आज है वैशाख अमावस्या , पितरों कि मुक्ति के लिए घर पर इस तरह करें पूजा और तर्पन
वैशाख अमावस्या को श्राद्ध अमावस्या भी कहते हैं। क्योंकि इस अमावस्या के दिन पितरों के लिए पूजा की जाती है और उनका श्राद्ध किया जाता है
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष को आने वाली अमावस्या को वैशाख अमावस्या कहा जाता है। कई लोग इस अमावस्या को श्राद्ध अमावस्या भी कहते हैं। क्योंकि इस अमावस्या के दिन पितरों के लिए पूजा की जाती है और उनका श्राद्ध किया जाता है। ज्योतिषयों के अनुसार 22 अप्रैल को वैशाख कृष्ण पक्ष की उदया तिथि चतुर्दशी है | चतुर्दशी तिथि आज सुबह 5 बजकर 38 मिनट तक रहेगी | उसके बाद अमावस्या शुरू हो जाएगी | जिससे की अमावस्या दो दिनों की होगी। एक आज और दूसरी कल। आज की अमावस्या के दिन श्राद्ध जैसे कार्य किया जाएंगे और कल यानी 23 अप्रैल को स्नान-दान की अमावस्या मनायी जाएगी।
श्राद्ध अमावस्या
श्राद्ध अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है और पितृ शांत हो जाते हैं। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उन लोगों को श्राद्ध अमावस्या के दिन पितरों की पूजा करना चाहिए।
इस तरह से करें पूजा
श्राद्ध अमावस्या के दिन सुबह स्नान कर अपने पितरों की पूजा करें। पूजा करने के लिए अपने घर के आंगन या छत पर पूजा करने वाली जगह पर गोबर लगा दें। फिर इस जगह पर तिल, खीर और खाने की अन्य चीजें रखकर गोबर के उपले जला दें। अब अपने पितरों को खीर का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद थोड़ा-सा पानी अपने दायें हाथ में लें और इसे भोग की बायीं तरफ छोड़ दें।
इसके बाद अपने मन में अपने पितरों का नाम लें और उन्हें शांत होने को कहें और उनसे आशीर्वाद मांगे। ये करने के बाद इस भोग वाली खीर को पक्षियों के लिए छोड़ दें। अगर पक्षी आकर ये खीर खा लेते हैं। तो समझ लें की आपकी पूजा सफल रही है और आपको पितरों का आशीर्वाद मिल गया है।
घर पर कैसे करें तृप्ति का कर्म
आज के दिन पितरों का तर्पण भी करना शुभ होता है। पितरों का तर्पण करने के लिए एक लोटे में जल भर ले। इसमें थोड़ा सा गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डाल दें। उसके बाद दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों का तर्पण करें और इस जल को धीरे-धीरे धरती पर गिराएं।
स्नान-दान की अमावस्या
23 अप्रैल को स्नान-दान की अमावस्या है। यानी इस दिन स्नान करने और उसके बाद चीजों का दान करने का बेहद ही महत्व होता है। स्नान-दान की अमावस्या के दिन सुबह उठकर पवित्र जल से स्नान कर लें। आप अपने पानी में गंगा जल मिल सकते हैं। नहाने के बाद पूजा करें। पूजा करते समय गरीबों को दान देने वाली वस्तुएं भी मंदिर में रख दें और इनकी पूजा भी करें। पूजा खत्म होने के बाद किसी गरीब व्यक्ति को ये चीजें दान के रुप में दे दें। इन चीजों का दान करते समय व्यक्ति को पैसे भी दें।
करें ये चीजें दान
खाने की चीजें, कपड़े, चप्पल, छाता और इत्यादि चीजों का दान कर सकते हैं। इन चीजों का दान करने से गृह शांत रहते हैं और कुंडली में मौजूद हर दोष भी दूर हो जाते हैं।