अपनी कुर्सी बचाने के लिए उद्धव ठाकरे आए मोदी के शरणागत, फोन कर मांगी मदद, जा सकती है कुर्सी
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी पर सियासी सकंट बना हुआ है और अपनी कुर्सी बचाने के लिए अब उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी है। उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनें हुए 6 महीने होने जा रहे हैं और अभी तक ये किसी भी सदन के सदस्य नहीं बन पाए हैं।
हाल ही में महाराष्ट्र राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में उद्धव ठाकरे को विधान परिषद के लिए नामिनेट करने का प्रस्ताव पारित किया गया था और इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास भेजा गया था। लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी नहीं दी है। जिसकी वजह से उद्धव ठाकरे अभी तक एमएलसी नहीं बन पाए हैं। अगर समय रहते राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी, तो उद्धव ठाकरे एमएलसी नहीं बन पाएंगे और ऐसे होने पर उन्हें अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।
इस वजह से जा सकती है कुर्सी
मुख्यमंत्री बनने वाले शख्स को अपने राज्य के सदन का सदस्य होना होता है। अगर कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बन जाता है तो उसे 6 महीने के अंदर ही सदन का सदस्य बनना होता है। लेकिन उद्धव ठाकरे ना तो विधानसभा के सदस्य हैं और ना ही एमएलसी हैं। ऐसे में उद्धव ठाकरे से उनकी कुर्सी छीन सकती है। क्योंकि उद्धव ठाकरे का 6 महीने का कार्यकाल जल्द ही पूरा होने वाला है वो अभी तक किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।
मोदी को किया फोन
अपनी कुर्सी बचाने के लिए उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से मदद मांगी और पीएम मोदी को फोन किया है। सूत्रों के मुताबिक उद्धव ठाकरे ने मोदी से फोन करके कहा है कि वो इस मसले को देखने और MLC नामित करने के संदर्भ में उनकी मदद करें। वहीं मोदी ने उद्धव ठाकरे को इस मसले पर विचार करने की बात कही है। दरअसल अगर मोदी चाहें तो वो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से कह कर उद्धव ठाकरे के बतौर एमएलसी मनोनीत करने के प्रस्ताव को पारित करवा सकते हैं। इसलिए उद्धव ठाकरे ने मोदी से मदद मांगी है। वहीं उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनोनीत करने के प्रस्ताव को अगर पारित नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थित में उद्धव ठाकरे के पास बस दो ही रास्ते बचने वाले हैं।
बचते हैं ये दो रास्ते
पहले रास्ते के तहत इन्हें 3 मई को लॉकडाउन खत्म होने के तुरंत बाद ही विधान परिषद की खाली पड़ी सीटों के लिए चुनाव लड़ने का ऐलान करना होगा और 27 मई से पहले ये सीट जीतनी होगी। ताकि मुख्यमंत्री निर्वाचित सदस्य के रूप में सदन के सदस्य बन सकें। लेकिन इस समय कोरोना वायरस के चलते जो हालात हैं। उसमें ये चुनाव होना नामुमकिन है। वहीं दूसरे रास्ते के तहत इन्हें इस्तीफा देना होगा और फिर दोबारा से शपथ लेनी होगी। ऐसे होने पर इनके साथ इनके समूचे मंत्रिमंडल को भी इस्तीफा देना होगा और फिर से सभी मंत्रियों को शपथ दिलानी पड़ेगी।
क्या मोदी करेंगे मदद
गौरतलब है कि बीजेपी और शिवसेना पार्टी ने एक साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ा था। लेकिन ये चुनाव को जीतने के बाद शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया था और कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर अपनी सरकार बना ली थी। इसलिए ऐसी स्थिति में ये देखना होगा की मोदी क्या कदम उठाते हैं।