इस फिल्म में ह्रितिक रोशन ने श्रीदेवी को माना था चाची, कुछ ऐसा था दोनों का पहला सीन
आज के इस पोस्ट में हम आपको श्रीदेवी की एक फिल्म का किस्सा सुनाने जा रहे हैं. ये किस्सा है फिल्म भगवान दादा का. इस फिल्म के निर्देशक ह्रितिक रोशन के नाना थे. वहीं, बतौर हीरो फिल्म में राकेश रोशन नजर आये थे. हालांकि, इस फिल्म में उनके साथ साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत ने भी काम किया था. तब तक रजनीकांत के नाम हिंदी की केवल दो हिट फिल्में थी. पहली फिल्म थी अंधा कानून और दूसरी गिरफ्तार. 25 अप्रैल 1986 को भगवान दादा सिनेमाघरों में लगी थी.
फिल्म के एक सीन में श्रीदेवी को देखते हुए ह्रितिक रोशन ने एक डायलॉग मारा था. डायलॉग था, “मेरे मुंह से निकली बात जरूर पूरी होती है. तुम चाची बनकर ही रहोगी”. फिल्म में यह सीन तब आता है जब ह्रितिक अपने बाबूजी यानी रजनीकांत (भगवान दादा) को ढूंढते हुए उनके घर पहुंच जाते हैं. रजनीकांत को लोग फिल्म में किसी भगवान की तरह पूजते हैं, क्योंकि बस्ती वालों को शंभू दादा के आतंक से मुक्त कराने वाला भगवान दादा ही था.
इसी घर में राकेश रोशन यानी स्वरुप और श्रीदेवी यानी बिजली को भी पनाह मिलती है. फिल्म में गोविंदा के रोल को ह्रितिक ने निभाया है, जो बिजली को स्वरुप की पत्नी समझ लेता है.जब श्रीदेवी का निधन हुआ था तब ह्रितिक रोशन ने भगवान दादा की फोटो अपने इन्स्टाग्राम अकाउंट पर शेयर करते हुए लिखा था, “मुझे उनसे प्यार था, मैं उन्हें इतना ज्यादा मानता था. मेरे जीवन का पहला एक्टिंग सीन उन्हीं के साथ था और मैं उस दिन बहुत नर्वस भी था”
ह्रितिक ने आगे लिखा था, “मुझे याद है कि मेरा हौसला बढ़ाने के लिए वह भी अपने हाथ ऐसे हिला रही थीं कि मुझे लगे वह मुझे देखकर नर्वस हैं और कांप रही हैं. ये देख सब हंस पड़े थे और वह तब तक हंसती रहीं जब तक कि शॉट ओके नहीं हो गया. मैं आपको कभी नहीं भूल पाऊंगा, मैम”. ये तो रही ह्रितिक रोशन की बात, लेकिन उससे भी ज्यादा दिलचस्प कहानी इस फिल्म के बनने की है. दरअसल, फिल्म के निर्माता और अभिनेता राकेश रोशन जब श्रीदेवी से एक फिल्म साइन करवाने चेन्नई जा रहे थे तब उनकी मुलाकात एक मशहूर लेखक डॉक्टर राही मासूम रजा से हुई.
फ्लाइट में एक-दूसरे से बातचीत के दौरान मासूम रजा ने ये कहानी राकेश रोशन को सुनाई. राकेश रोशन चेन्नई तो श्रीदेवी से कोई सोलो फिल्म साइन करवाने जा रहे थे, लेकिन भगवान दादा के लिए साइन करके वापस लौटे. जानकारी के लिए बता दें फिल्म की शूटिंग के दौरान निर्देशक और ह्रितिक के नाना जे ओमप्रकाश की तबियत बिगड़ गयी थी, जिसके चलते राकेश रोशन को फिल्म के तमाम सीन निर्देशित करने पड़े थे. भगवान दादा में बतौर निर्माता उन्हें जो भी नुकसान हुआ उसे राकेश रोशन ने बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म खुदगर्ज से सूद समेत वसूल लिया.
साल 1987 में राकेश रोशन ने खुदगर्ज बनायी थी और तब से लेकर अब तक वह अपनी प्रोडक्शन हाउस की फिल्मों में बतौर लीड हीरो कभी नजर नहीं आये. बता दें कि राकेश रोशन की हर फिल्म का नाम अंग्रेजी के अक्षर ‘K’ से होता है, ठीक उसी तरह जैसे उनके ससुर जे ओमप्रकाश भी अपनी सभी फिल्मों का नाम ‘A’ से रखा करते थे. उनकी फिल्म भगवान दादा का नाम पहले अशोक दादा था, जिसे राकेश रोशन ने बदल दिया था.
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