राक्षस, असुर और दैत्य इस दुनिया में कैसे आए? जाने इनके जन्म की कहानी
प्रकृति का ये बहुत पुराना नियम हैं कि जहाँ अच्छाई होती हैं वहां बुराई भी होती हैं. जैसे इस दुनिया में पॉजिटिव एनर्जी हैं तो नेगेटिव एनर्जी भी हैं, दिन की रौशनी हैं तो रात का अँधेरा भी हैं, जीवन में सुख हैं तो दुःख भी आता हैं, परोपकारी लोग हैं तो कपटी लोगो की भी कमी नहीं हैं. इस तरह पहले के समय में देवता थे तो राक्षस भी थे. हिंदू धर्म में कई पैराणिक कथाएँ, ग्रन्थ और शास्त्र हैं. इनमें कई बार हमें राक्षसों का जिक्र सुनने को मिलता हैं. कई ऐसी कहानियाँ हैं जिनमें भगवान इन राक्षसों का वध करने के लिए धरती पर जन्म लेते थे. ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा हैं कि यह राक्षस, असुर या दैत्यों का जन्म आखिर कैसे हुआ होगा? ये इस संसार में आए कैसे? आज हम आपको इसके पीछे की दिलचस्प कहानी सुनाने जा रहे हैं.
ऐसे हुआ राक्षसों के पिता ऋषि कश्यप का जन्म
ये तो आप जानते ही हैं कि इस श्रृष्टि की रचना स्वयं ब्रह्माजी ने की हैं. इन्हीं की बदौलत आज इस संसार में हर चीज मौजूद हैं. जब ब्रह्मा जी श्रृष्टि का निर्माण कर रहे थे तो अपनी मदद के लिए उन्होंने अपने मानस पुत्रों को जन्म दिया था. इनमे से एक थे मरीचि पुत्र ऋषि कश्यप. ऐसा माना जाता हैं कि वो ऋषि कश्यप ही थे जिनके वशंज इस सृष्टि के विस्तार में सहायक सिद्ध हुए थे.
17 स्त्रियों से किया था ऋषि कश्यप ने विवाह
संसार की रचना में मदद करने के लिए ऋषि क्श्यप ने दक्ष प्रजापति की 17 पुत्रियों से विवाह किया था. इन पुत्रियों के नाम अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्टा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सुरसा, तिमि, विनता, कद्रू, पतंगी और यामिनी हैं. मान्यता हैं कि ऋषि कश्यप और उनकी 17 पत्नियों के माध्यम से ही संसार में कई प्राणियों का जन्म हुआ हैं.
किस पत्नी से कौन पैदा हुआ?
चलिए अब जानते हैं कि ऋषि कश्यप की किस पत्नी ने किस प्राणी को जन्म दिया.अदिति से सूर्य का जन्म हुआ, दिति से दैत्य, दानु से दानव दुनिया में आए, काष्ठा से अश्वों का जन्म हुआ, अनिष्ठा से गन्धर्व जबकि सुरसा से राक्षस जन्में. इसके बाद इला से वृक्ष बने, मुनि से अप्सरागण पधारे, क्रोधवशा से सर्पों का जन्म हुआ तो सुरभि से गौ माता प्रकट हुई. महिषसरमा नामक पत्नी से से श्वापद (हिंसक पशु), ताम्रा से श्येन-गृध, तिमि से यादोगण यानी जलजन्तु आए, विनता से गरुड़ और अरुण का जन्म हुआ, कद्रु से नाग की उत्पत्ति हुई, पतंगी से पतंग तो यामिनी से शलभ आए.
पर्वत जैसे विषय दैत्यों की आबादी कैसे बड़ी?
कहानियों के अनुसार कश्यप और दिति ने दो जुड़वाँ पुत्रों हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष को पैदा किया था. ये दोनों पर्वत जैसे विशाल थे. बस इन्ही के माध्यम से बाद में समस्त दैत्यों की उत्पत्ति हुई थी.
तो अब आप जान चुके हैं कि इस संसार में दैत्य, राक्षस और असुर कैसे पैदा हुए थे. यदि आपको ये जानकारी पसंद आई तो इसे दूसरों के साथ शेयर करना ना भूले. हम आपके लिए इसी तरह की और रोचक जानकारियाँ लाते रहेंगे.