जगन्नाथ रथ यात्रा पर भी कोरोना का सकंट छा गया है और इस यात्रा को करवाया जाए की नहीं इसको लेकर सरकार दुविधा में है। हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है जो कि आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से आरम्भ होती। हर वर्ष इस यात्रा को धूमधाम से निकाला जाता है और इस दौरान लाखों की संख्या में लोग जमा होते हैं। जगन्नाथ भगवान की ये यात्रा पुरी से निकलती है और ये विश्व प्रसिद्ध यात्रा है। हालांकि इस साल कोरोना के कारण इस यात्रा पर अभी भी सस्पेंस जारी है।
सरकार के पास हैं ये तीन विकल्प
जगन्नाथ रथ यात्रा को लेकर अभी तक सरकार की और से फैसला नहीं लिया गया है। सरकार के पास इस यात्रा को लेकर तीन विकल्प मौजूद हैं। जिनमें से पहले विकल्प के तहत इस यात्रा को स्थगित कर दिया जाए यानी इस साल ये यात्रा नहीं की जाए। दूसरा विकल्प है इस यात्रा को पहले की तरह ही किया जाए। तीसरा और अंतिम विकल्प है इस यात्रा को कम लोगों के साथ निकाला जाए। यानी यात्रा के दौरान केवल थोड़े ही लोग इसमें शामिल हो।
आमतौर पर जब ये यात्रा निकाली जाती है तो 8 लाख से अधिक लोग एकत्रित हो जाते हैं। इसलिए सरकार इस यात्रा को कम लोगों के उपस्थिति में करने का फैसला ले सकती है और ज्यादा से ज्यादा 50 लोगों को ही शामिल होने की अनुमित दे सकती है।
क्या टूट जाएगी 284 सालों की ये परंपरा
अगर इस साल कोरोना वायरस के कारण ये यात्रा नहीं होती है, तो 284 सालों बाद ये पहला मौका होगा। जब इस यात्रा को रोका जाएगा। इस यात्रा को साल 1736 से लगातार किया जा रहा है और ऐसे में इस का आयोजन नहीं होना 284 सालों से चली आ रही परंपरा का टूटा होगा।
144 सालों तक नहीं हुई थी यात्रा
इतिहास के अनुसार एक समय ऐसे आया था जब इस यात्रा को 144 सालों तक नहीं किया गया था। दरअसल आक्रमण के कारण इस मंदिर को बंद कर दिया गया था और 144 सालों तक ये यात्रा नहीं की गई थी। वहीं आद्य शंकराचार्या जी ने साल 1736 को इस यात्रा को फिर से शुरू किया था और ये यात्रा तभी से निरंतर की जा रही है।
नवीन पटनायक ने की मोदी से बात
विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा को किया जाए की नहीं इसको लेकर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है। ओडिशा सरकार और केंद्रीय सरकार इस पर मिलकर फैसला ले रही हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस यात्रा को धूमधाम से करने की जगह कुछ लोगों की उपस्थिति में किया जा सकता है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कारण देश में धार्मिक अनुष्ठान करने पर रोक लगी है और मंदिरों को बंद रखने का आदेश दिया गया है। ताकि एक जगह पर अधिक लोग एकत्रित ना हो सके। हालांकि 3 मई के बाद सरकार ने ग्रीन जोन और ऑरेंज जोन वाले इलाकों में थोड़ी सी छूट दे दी है। इसलिए उम्मीद है कि शायद केवल पंडितों की उपस्थिति में इस यात्रा को निकाला जा सकता है।