जब चोर ने बताई चोरी की वजह तो भर आईं जज की आंखे, शाबाशी देकर कही ये बात…..
लॉकडाउन में बहुत से काम ठप पड़े हैं और गरीब और भूखे लोगों को रोजी-रोटी का संकट आ गया है
देश में कोरोना का कहर लोगों की जान ले रहा है और इसलिए पूरे देश में ल़ॉकडाउन चल रहा है। इसके चलते कुछ लोग तो परिवार के साथ हैं तो वहीं कुछ परिवार से दूर हैं। हालांकि सबसे बड़ी समस्या जिन लोगों को इस ल़ॉकडाउन में हुई है वो हैं गरीब और भूखे लोग। इन लोगों को ना काम मिल रहा है और ना ही सड़क पर कोई इन्हें कुछ खाने को दे रहा है। ऐसी ही गरीबी की एक ऐसी कहानी सामने आई है जिसे सुनकर समाज की हकीकत और इंसान की बेबसी दोनों दिखाई दे रही है। ये घटना है एक बच्चे की जिसकी जुर्म की कहानी सुनकर जज की आंखे भर आईं और उसे सजा देने के बजाए उन्होंने इनाम दे दिया।
मां के लिए करनी पड़ी चोरी
ये घटना नांलदा जिले के बिहारशरीफ की है जहां एक नाबालिग बच्चे को चोरी के आरोप में पुलिस जज के सामने ले आई। जज के सामने आने पर उस बच्चे ने बताया की उसने क्यों चोरी की। बच्चे ने बताया कि उसने भूख से तड़प रही अपनी मां के लिए खाना जुटाने के लिए चोरी की थी। वो बहुत गरीब है और लॉकडाउन के चलते उसके घर में खाने के लाले पड़ गए हैं। उसकी मां भूख से परेशान थी और अपनी मां के खाने का इंतजाम करने के लिए उसे चोरी करनी पड़ी।
जज ने जब बच्चे की बात सुनी तो उनका दिल पसीज गया। उन्होंने उस किशोर को सजा देने की जगह शाबाशी दी और उसके परिवार के लिए राशन और कपड़ा भी दे दिया। इस्लामपुर में रहने वाले इस नाबालिग को पुलिस ने किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट में पेश किया था। उस पर चोरी का आरोप लगा था। जज ने किशोर की सारी बात सुनी और फिर उन्होंने उसे राशन दिया। साथ ही पदाधिकारियों को उसकी मदद करने को कहा और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने का आदेश भी दिया।
जज ने कराए सारे इंतजाम
सिर्फ इतना ही नहीं जज ने नाबालिग को खाने के लिए राशन और उसकी मां के लिए कपड़े भी दिलाए। उन्होंने इस्लामपुर के थानाध्यक्ष को किशोर को सुरक्षित उसके घर तक पहुंचाने के आदेश भी दिए। साथ ही उन्होंने हर चार महीने पर नाबालिग संबंधित प्रगति रिपोर्ट जेजेबी को सौंपने को भी कहा। बच्चे ने बताया कि उसके पिता की मौत कुछ साल पहले हो चुकी है।
उसने आगे बताया कि पिता के मौत के बाद उसकी मां की हालत खराब हो गई। उसकी मां की स्थिति ऐसी है कि वो अपने रोज का काम भी नहीं कर पातीं और हर काम के लिए अपने बेटे पर निर्भर हैं। उसका एक छोटा भाई भी है। परिवार को पालने की जिम्मेदारी उसकी ही है। उसका घर भी टूटा-फूटा है और सोने के लिए एक खाट तक नहीं है। किसी भी तरह से जीवन यापन चल रहा था और लॉकडाउन के चलते वो सब भी बंद हो गया। इसके चलते मजबूरी में बच्चे को चोरी करनी पड़ी। जज ने इस्लामपुर बीडीओ को पत्र लिखकर बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने के निर्देश भी दिए हैँ।