मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की बढ़ी मुसीबतें, इस वजह से छीन सकती है मुख्यमंत्री पद की कुर्सी
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं और अब इनकी सरकार पर सियासी संकट नजर आ रहा है। दरअसल उद्धव ठाकरे का बतौर सीएम 6 महीने का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है और अभी तक इन्हें बतौर किसी सदन के सदस्य के तौर पर मनोनीत नहीं किया गया है। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट ने उद्धव ठाकरे का नाम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास बतौर एमएलसी मनोनीत करने के लिए भेजा था। लेकिन अभी तक राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को मनोनीत नहीं किया है। जिसकी वजह से उद्धव ठाकरे की पेरशानी और बढ़ गई है। आपको बता दें कि बतौर मुख्य मंत्री उद्धव ठाकरे के 6 महीने का कार्यकाल पूरा होने में महज 1 महीने से भी कम का समय बचा है और ऐसे में इनको किसी सदन का सदस्य बनना जरूरी है।
20 दिन बाद फिर से भेजा प्रस्ताव
6 अप्रैल को ही राज्य मंत्रिमंडल ने बैठक करने के बाद सर्वसम्मति से राज्यपाल के पास उद्धव ठाकरे को विधान परिषद के लिए नामिनेट करने का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन इस प्रस्ताव को राज्यपाल ने पारित नहीं किया। वहीं ये प्रस्ताव पारित नहीं होने के बाद कैबिनेट ने एक रिमाइंडर प्रस्ताव राज्यपाल को 20 दिन बाद फिर से भेजा है।
लेकिन अभी तक राज्यपाल ने इस प्रस्ताव पर कोई भी फैसला नहीं लिया है। वहीं आज शाम करीब 6 बजे महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात की है और इन नेताओं ने उद्धव ठाकरे को विधान परिषद के लिए नामिनेट करने की गुजारिश राज्यपाल से की है। इसके अलावा शाम 5 बजे सीएम उद्धव ठाकरे राज्यपाल एक साथ मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के शपथ समारोह में उपस्थित थे, जो कि राज भवन में हो रहा है।
दरअसल इस समय मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ना ही विधानसभा के सदस्य हैं और न ही विधान परिषद के। अगर उन्हें अपनी कुर्सी बचानी है तो इन दोनों सदनों में से एक सदन का सदस्य बनना होगा। ऐसे में महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने राज्यपाल को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें उद्धव ठाकरे को विधान परिषद के लिए नामिनेट करने की गुजारिश की गई थी। अगर राज्यपाल उद्धव ठाकरे को वक्त रहते विधान परिषद के लिए नामिनेट नहीं करते हैं तो उद्धव ठाकरे से उनकी कुर्सी छीन सकती है।
नहीं लड़ा विधानसभा का चुनाव
उद्धव ठाकरे ने कभी भी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा है और ये विधानसभा सदन के सदस्य नहीं है। वहीं इनके परिवार से इनके बेटे आदित्य ठाकरे ने ही ये चुनाव पहली बार लड़ा है।
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस काफी तेजी से फैल चुका है और इस राज्य से कोरोना के सर्वाधिक केस सामने आ रहे हैं। जिसकी वजह से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे काफी चिंता में है। वहीं हाल ही में इस राज्य में दो साधुओं की हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद महाराष्ट्र राज्य की कानूनी व्यवस्था पर काफी सवाल खड़े किए गए थे। ये मामला इतना बढ़ गया था कि खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सामने आकर बयान देना पड़ा था। और अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी पर संकट आ गया है।