटे को दूर से देखा। इसके बाद मैं शव वाहन के पीछे पीछे घर तक गया। मैं अपने बेटे से मिलना चाहता था और मैं अपनी भावनाएं नहीं रोक पा रहा था। मैं अपने बेटे को गले लगाना चाहता था और मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि मेरा बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। बता दें कि मनीष अपने घर के अंदर नहीं गए क्योंकि वे अस्पताल से लौटे थे। कोरोना वारियर मनीष ने बताया कि मैं अपने घर के गेट के पास बैठा था और उसे अंतिम बार गले तक नहीं लगा सका।