नंबर 1 की रेस में नहीं भागते थे इरफ़ान खान, फिल्म की कमाई से ज्यादा स्टोरी को देते थे अहमियत
अभी भी किसी को यकीन नहीं हो रहा हैं कि बॉलीवुड एक्टर इरफ़ान खान (Irrfan Khan) अब हमारे बीच नहीं रहे हैं. गौरतलब हैं कि इरफ़ान को साल 2018 में कैंसर (न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर) डिटेक्ट हुआ था जिसके बाद लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था. आज बुधवार मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में इरफ़ान ने दुनिया को 53 वर्ष की उम्र में अलविदा कह दिया. इरफ़ान बॉलीवुड और हॉलीवुड दोनों ही जगह एक जाने माने अभिनेता थे. उनकी एक्टिंग स्किल कमाल की थी. इरफ़ान का कोई फ़िल्मी बेकग्राउंड नहीं था. उन्होंने फिल्मों में करियर बनाने के लिए बहुत स्ट्रगल किया था. इरफ़ान एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने एक्टिंग की परिभाषा ही बदल दी थी.
टीवी से की थी करियर की शुरुआत
दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा (NSD) से ग्रेजुएट इरफ़ान खान चाणक्य, भारत एक खोज, सारा जहाँ हामारा, बनेगी अपनी बात, चन्द्रकान्ता, श्रीकांत जैसे टीवी शो में काम कर चुके थे. 1994 से 1998 तक टीवी पर काम करने के बाद इरफ़ान का सपना सिनेमा था. इस बीच मीरा नायर ने उन्हें ‘सलाम बॉम्बे’ फिल्म में रोल ऑफर किया था लेकिन फाइनल फिल्म आने तक उनका सीन एडिट होकर काट दिया गया था.
इरफ़ान का फ़िल्मी करियर
इसके बाद इरफ़ान खान ने ‘एक डॉक्टर की मौत’ फिल्म में काम किया था. ये फिल्म को क्रिटिक्स ने खूब सराहा था लेकिन इरफ़ान को इससे पहचान नहीं मिल पाई थी. आसिफ कपाड़िया की ‘द वारियर’ वो फिल्म थी जिससे उनका चेहरा लोग पहचानने लगे थे. हालाँकि बॉलीवुड में उनकी पूछ परख ‘मकबूल’ फिल्म के बाद बड़ी थी. बतौर लीड एक्टर इरफ़ान की पहली फिल्म ‘रोग’ थी. इसके बाद इरफ़ान ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ में नजर आए जिसने उन्हें एक ग्लोबल सितारा बना दिया. पान सिंह तोमर, पिकू, तलवार, हिंदी मीडियम जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में इरफ़ान ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया था. इरफ़ान की अंतिम फिल्म अंग्रेजी मीडियम थी.
नंबर 1 की रेस में नहीं भागते थे इरफ़ान
इरफ़ान कभी भी नंबर 1 की रेस में नहीं भागते थे. इसी चीज ने उन्हें एक बहुमुखी कलाकार और क्रिएटिव पर्सन बनाया था. इरफ़ान कहते थे “मैं नंबर 1 नहीं बनना चाहता हूँ. मैं उस पोजीशन का तिरस्कार करूँगा जहाँ मेरी विषय को चुनने की आज़ादी ख़त्म होती हैं. फिर भले ही मुझे मिलने वाली फिल्म कितनी भी बड़ी क्यों ना हो.”
100-200 करोड़ के गेम में नहीं था यकीन
कई बार ऐसा भी होता हैं कि इरफ़ान की कोई फिल्म दर्शक और क्रिटिक्स दोनों को ही पसंद आती हैं लेकिन बॉक्स ऑफिस पर वो कोई तगड़ी कमाई नहीं कर पाती हैं. इस बारे में इरफ़ान ने बाताया था कि उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता हैं. ‘मदारी’ फिल्म की रिलीज के समय उन्होंने कहा था “एक निर्माता या अभिनेता के तौर पर मैं हमेशा चाहूंगा कि मेरी फिल्म खर्चे से ज्यादा कमाई करे. लेकिन मुझे 100 या 200 करोड़ के नंबर में यकीन नहीं हैं. मैं इस बारे में बिलकुल नहीं सोचता हूँ. मैं बस चाहता हूँ कि मेरी फिल्म अच्छा प्रदर्शन करे.”
इरफ़ान खान अक्सर फिल्म चुनते समय उसका सब्जेक्ट देखते थे. फिल्म के बजट और पैसो से उन्हें कोई लेना देना नहीं था. यही चीज उन्हें बाकी अभिनेताओं से अलग बनाती थी.