मरने से कुछ दिन पहले ऐसी हो गई थी विनोद खन्ना की हालत, चेहरा देखकर भी पहचानना हो गया था मुश्किल
करियर के पीक पर फिल्मी दुनिया से दूर चले गए थे विनोद खन्ना, 5 साल माली बनकर गुजारा था जीवन
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता विनोद खन्ना की आज तीसरी पुण्यतिथि है। हिंदी सिनेमा के प्रतिभाशाली और खूबसूरत एक्टरों में से एक विनोद खन्ना 27 अप्रैल 2017 को इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। विनोद खन्ना लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। उनके निधन के 21 दिन पहले सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई थी। उस तस्वीर में उनका मुरझाया चेहरा देख फैंस का दिल पहले ही टूट गया था। इसके बाद जब उनके निधन की खबर सामने आई तो फैंस अपने आंसू नहीं रोक पाए। आज उनकी पुण्यतिथि पर आपको बताते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।
एक पार्टी में मिला फिल्म का ऑफर
विनोद खन्ना साइंस स्टुडेंट थे और उनका सपना था कि पढ़ाई के बाद वो इंजीनियर बन जाएं। वहीं उनके पिता जो टेक्सटाइल बिजनेसमैन थे वो चाहते थें कि विनोद कॉमर्स की पढ़ाईं करें और बाद में घर का बिजनेस संभाले। जब विनोद खन्ना की स्कूलिंग पूरी हुई तो विनोद खन्ना के पिता ने उनका एडमिशन एक कॉमर्स कॉलेज में करा दिया, लेकिन किस्मत विनोद को फिल्म इंडस्ट्री की ओर ले आई।
एक पार्टी में विनोद की मुलाकात सुनील दत्त से हुई। सुनील दत्त के छोटे भाई सोम दत्त अपने होम प्रोडक्शन में एक फिल्म बना रहे थे। उस फिल्म के लिए उन्हें एक नए एक्टर की तलाश थी। जब उनकी नजर विनोद पर पड़ी तो उन्हें पता चल गया कि वो ही उनकी फिल्म में हीरो बन सकते हैं। गोरा खूबसूरत चेहरा, लंबी कद काठी और चेहरे पर तेज देखकर विनोद खन्ना को वो रोल ऑफर कर दिया गया। फिल्म मन का मीत 1968 में रिलीज हुई और बॉलीवुड को मिला एक स्टार।
दमदार अभिनय से बनाई पहचान
ऐसा कहा जाता है कि विनोद खन्ना के पिता को उनका एक्टिंग करना बिल्कुल पसंद नहीं था। जब विनोद ने फिल्म करने की बात घर पर बताई थी तो उनके पिता ने उन पर बंदूक तान दी थी और कहा था कि अगर फिल्म के बारे में सोचा तो गोली मार देंगे। हालांकि उस समय विनोद खन्ना की मां बीच में आ गईं और अपनी पति को मनाया। उसके बाद उनके पिता ने शर्त रखी की अगर 2 साल में करियर नहीं बना तो वो फिर बिजनेस से जुड़ जाएंगे।
विनोद की पहली फिल्म थी मन का मीत जिसे दर्शकों का कुछ खास प्यार नहीं मिला। इसके पहले वो अपने पिता के बिजनेस से जुड़ने का मन बनाते उन्हें और फिल्में ऑफर हो गईं। 1971 में विनोद खन्ना ने सुनील दत्त और अमिताभ बच्चन स्टार रेशमा और शेरा की जो दर्शकों को काफी पसंद आई। इसके अलावा मेरे अपने में भी उनकी एक्टिंग की काफी तारीफ हुई। इसी साल उन्होंने 10 फिल्में की और बॉलीवुड में अपना सिक्का जमा लिया।विनोद खन्ना ने अपने जीवन में करीब 144 फिल्मों में काम किया और उनकी बहुत सी फिल्में हिट रहीं। फैंस सिर्फ एक्टिंग के ही दीवाने नहीं थे बल्कि उनके लुक्स के भी दीवाने हो गए थे।
अचानक फिल्मों से लिया था ब्रेक
विनोद खन्ना अपने करियर के पीक पर थे और उनकी फिल्में जबरदस्त हो रही थीं तभी एक समय ऐसा आया जब विनोद खन्ना ओशो से प्रभावित हो गए। इसके चलते उन्होंने 1975 में फिल्मों से ब्रेक ले लिया।विनोद खन्ना ओशो के साथ रजनीशपुरम आश्रम में करीब 5 साल रहे और माली का काम किया। यहीं से उनकी निजी जिंदगी खराब होने लगी। 5 साल अमेरिका रहने से उनका परिवार टूट गया। उनकी पत्नी गीतांजलि ने उन्हें तलाक देने का फैसला कर लिया। बता दें कि विनोद और गीतांजलि के दो बेटे हैं अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना। इन दोनों ने फिल्मों में काम किया है जिसमें अक्षय खन्ना एक सफल एक्टर माने जाते हैं। हालांकि विनोद खन्ना ने दो शादियां की थी।
5 साल तक अमेरिका में रहने के बाद विनोद खन्ना ने बार फिर फिल्मों में आने का फैसला किया।। उन्होंने डिंपल कपाड़िया के साथ फिल्म इंसाफ से बॉलीवुड मे कमबैक किया और कुछ सफल फिल्में दीं। फिल्म दयावान में वो अपने से बेहद छोटी एक्ट्रेस माधुरी के साथ नजर आए थे। इस फिल्म में उनके और माधुरी के इंटीमेट सीन के काफी चर्चे भी हुए थे। इसके बाद विनोद खन्ना ने पिता के रोल करने शुरु कर दिए थे। उन्होंने दबंग और वांटेड में सलमान के पिता का रोल निभाया था। आज विनोद खन्ना भले ही हमारे बीच ना हों, लेकिन उन्होंने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक फिल्म दी है जिसे फैंस कभी नहीं भूल पाएंगे।