7 बार मिस्टर ओडिशा रह चुके हैं जगन्नाथपुरी के ये बाहुबली पुजारी, बॉडी देख शर्मा जाएंगे सलमान
ओडिशा के जगन्नाथपुरी धाम को पुराणों में धरती का बैकुंठ बताया गया है। यहां बहुत से भक्त, पुजारी और सेवक हमेशा मौजूद रहते हैं। जगन्नाथ महाप्रभु की सेवा हजारों सेवायत कर रहे हैं। इन्हीं में से एक अनिल गोच्छिकार भी है। सेवायतों की प्रतिहारी श्रेणी में अनिल गोच्छिकार आते हैं। वे एक पुजारी तो हैं ही, साथ में बॉडी बिल्डर भी हैं। डील-डौल ऐसा है कि कोई अनिल गोच्छिकार को बाहुबली कह देता है तो कोई उन्हें जगन्नाथ महाप्रभु का अंगरक्षक भी कहता है।
मंदिर के विग्रह की रक्षा
इनके वंश के पुजारी सदियों से खुद को महाप्रभु का अंगरक्षक कहा जाना ही पसंद करते हैं। जब भी कोई आक्रमण हुआ है या फिर संकट का समय आया है तो मंदिर के विग्रह की इनके पूर्वजों ने ही सुरक्षा की है। यही वजह है कि महाप्रभु के अंगरक्षक के रूप में इनकी पहचान है। मंदिर के सेवकों की जो व्यवस्था निर्धारित है, उनमें ये प्रतिहारी सेवायत कहे जाते हैं। श्रीजगन्नाथपुरी मंदिर पर इतिहास में 17 बड़े आक्रमण का जिक्र है। यहां के पुजारियों ने विग्रह को छुपाकर हमेशा इनकी रक्षा की है। अनिल गोच्छिकार इन्हीं पुजारियों की वंश परंपरा से नाता रखते हैं।
बॉडी बिल्डिंग के चैंपियन
मंदिर की पूजा व अनुष्ठान की जिम्मेवारियां तो अनिल संभालते ही हैं, मगर साथ में कई बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर वे चैंपियन के तौर पर भी उभर चुके हैं। उनका शारीरिक सौष्ठव बेहद आकर्षक है। इसी वजह से सात बार वे मिस्टर ओडिशा का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं। बॉडी बिल्डिंग की राष्ट्रीय चैंपियनशिप में अनिल गोच्छिकार को अब तक दो बार गोल्ड मेडल और एक बार सिल्वर मेडल प्राप्त हो चुका है। उन्होंने वर्ष 2016 में दुबई में अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया था, जहां उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था। वर्ष 2017 और 2019 में जो राष्ट्रीय चैंपियनशिप हुआ, उनमें उन्हें गोल्ड मेडल हासिल हुआ, जबकि वर्ष 2018 में उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया।
परिवार भी है सेवक
अनिल के मुताबिक महाप्रभु की सेवा करने वाले परिवार से वे आते हैं। उनके बड़े भाई और परिवार के कई और सदस्य भी श्रीमंदिर में सेवा दे रहे हैं। यहां तक कि उनके माता-पिता भी महाप्रभु के सेवक ही थे। अनिल श्रीविग्रह के भोग की गुणवत्ता के साथ मंदिर परिसर की स्वच्छता भी सुनिश्चित करते हैं। दरवाजा से लेकर जय विजय दरवाजा तक सेवा के काम में भी जुटे रहते हैं। कई बार विग्रह की सुरक्षा के साथ नियमित पूजा और सुरक्षा से जुड़ी जिम्मेदारियों को भी अनिल संभाल लेते हैं।
रथयात्रा के वक्त
जब रथयात्रा निकलती है तो अनिल गोच्छिकार रथ के साथ-साथ चलते हैं। महाप्रभु को रथ तक लाने से लेकर रथ से मंदिर ले जाने सहित कई अन्य काम में भी वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेष तौर पर नियमित गराबडू सेवा उनके जिम्मे रहती है। दरअसल प्रभु को स्नान कराने वाली यह सेवा है। जब प्रभु स्नान कर रहे होते हैं तब पानी देने का काम बड़द्वार यानी कि अंगरक्षक के जिम्मे होता है।
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