80 फीसदी लोगो में नहीं दिखते कोरोना के लक्षण, ऐसे मरीज भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा
कोरोना वायरस इस समय पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा हैं. अभी तक यही जानकारी थी कि जिन्हें कोरोना हैं उनके शरीर में सिने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, बुखार, सूखी खांसी इत्यादि लक्षण देखे जाते हैं. हालाँकि नई रिपोर्ट्स की माने तो अब ऐसे मरीज भी सामने आ रहे हैं जिनमे कोरोना वायरस के कोई भी लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं. इस तरह के मरीज और भी ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि ये लक्षण ना दिखने पर अंजाने में दूसरों को भी तेजी से संक्रमित कर सकते हैं. दरअसल बीते सोमवार इंडिया टुडे के ई-कॉन्क्लेव की सीरीज में शामिल हुए अमेरिका के प्रसिद्ध वायरलॉजिस्ट और बायोटेक इन्वेस्टर पीटर कोलचिन्स्की ने इस बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा की हैं.
मशहूर वॉयरलॉजिस्ट पीटर कोलचिन्स्की बताते हैं कि बिना लक्षण वाले कोरोना मरीज सबसे बड़ा चैलेंज हैं. ये वायरस इतने शातिर होते हैं कि चुपके से आपके शरीर को संक्रमित कर देते हैं. पहले ये आपके श्वसन तंत्र में प्रवेश करते हैं और फिर चुपके से अपनी संख्या तेजी से बढ़ाने लगते हैं. जब मरीज में कोई लक्षण नहीं दिखते तो उसे आइसोलेट करना भी बड़ा चुनौतीपूर्ण टास्क होता हैं. ऐसे में जब तक इस टाइप के मरीजों में कोरोना के लक्षण दिखना स्टार्ट होते हैं तब तक वो कई लोगो को संक्रमित कर चुका होता हैं.
इसलिए लक्षण दिखे या ना दिखे एक सतर्कता बरतना और सोशल डिस्टेंस रखना बेहतर आईडिया होता हैं. यदि आप सावधानी बरतते हैं तो इसका लाभ दूसरों को भी होगा. वायरलॉजिस्ट आगे बताते हैं कि ए-सिम्प्टमैटिक ( बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमित) मरीजों की संख्या यदि 80 फीसदी भी होती हैं तो पूरी दुनिया में मरने की दर 1 फीसदी हो जाएगी. अब प्रॉब्लम ये हैं कि यदि ये दर दुनिया में 0.2 फीसदी भी होती हैं तो अरबों लोगो की मौत हो जाएगी.
उधर ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) ने भी इसी बात पर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को बताया कि भारत में 80 फीसदी मामले बिना लक्षण वाले ही हैं. ICMR डिप्टी डायरेक्टर डॉ. रमन गंगाखेड़कर बताते हैं कि मान लीजिए यदि 100 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं तो इनमे से 80 फीसदी ऐसे लोग होते हैं जिनमें इसके या तो कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या फिर ये बहुत कम दिखते हैं. बस यही चीज इंडिया के लिए चिंता वाली हैं. अब बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों की पहचान करना बड़ा कठिन हो जाता हैं. इस तरह के केस में सिर्फ कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के जरिए ही उन्हें ट्रेस किया जा सकता हैं.
बताते चले कि इसके पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि दिल्ली में 186 कोरोना मरीज ऐसे हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखे हैं. उधर ICMR का कहना हैं कि भारत की आबादी अधिक होने के कारण यहाँ हर किसी का टेस्ट करना संभव भी नहीं हैं. इसलिए सभी को यही सलाह हैं कि वे लक्षण ना दिखने पर भी सोशल डिस्टेंस का ठीक से पालन करे.
सूत्रों की माने तो कोरोना वैक्सीन साल के अंत तक बनकर तैयार हो सकती हैं, लेकिन इसे पहले मेडिकल स्टाफ और सीरियस कोरोना मरीजों को दिया जाएगा. आम लोगो के लिए ये अगले वर्ष की पहली तिमाही तक उपलब्ध हो सकेगी.