कलावा बदलने के लिए केवल दो दिन ही मानें गए हैं शुभ, इसे धारण करते समय ना करें ये गलतियां
हिंदू धर्म में मौली को एक विशेष धागा माना गया है और हाथों में मौली के धागे को बांधने से कई लाभ मिलते हैं। मौली धागे का प्रयोग हर पूजा पाठ के दौरान किया जाता है और किसी भी पूजा की शुरूआत करते हुए सबसे पहले कलाई पर मौली का धागा बांधा जाती है। मौली के धागे को कलावा या रक्ष सूत्र भी कहा जाता है और ये लाल, पीले और हरे रंग का धागा होता है।
मौली धागा बांधने के लाभ
मौली का धागा बांधने से कई प्रकार के लाभ जुड़े हुए हैं। इस पवित्र धागे को जो लोग बांधते हैं उनकी रक्षा रोगों से होती है। साथ में ही हर कार्य में सफलता मिल जाती है। इस धागे को बांधने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है और दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
कब बांधा जाता है कलावा
कलावा को मांगलिक कार्यक्रमों, पूजा पाठ या किसी भी धार्मिक कर्म को शुरू करने से पहले बांधा जाता है। वहीं बांधे गए कलावा जब खराब हो जाता है तो इसे बदला जाता है। हालांकि कलावा को बदलने से कई सारे नियम जुड़े हुए हैं और इसे केवल नियमों के तहत ही बदला जाता है।
कलावा बदलने से जुड़े नियम
- कलावा को बदलने से जुड़े पहले नियम के तहत इसे केवल मंगलवार और शनिवार के दिन ही बदलना चाहिए। इन दो दिनों के अलावा आप अन्य किसी भी दिन इसे ना बदलें।
- नया कलावा बांधने के बाद पुराने धागे को आप फेंके नहीं। बल्कि उसे किस पेड़ पर चढ़ा दें।
- नया कलावा पहनते हुए नीचे बताए गए मंत्रों का जाप जरूर करें –
पहला मंत्र –
1. येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
इस मंत्र का अर्थ है किदानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं।
दूसरा मंत्र –
2. ओम यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:।
तन्मSआबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्।
किस हाथ में बांधा जाता है धागा
- कलावा को विवाहित स्त्री बाएं हाथ में बांधती है। जबकि अविवाहित स्त्री के दाएं हाथ पर इसे बांधा जाता है। वहीं आदमियों को ये धागा उनके दाएं हाथ में बांधने का नियम है।
- जब भी इस पवित्र धागे को बांधा जाता है तो मुट्ठी को बंद रखा जाता है और मुट्टी के अंदर पैसे रखे जाते हैं। ऐसा करने से लक्ष्मी मां सदा आपके पास रहती है और आपको धन की कमी नहीं होती है।
- कलावा को सिर्फ तीन बार ही लपेटना चाहिए।
दो तरह का होता है कलावा
कलावा दो तरह का होता है एक तीन धागों वाला और दूसरा पांच धागों वाला। तीन धागों वाले कलावे में लाल, पीला और हरा रंग होता है। वहीं पांच धागे वाले कलावे में लाल, पीले, हरे रंगे के अलावा सफेद और नीला रंग होता है। पांच रंग वाले धागे को पंचदेव कलावा भी कहा जाता हैं। जबकि तीन धागे वाले कलावा को त्रिदेव के सामान माना जाता है।
इस धागे को कोई भी व्यक्ति पहन सकता है। इसलिए आप इस धागे को जरूर धारण करें। और जब ये खराब हो जाए तो इसे बदल लें। ये याद रखें की कलाई में केवल एक ही मौली का धागा धारण करें।