किन्नरों का अंतिम संस्कार होता है सब से अलग, पार्थिव शरीर के साथ किये जाते हैं ऐसे ऐसे काम
किन्नर अपने राज कभी किसी के साथ शेयर नहीं करते हैं. किन्नर के अंतिम संस्कार के पीछे भी छिपा हुआ हैं एक गहरा राज
कहते हैं किन्नर की दुआ और बददुआ दोनों ही बहुत असरदार होती हैं. किन्नर समाज का ऐसा समुदाय हैं जिन्हें लोग पहचानते तो हैं लेकिन उनके निजी जीवन के बारे में बहुत कम जानते हैं. आपको जान हैरानी होगी कि जो किन्नर अपनी दुआओं से हमारे जीवन में खुशियों की बहार लाते हैं वे अपने दुःख दर्द में किसी गैर-किन्नर को शामिल करना पसंद नहीं करते हैं. इसके पीछे भी एक गहरा राज छिपा हुआ हैं. आज के इस आर्टिकल में हम दो प्रमुख बातों पर चर्चा करेंगे. पहली किन्नर का अंतिम संस्कार कैसे होता हैं और दूसरी उनके पार्थिव शरीर के साथ क्या किया जाता हैं.
किन्नर अपने राज कभी किसी के साथ शेयर नहीं करते हैं. यही वजह हैं कि जब हमारे पत्रकारों ने कई किन्नरों से संपर्क साधा किसी किन्नर के अंतिम संस्कार का रहस्य नहीं खोला. इसके बाद उनकी मुलाक़ात ट्रेन में एक किन्नर से हुई. जब उससे इस बारे में पूछा गया तो पहले वह बहुत नाराज़ हुआ लेकिन बाद में नाम उजागर ना करने की शर्त पर उसने इस राज से पर्दा उठा दिया.
सिर्फ किन्नर समुदाय होता हैं शामिल
जब भी किसी किन्नर की मृत्यु हो जाती हैं तो उसमे गैर-किन्नरों यानी आम लोगो को शामिल नहीं किया जाता हैं. ऐसी मान्यता हैं कि यदि कोई आम व्यक्ति किन्नर का अंतिम संस्कार देख लेता हैं तो अगले जन्म में वो भी किन्नर ही बनता हैं.
शव को मारते हैं जूते चप्पल
मृत किन्नर की पार्थिव शरीर को बाकी किन्नर जूते चप्पल से पिटते हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि यह करने से इस जन्म में करे गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाती हैं. इसके अलावा किन्नर की मौत होने पर उस समुदाय के लोग एक हफ्ते तक खाना भी नहीं खाते हैं.
जलाया नहीं दफनाया जाता हैं
वैसे तो किन्नर समुदाय सभी हिंदू रीती रिवाजों को मानता हैं लेकिन अंतिम संस्कार करते समय इनकी पार्थिव शरीर को जलाने की बजाए दफनाया जाता हैं. यह प्रक्रिया रात में ही की जाती हैं ताकि आम लोग इसे ना देख सके.
नहीं मनाते मातम
एक और हैरान कर देने वाली बात हैं कि किन्नर समुदाय अपने साथ की मौत पर मातम नहीं मनाता हैं. बल्कि ये लोग किन्नर की मौत का जश्न मनाते हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि मरने के बाद किन्नर को नरक युगी जीवन से मुक्ति मिल जाती हैं. अगले जन्म में वो सामान्य इंसान की तरह पैदा होता हैं. इस दौरान सभी किन्नर अपने अराध्य देव अरावन से विनती करते हैं कि वे मृतक को अगले जन्म में किन्नर ना बनाए. इसके अतिरिक्त मृत व्यक्ति ने अपने जीवन में जो कुछ भी कमाया होता हैं उसे दान कर दिया जाता हैं.
किन्नर समुदाय को आज भी समाज में उतनी इज्जत और मान सम्मान नहीं मिलता हैं जिसके वे हकदार हैं. यही वजह हैं कि इन्हें घर घर पैसा मांगकर ही अपना दैनिक खर्च निकालना पड़ता हैं. इन्हें किसी और फिल्ड में जॉब बहुत कम मिल पाती हैं. वैसे आप लोगो को किन्नर समुदाय के ये रहस्य कैसे लगे हमें कमेंट कर जरूर बताइएगा.