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मनीष सिसोदिया ने मांगा पीएम मोदी के सोशल मीडिया पर सरकारी खर्च का ब्यौरा, जवाब पाकर पड़ गए ठंडे
यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी की जबरदस्त जीत से पीएम मोदी के विरोधियों की नींद उड़ चुकी है. उनके विरोधी अभी भी पीएम मोदी की लोकप्रियता को स्वीकार नहीं कर पा रहे. कोई ईवीएम को दोष दे रहा है तो कोई मीडिया के एकतरफा रुझान को जीत में सबसे बड़ा सहयोगी बता रहा है. विरोधी पार्टियों के नेता यह मानने को तैयार नहीं हैं कि उनका जनाधार खत्म होता जा रहा है. इसीलिए विरोधी आए दिन ईवीएम, मीडिया और सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं.
नहीं हजम हो रही लोकप्रियता :
पीएम मोदी और उनकी टीम के मंत्री और नेता सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से एक्टिव हैं यही वजह है कि उन्हें अलग से बहुत ज्यादा प्रचार नहीं करना पड़ता और उनकी बातें आम जनता तक आसानी से पहुंच जाती हैं. पीएम मोदी के सोशल मीडिया पर उनके विरोधियों ने नजर गड़ानी शुरू कर दी है.
RTI के जरिए मांगा खर्च का ब्यौरा :
हाल ही में दिल्ली के डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने एक RTI दायर कर पीएम मोदी के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर होने वाले सरकारी खर्च का ब्यौरा मांगा था. जिसका जवाब पीएमओ ने दिया. पीएमओ ने बताया कि पीएम मोदी के सोशल मीडिया प्रजेंस को बनाए रखने के लिए अलग से कोई खर्च नहीं किया जाता है.
पीएमओ ने नहीं किया अलग से कोई खर्च :
पीएम मोदी के आधिकारिक मोबाइल ऐप को बनवाने में भी पीएमओ को कोई अलग खर्च नहीं करना पड़ा. पीएमओ ने जानकारी दी कि ‘पीएमओ इंडिया ऐप’ एक प्रतियोगिता के तहत छात्रों ने बनाया था इसमें पुरस्कार राशि के अलावा कोई अलग खर्च नहीं किया गया है. इस ऐप का मैनेजमेंट पीएमओ ही करता है साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट (www.pmindia.gov.in) को खुद पीएमओ ने विकसित किया है और इसका मेंटेनेंस भी पीएमओ के अधिकारी ही करते हैं.
गौरतलब है कि मनीष सिसोदिया ने RTI के जरिए पीएम मोदी के सोशल मीडिया प्रमोशन पर अब तक किए गए साल दर साल खर्च का ब्यौरा मांगा था. जिसपर पीएमओ ने पूरी बात साफ कर दी. पीएमओ ने बताया कि पीएम मोदी के प्रमोशन के लिए सरकारी पैसे का दुरुपयोग नहीं किया गया है और ना ही उनके प्रमोशन के लिए अलग से कोई अभियान चलाया गया है.