बगलामुखी माँ और यन्त्र | बगलामुखी कवच साधना विधि, चालीसा और मंत्र प्रयोग
माँ बगलामुखी (bagalamukhi mantra) जी आठवी महाविद्या हैं। इनका प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौरापट क्षेत्र में माना जाता है। हल्दी रंग के जल से इनका प्रकट होना बताया जाता है। इसलिए, हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। इनके कई स्वरूप हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है।
जानिये कौन है बगलामुखी मां और क्या है इनका रहस्य
इनके भैरव महाकाल हैं। माँ बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है.
देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए !देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है.
बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है.बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं.
माँ बगलामुखी देवी का मंदिर
देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है.पीताम्बरा की उपासना से मुकदमा में विजयी प्राप्त होती है। शत्रु पराजित होते हैं। रोगों का नाश होता है। साधकों को वाकसिद्धि हो जाती है। इन्हें पीले रंग का फूल, बेसन एवं घी का प्रसाद, केला, रात रानी फूल विशेष प्रिय है। पीताम्बरा का प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के नलखेडा(जिला-आगर मालवा ) में स्थित है
श्री बगलामुखी चालीसा (Bagalamukhi Mantra)
नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल |
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ||
नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी | १|
भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविधा वरदानी |२ |
अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा |३ |
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना |४ |
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे |५ |
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला |६ |
भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई |७ |
तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा |८ |
तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी |९ |
छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी |१० |
सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे |११ |
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन |१२ |
दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता |१३ |
साधक के विपति की त्राता , नमो महामाया प्रख्याता |१४ |
मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी |१५ |
तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी |१६ |
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को , बुध्दि नाशकर कीलक तन को |१७ |
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके |१८ |
चोरो का जब संकट आवे , रण में रिपुओं से घिर जावे |१९ |
अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे |२० |
मूठ आदि अभिचारण संकट . राजभीति आपत्ति सन्निकट |२१ |
ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे |२२ |
सुमरित राजव्दार बंध जावे ,सभा बीच स्तम्भवन छावे |२३ |
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर |२४ |
सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी |२५ |
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक , नमो नमो पीताम्बर सोहक |२६ |
तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें |२७ |
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता |२८ |
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता | २९ |
पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी |३०|
जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई |३१ |
आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो |३२ |
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी |३३ |
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया |३४ |
जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुँ निवारा |३५ |
नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता |३६ |
सोम्य रूप धर बनती माता , सुख सम्पत्ति सुयश की दाता |३७ |
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिव्हा में मुद्गर मारो |३८|
नमो महाविधा आगारा,आदि शक्ति सुन्दरी आपारा |३९ |
अरि भंजक विपत्ति की त्राता , दया करो पीताम्बरी माता | ४० |
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं , अरि समूल कुल काल |
मेरी सब बाधा हरो , माँ बगले तत्काल ||
बगलामुखी महामंत्र
“ऊं हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ऊं स्वाहा”
माना जाता है कि ये अचूक मंत्र है। इस मंत्र (bagalamukhi mantra) के जाप से किसी भी प्रकार के आकस्मिक परेशानी या हार का सामना नहीं करना पड़ता है। इस मंत्र का जाप करने वाले व्यक्तियों द्वारा किए हुए प्रयास कभी बेकार नहीं जाते हैं। और मनोकामना भी पूरी होती है। इसके अलावा भी अलग अलग समस्याओं के लिए अलग अलग मंत्र हैं। इसका प्रयोग भी आप कर सकते हैं।
बगलामुखी मंत्र
बगलामुखी का मूल मंत्र कुछ 36 अक्षरों का है और उसके स्वरूप का वर्णन तंत्र शास्त्र में इस प्रकार से किया गया है-
ओम ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं।
स्तंभय जिह्नां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम स्वाहा।।
इसके अतिरिक्त और भी कई मंत्र हैं, जिनके अलग-अलग प्रयोग कर अलग-अलग समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।
बगलामुखी भय नाशक मंत्र
यदि व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय सता रहा हो या किसी प्रकार की अनहोनी होने की आशंका हो, तो उसे बगलामुखी के भय नाशक मंत्र का विधिवत जाप करना चाहिए।
मंत्र – ओम ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन।
बगलामुखी शत्रु नाशक मंत्र
दुश्मन का नाश करने साथ ही पुलिस या कोर्ट-कचहकी से चक्कर में फंसने वाले व्यक्ति को यह मंत्र (bagalamukhi mantra) राहत देता है। इस जाप को करते वक्त ध्य़ान रखें की देवी को काले वस्त्र में नारियल लपेट कर अर्पित करें। साथ ही देवी की प्रतिमा के सामने गुग्गल की धूनी जलाई जाती है तथा पश्चिम की ओर मुंह कर के बैठना होता है और कुल 5 माला का जाप किया जाता है।
मंत्र – ओम बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु।
परीक्षा में सफलता का मंत्र
नौकरी के लिए प्रतियोगिता परीक्षा हो या फिर कक्षा में आगे बढ़ने के लिए कोई अन्य परीक्षा, उनमें सफल होने के लिए पाठ्यक्रमों की तैयार के साथ-साथ निम्न मंत्र का जाप करने से मन की विषय के प्रति एकाग्रता बढ़ती है, साथ ही मानसिक और शारीरिक क्षमता में भी वृद्धि होती है।
मंत्र – ओम ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहाः।
इस जाप की शुरूआत करने से पहले देवी की तस्वीर सामने दीपक जलाना चाहिए और बेसन के हलवे का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। पूरब की ओर मुखकर मंत्र का आठ माला जाप करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
बल-बुद्धिदायक मंत्रः ओम हुं हां ह्लीं देव्यै शौर्यं प्रयच्छ।
दीर्घायु होने का बगलामुखी मंत्र
माता के इस मंत्र (bagalamukhi mantra) का जाप पूरब की ओर मुख कर पांच बार माला का जाप करना चाहिए। साथ ही गरीबों, ब्राह्मणों और साधुओं को भोजना करवाना चाहिए।
मंत्र – ओम ह्लीं, ह्लीं ह्लीं ब्रह्मविद्या स्वरूपिणी स्वाहाः।
बगलामुखी माता का संतान सुरक्षा मंत्र
इस मंत्र की जप पश्चिम की ओर मुख कर कुल छह बार माला का जप करना चाहिए।
मंत्र – ओम हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष
बगलामुखी वशीकरण मंत्र
मंत्र – ओम बगलामुखी सर्व स्त्री/पुरुष हृदयं मम् वश्यं कुरु एं ह्रीं स्वाहा।
इस मंत्र (bagalamukhi mantra) में सर्व के स्थान पर वशीकरण मंत्र किए जाने व्यक्ति का नाम लेना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए पूरे विधि-विधान के साथ कर देवी से मंत्र के द्वारा क्षमा प्रार्थना भी करनी चाहिए।
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्,
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।
मंत्रहीनं क्रिसरहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि
यत्पूजितं मयां देवि परिपूर्ण तदस्तु मे।
बगलामुखी कवच
बगला सभी दुखों को हरने वाली सर्व दुष्टों का नाश करने वाली हैं। जो भी बगलामुखी कवच का पाठ मन से दिन में एक बार भी करता है उसके सभी शत्रुओं का नाश निश्चय है।
ॐ भ्रामरी स्तम्भिनी देवी क्षोभिणी मोहनी तथा ।
संहारिणी द्राविणी च जृम्भणी रौद्ररूपिणी ।।
इत्यष्टौ शक्तयो देवि शत्रु पक्षे नियोजताः ।
धारयेत कण्ठदेशे च सर्व शत्रु विनाशिनी ।।
ॐ ह्रीं भ्रामरी सर्व शत्रून् भ्रामय भ्रामय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं स्तम्भिनी मम शत्रून् स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं क्षोभिणी मम शत्रून् क्षोभय क्षोभय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं मोहिनी मम शत्रून् मोहय मोहय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं संहारिणी मम शत्रून् संहारय संहारय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं द्राविणी मम शत्रून् द्रावय द्रावय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं जृम्भणी मम शत्रून् जृम्भय जृम्भय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं रौद्रि मम शत्रून् सन्तापय सन्तापय ॐ ह्रीं स्वाहा ।
( इति श्री रूद्रयामले शिवपार्वति सम्वादे बगला प्रत्यंगिरा कवचम्)
माँ बगलामुखी साधना विधि
माता की साधना करने से पहले कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए, तभी सही फल की प्राप्ति होती है। माता की साधना करने से पहले कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
पीले वस्त्र धारण करें।
एक समय भोजन करें।
बाल नहीं कटवाए।
मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें।
दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें। – साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्ठ फलदायी होता है।
साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए।
साथ ही साधना में पीत (पीला) वस्त्र ही धारण करना चाहिए और पीले रंग के आसन पर बैठकर ही आराधना करनी चाहिए। ध्यान रखें कि आराधना में पूजा की सभी वस्तुएं पीले रंग की होनी चाहिए। आराधना खुले आकाश के नीचे नहीं करनी चाहिए।
बगलामुखी मंत्र – सिद्ध करने की विधि
साधना में जरूरी श्री बगलामुखी का पूजन यंत्र (bagalamukhi mantra) चने की दाल से बनाया जाता है।
अगर सक्षम हो तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करवाए।
माता की साधना करने से पहले गुरू की आज्ञा लेनी चाहिए जिसके अनुसरण में आप माता की पूजा करने जा रहे हैं। पूजा शुरू करने से पहले गुरु का ध्यान और पूजन अवश्य करना चाहिए। बगलामुखी के भैरव मृत्युंजय हैं, इसलिए ध्यान रखें कि साधना शुरू करने से पहले महामृत्युंजय मंत्र के एक माला का जप अवश्य करें। साधना उत्तर की ओर मुंह करके ही करनी चाहिए। मंत्रों के जाप के लिए हल्दी की माला से ही करें और जप के बाद उस माला को गले में धारण करलें।
साधना करने क लिए समय का भी विशेष ध्यान ये रखें, माता की साधना दिन के समय पर नहीं होती है। अत: साधना रात में 9 बजे से 12 बजे के बीच प्रारंभ करनी चाहिए। इसके साथ ही ध्यान रखें की मंत्र के जाप की संख्याओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह संख्या साधक को स्वयं तय करनी होती है। बता दें जो व्यक्ति माता की साधना को पूरा कर लेता है वह अजेय होता है और शत्रु उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं।
प्रभावशाली मंत्र माँ बगलामुखी विनियोग
अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।
आहावन
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।
ध्यान
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा
तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का मंदिर शाजापुर तहसील के नलखेड़ा में स्थित है। जो लखंदुर नदी के किनारे पड़ता है। बताया जाता है कि यह मंदिर द्वापर युग से ही है। और चमत्कारिक मंदिर है। यहां देशभर से भक्त और साधु संत अपने अपने अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं।
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इस मंदिर की स्थापना महाभारत के युद्ध में विजय पाने के लिए पांडव श्रेष्ठ युधिष्ठिर ने की थी। बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर ने यह मंदिर बनवाया था।
इस मंदिर में बगलामुखी माता के अलावा कृष्ण, हनुमान, भैरव, माता लक्ष्मी, सरस्वती भी हैं। माना जाता है कि यहां की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है। 1815 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था।
बगलामुखी माता तंत्र (bagalamukhi mantra) की देवी हैं इसलिए यहां तांत्रिक अनुष्ठानों का अधिक महत्व है। इस मंदिर का महत्व अधिक इसलिए है क्योंकि यहां बगलामुखी माता स्वयंभू हैं।
इस मंदिर के आस पास नीम, पीपल, आंवला, चंपा, सफेद आंकड़ा और बिल्वपत्र के पेड़ एक साथ हैं। और हरा भरा बगीचा भी है। यह मंदिर श्मशान क्षेत्र में है इसलिए यहां वर्षभर कम ही लोग आते हैं। जबकि नवरात्र में यहां लोगों का हुजूम रहता है।
बगलामुखी मंत्र के फायदे
माँ बगलामुखी मंत्र (bagalamukhi mantra) के बहुत से फायदे और लाभ हैं। बगलामुखी के आराधना से कुछ चमात्कारिक फायदे भी होते हैं। तो आइये जानते हैं क्या क्या हैं इसके फायदे।
बगलामुखी साधना में हवन में दूध से भिगोया हुआ तिल और चावल डालने पर अपार संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
आप बगलामुखी का साधना संतान प्राप्ति के लिए भी कर सकते हैं। इसमें आपको अशोक और कनेर के पत्तों से हवन करना चाहिए। इससे बहुत लाभ मिलेगा।
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अगर रोगों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो कुम्हार से लाए मिट्टी का प्रयोग हवन में करें। इसके अलावा अरंड की लकड़ी या शहद से भुना हुआ चावल का प्रयोग भी हवन में करेंगे तो रोगों से छुटकारा मिलेगा।
अगर आप लगातार नकारात्मक प्रभावों से जूझ रहे हैं तो बगलामुखी साधना में हवन के दौरान गुग्गुल और तिल का प्रयोग करें। लाभ मिलेगा।
हरिताल, हल्दी और नमक से हवन करने पर शत्रुओं को निष्प्रभावित किया जा सकता है।
विष्णु भगवान ने की थी माता की आराधना
देवी बगलामुखी माता को लेकर एक कथा प्रचलित है। बात सतयुग काल की है जब जब महाविनाश उत्पन्न करने वाला महाविनाशकारी ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ था, जो समस्त विश्व को नष्ट करने लगा था। इस तूफान की उत्पत्ति से चारों ओर हाहाकार मचने लगा था और अनेकों लोक संकट में पड़ गए थे, ये तूफान जिस जगह से गुजर रहा था वह स्थान पूरी तरह से नष्ट हो रहा था और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया था, यह सब देखकर भगवान विष्णु चिंतित हो गए। और भगवान शिव के पास गए, उन्होंने भगवान शिव से इस तूफान को रोकने का उपाय पूछा, जिस पर शिव जी ने उनको बताया कि शक्ति के अतिरिक्त और कोई भी इस तूफान को नहीं रोक सकता। अत: आप शक्ति की शरण में जाएं, तब भगवान विष्णु हरिद्रा सरोवर पर पहुंचकर महात्रिपुरसुंदरी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप करते हैं। विष्णु भगवान की घोर तपस्या देखकर माता प्रसन्न हुई और उस सरोवर से वगलामुखी रूप में प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिया तथा विध्वंसकारी तूफान का तुरंत स्तम्भन कर दिया। बगलामुखी महाविद्या भगवन विष्णु के तेज से युक्त होने के कारण वैष्णवी है। श्री बगलामुखी को ब्रह्मास्त्र के नाम से भी जाना जाता है।
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