मरीजों के लिए घातक साबित हो रही है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा, आंकड़ों से बढ़ी ट्रंप की चिंता
इस दवा के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से अपील की थी
पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना के कहर को झेल रही है और कई देशों में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना से निपटने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई इलाज नहीं मिल पाया है। वहीं कोरोना के लिए कोई वैक्सीन भी अभी तक तैयार नहीं हुई है। हालांकि एंटी मलेरिया की दवाई हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को काफी हद तक कोरोना के इलाज के लिए सफल माना जा रहा था। इसके चलते कई देशों ने भारत से इस दवा की मांग भी की थी, लेकिन अमेरिका में इस दवा पर हुई स्टडी में हैरान कर देने वाली बात सामने आई है।
ट्रंप ने भारत से की थी दवा की अपील
गौरतलब है कि कुछ समय पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से अपील करते हुए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की मांग की थी। इसके बाद अमेरिका में इस दवा पर टेस्ट किया गया। इस टेस्ट में पाया गया कि ये दवा कोरोना के इलाज में कारगर नहीं है बल्कि और नुकसान पहुंचा रही है। वहां ऐसा पाया गया कि सामान्य इलाज की तुलना में उन मरीजों की ज्यादा मौत हुई है जिन्हें ये दवा दी गई थी।
इस दवा पर अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के प्रोफेसरों ने स्टडी की। उनका कहना है कि इस दवा को देने के बाद कोरोना मरीजों की हालत पहले कुछ ठीक होती है, लेकिन फिर बिगड़ने लगती है और मरीज की मौत हो जाती है। इस स्टडी में साफ तौर पर कहा गया है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा से करीब 28 प्रतिशत कोरोना संक्रमितों की मौत हो रही है। वहीं जिन्हें ये दवा नहीं दी गई उसमें 11 प्रतिशत मरीज अपनी जान गवां रहे हैं।
रिसर्च में हुआ खुलासा
यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया और NIH के वैज्ञानिकों की एक टीम ने करीब 368 कोरोना मरीजों का इससे इलाज किया। इनमें से कई या तो मर चुके थे या फिर ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिए गए थे। जांच में बात सामने आई की 97 मरीजों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा दी गई। वहीं 113 मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के साथ एजिथ्रोमाइसिन दी गई। जबकि 158 मरीजों को ये दवा दी ही नहीं गई।
इस स्टडी का रिजल्ट चौंकाने वाला था। जिन 97 मरीजों को दवा दी गई थी उसमें 27.8% की मौत हो गई। वहीं जिन 113 मरीजों को इस दवा के साथ साथ एजिथ्रोमाइसिन की दवा दी गई थी उनमें से 22.1% मरीजों की मौत हो गई। आखिरी के बचे 158 मरीज जिन्हें ये दवा नहीं दी गई थी उनमें सिर्फ 11.4 % लोग ही मरे।
इस स्टडी से ये बात तो काफी हद तक साफ हो चुकी है कि एंटी मलेरिया दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना मरीजों के लिए ज्यादा असरदार नहीं है, बल्कि घातक बनती जा रही है। अमेरिका में डॉक्टर इस दवा के उपयोग से बच रहे हैं। ब्राजील में भी डॉक्टरों ने इस दवा का इस्तेमाल अपने मरीजों पर करने से मना कर दिया है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इस दवा का इस्तेमाल करते ही मरीज को दिल और सांस की तकलीफ बढ़ जा रही है।अमेरिका में इस दवा के लिए और एजिथ्रोमाइसिन को लेकर एक नई गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है जिसमें कहा गया है कि इसका इस्तेमाल ना किया जाए।