घर मे काम करने वाली महिला के निधन के बाद गौतम गंभीर ने किया अंतिम संस्कार, कहा- वो मेरे……
देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना से गंभीर हालात बने हुए हैं और हर कोई कोरोना महामारी से जंग से जीतना चाहता है
देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना से गंभीर हालात बने हुए हैं और हर कोई कोरोना महामारी से जंग से जीतना चाहता है। कोरोना से जारी इसी जंग के बीच पूर्व क्रिकेटर और बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने मानवता की मिसाल पेश की है। गौतम गंभीर के का सिर्फ अक्रामक स्वभाव ही नहीं है बल्कि उनका दिल भी बहुत बड़ा है।गौतम गंभीर जरुरतमंदों की मदद करने से पीछे भी नहीं हटते। इसी के चलते गौतम के क्रिकेट के अलावा अब राजनीति में भी फैंस बढ़ गए हैं। हाल ही में गौतम गंभीर ने ऐसा ही एक ऐसा नेक काम किया है जिससे उनकी हर जगह तारीफ हो रही है।
गौतम गंभीर ने किया अंतिम संस्कार
दरअसल गौतम गंभीर ने एक महिला का अंतिम संस्कार खुद अपने हाथ से किया है। ये महिला उनके परिवार की सदस्य नहीं बल्कि परिवार जैसी ही थीं। गौतम गंभीर के घर में काम करने वाली ये महिला ओडिशा की रहने वाली थीं और उनका नाम सरस्वती पात्रा था। सरस्वती को शुगर और ब्लड प्रेशर की बीमारी थी। कुछ दिन पहले ही उन्हें दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
Taking care of my little one can never be domestic help. She was family. Performing her last rites was my duty. Always believed in dignity irrespective of caste, creed, religion or social status. Only way to create a better society. That’s my idea of India! Om Shanti pic.twitter.com/ZRVCO6jJMd
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) April 23, 2020
इसके बाद 21 अप्रैल को इलाज के दौरान सरस्वती इस दुनिया को अलविदा कह गईं। जिसके बाद गौतम गंभीर ने खुद अपने हाथों से सरस्वती का अंतिम संस्कार किया। वो पिछले 6 सालों से उनके परिवार में काम कर रही थीं।
उनके निधन पर गंभीर ने ट्वीट कर लिखा कि वो मेरे परिवार का हिस्सा थीं। उनका अंतिम संस्कार करना मेरा कर्तव्य था। मैं हमेशा जाति, पंथ, धर्म या सामाजिक स्थिति के बावजूद गरिमा में विश्वास रखता हूं। मेरे लिए बेहतर समाज बनाने का ये ही तरीका है। मेरे विचार में भारत ये ही है। ओम शांति।
मदद के लिए आगे आए गंभीर
बता दें की सरस्वतीं पिछले 6 सालों से गौतम गंभीर के घर की देखभाल कर रही थी। वो उनकी दोनों बेटियों अनाइजा और आजीन की देखभाल किया करती थीं। उस परिवार में रहते रहते वो उसका हिस्सा बन चुकी थी। ऐसे में उनके निधन के बाद गंभीर ने उन्हें परिवार जैसा ही सम्मान दिया। खून का रिश्ता ना होने के बावजूद उन्होंने दिल के रिश्ते को अहमियत दी और उनका विधि पूर्वक अंतिम संस्कार किया। उनके इस कदम की हर कोई सराहना कर रहा है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि उनके बच्चों की देखभाल करने वाली कभी नौकरानी नहीं हो सकती। वो मेरा परिवार थीं।
बता दें की गौतम गंभीर कोरोना से जंग लड़ने में भी पीछे नहीं है। वो कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए आगे भी आए हैं। गौतम गंभीर ने अपने दो साल का वेतन पीएम केयर्स एंड फंड में दान कर दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने दिल्ली सरकार को भी मेडिकल इक्विपमेंट और दूसरे जरुरी सामान के लिए एक करोड़ रुपए भी डोनेट कर दिया है। साथ ही उन्होंने गरीबों को भोजन भी बांटा।
गंभीर ने कोरोना योद्धाओं की तारीफ करते हुए कहा कि हमने पिछले 30 दिनों में राशन किट और हर दिन करीब 10 हजार लोगों को खाना भी बांटा है। गंभीर ने बताया कि कोरोना पीड़ितों के लिए करीब 15 हजार N95 मास्क, 4200 पीपीई किट और शेल्टर होम्स के लिए 2000 बेड के इंतजाम किए गए हैं। संक्रमितों के आंकड़े की बात करें तो देश में अब तक 23 हजार से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं और 686 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।