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बुलंदशहर के रहने वाले थे कर्नल आशुतोष शर्मा, कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकी मुठभेड़ में हुए शहीद

आशुतोष शर्मा को देश का नमन ! जो लोग देश के लिए जीते हैं, उन्हें देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने में भी जरा सी भी हिचक नहीं होती

जो लोग देश के लिए जीते हैं, उन्हें देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने में भी जरा सी भी हिचक नहीं होती। जो लोग देश की सेवा का प्रण ले लेते हैं, जो देश की रक्षा का संकल्प ले लेते हैं, जब इसके लिए अपनी जान की बाजी लगाने की भी बात आती है तो वे बिल्कुल भी पीछे नहीं हटते। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले कर्नल आशुतोष शर्मा ने भी बिल्कुल ऐसी ही जांबाजी दिखाई और इस देश की रक्षा करते हुए कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद हो गए। खानपुर थाना क्षेत्र के गांव परवाना में कर्नल आशुतोष शर्मा (Colonel Ashutsosh Sharma) का जन्म हुआ था। आज रविवार को आतंकियों से लोहा लेते हुए आशुतोष शर्मा ने देश के लिए अपनी शहादत दे दी।

पसर गया गांव में मातम

जैसे ही इस बात की खबर उनके गांव में पहुंची, यहां शोक की लहर दौड़ पड़ी। बुलंदशहर के गांव इलना परवाना में शहीद आशुतोष शर्मा का घर है। हालांकि, परिवार उनका जयपुर में रहता है। फिर भी जब कर्नल आशुतोष शर्मा की शहादत की खबर गांव में पहुंची तो यहां पूरे गांव में मातम पसर गया। मातम तो पूरे गांव में अपने लाल के शहीद होने पर पसरा है, लेकिन गांव वालों को इस बात का भी गर्व हो रहा है कि उनका लाल मातृभूमि की रक्षा करते करते शहीद हो गया।

15 साल पहले चले गए थे जयपुर

गांव वालों ने बताया कि शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा लगभग 15 साल पहले अपने माता-पिता के साथ इस गांव से चले गए थे और वे लोग जयपुर में बस गए थे। हालांकि, इंटर तक की पढ़ाई बुलंदशहर के ही डीएवी इंटर कॉलेज में आशुतोष शर्मा की हुई थी। इस गांव में आशुतोष शर्मा ने अपना बचपन गुजारा था। इसी माटी में वे पल-बढ़ कर बड़े हुए थे। इसी माटी में आशुतोष शर्मा के अंदर देश प्रेम के बीज अंकुरित हुए और यहीं देश प्रेम की भावना ने उन्हें सेना में जाने के लिए प्रेरित किया था।

गांव में ही होगा अंतिम संस्कार

शहीद कर्नल के चचेरे भाई ने बताया है कि कर्नल आशुतोष शर्मा का अंतिम संस्कार बुलंदशहर स्थित उनके पैतृक गांव में ही वे लोग करने जा रहे हैं। उनका कहना है कि कर्नल आशुतोष शर्मा का बचपन इसी गांव में बीता था। साथ ही उन्हें इस गांव से बड़ा लगाव भी था। चचेरे भाई सुनील पाठक ने बताया है कि बुलंदशहर प्रशासन की ओर से उन्हें इसके लिए एक पास भी जारी कर दिया गया है। इस पास की मदद से वे पार्थिव शरीर को लेने के लिए जयपुर रवाना होने वाले हैं।

गौरतलब है कि कोरोना संकट के इस दौर में भी पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन बाज नहीं आ रहे हैं। कश्मीर में लगातार आतंकवादियों की घुसपैठ हो रही है और भारतीय सेना के जांबाज़ आतंकियों से लोहा ले रहे हैं। इसी क्रम में कई जवानों को अपने प्राणों की आहुति भी देनी पड़ी है।

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