मरने के बाद कितने समय शरीर में जिंदा रहता हैं कोरोना वायरस? जाने दफनाना या जलाना क्या हैं बेस्ट
कोरोना वायरस (Corona virus) का फिलहाल कोई भी सटीक इलाज नहीं हैं. इस महामारी से बचने का सिर्फ एक ही तरीका हैं कि आप इसके संक्रमण से बचकर रहे. सोशल डिस्टेंस (सामाजिक दूरी) का ध्यान रखे और बार बार साबुन या हैंड सेनेटाईजार से अपने हाथ धोते रहे. कोरोना आम वायरस के मुकाबले तीन गुना ज्यादा तेजी से फैलता हैं. यही वजह हैं कि लॉकडाउन लगा लोगो को घर में कैद रहने को मजबूर किया जा रहा हैं. ये बात तो साफ़ हैं कि कोरोना पॉजिटिव मरीज से इसके फैलने का सबसे अधिक खतरा रहता हैं. लेकिन यदि ये मरीज मर जाए तो फिर क्या? तब ये वायरस उस मृत व्यक्ति के शरीर में कितनी देर तक जिंदा रह सकता हैं? आज हम इसी सवाल का जवाब जानेंगे.
सभी देशों की सरकार ने कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगो के अंतिम संस्कार को लेकर कुछ ख़ास गाइडलाइन्स जारी की हैं. इसकी वजह ये है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज के मरने के बाद भी उससे संक्रमित होने के चांस बने रहते हैं. इसलिए कई लोगो के मन में यह जिज्ञासा हैं कि मरने के इतने घंटो या दिनों तक कोरोना एक्टिव बॉडी में रह सकता हैं.
मरने के 3-4 दिन तक बॉडी में जिंदा रहता हैं कोरोना
यदि किसी व्यक्ति की कोरोना वायरस के चलते मौत हो जाती हैं तो भी यह वायरस उस शख्स की बॉडी में तीन से चार दिन तक जिंदा रह सकता हैं. इसकी वजह ये हैं कि कोविड-19 वायरस व्यक्ति के शरीर में तब तक ही जिंदा रह सकता है, जब तक कि बॉडी में फ्लूड यानी तरल रहता है. यदि कोरोना से मृत व्यक्ति को दफनाया जाए तो ये तरल उसके शरीर में तीन से चार दिन तक रहता हैं. इसलिए इस शख्स से अगले तीन चार दिनों तक संक्रमित होने का खतरा मंडराता रहता हैं. हालाँकि इसके लिए उस वायरस का आपके शरीर में मुंह, आंख, नाक या खून के जरिए घुसना जरूरी होता हैं.
दफनाना या जलाना? क्या सही?
विज्ञान के अनुसार कोरोना पॉजिटिव मरीज के मृत शरीर का अंतिम संस्कार दफनाकर और जलाकर दोनों ही माध्यम से किया जा सकता हैं. हालाँकि इस दौरान कुछ ख़ास बातों का ख्याल रखना पड़ता हैं. वैसे तो दफ़नाने और जलाने दोनों ही प्रक्रियाओं के दौरान इस वायरस के दूसरों में फैलने का खतरा होता हैं लेकिन जलाने के बाद राख से कोई संक्रमण नहीं होता हैं. वहीं दफ़नाने के बाद भी उस बॉडी से 3-4 दिनों तक वायरस फैलने का खतरा बना रहता हैं.
क्या जलाने से हवा में फैलेगा?
दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया के अनुसार कोरोना वायरस शवों को जलाने पर हवा के माध्यम से नहीं फैलता हैं. उनके अनुसार यह वायरस रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिक्विड- कफ, लार वगैर से फैलता हैं. इसके अलावा ये खांसी या छींक से भी फैलता हैं. इसलिए जलाने से इस वायरस के हवा में फैलने का कोई ख़तरा नहीं होता हैं.
कुल मिलकर देखा जाए तो कोरोना पॉजिटिव शवों को जलाना दफ़नाने की तुलना में ज्यादा बेहतर विकल्प हैं, हलांकि सावधानी बरती जाए तो दफ़नाने में भी कोई खतरा नहीं हैं. चीन में तो सभी शवों को दफ़नाने की बजाए जलाने के आदेश दिए गए हैं. भारत में भी पहले जलाने के आदेश दिए गए थे लेकिन विरोध होने के बाद इसे वापस लेना पड़ा था.
कोरोना मरीज के अंतिम संस्कार की गाइडलाइन्स
शव को छुए नहीं, गले ना लगाए, चूमे नहीं, नहलाए धुलाए नहीं, नए कपड़े ना पहनाए, शव को सील पैक बैग में रखे और अंतिम संस्कार में ज्यादा लोग जमा ना करे. इसके अलावा शव को दफना रहे हैं तो गड्डा अधिक गहरा होना चाहिए.